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Helicopter Accidents: हेलीकॉप्टर हादसों के लिए कौन है जिम्मेदार? इन वजहों से पल भर में छू लेती है मौत!

Kedarnath Helicopter Accidents: दो दिन पहले एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ से लौटते समय गौरीकुंड में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे श्रद्धालुओं और पायलट समेत सभी सात लोगों की मौत हो गई थी.

Helicopter Accidents: चारधाम क्षेत्र में उड़ान का व्यापक अनुभव रखने वाले एक पायलट का कहना है कि अस्थिर मौसमी दशाएं और पायलटों के पास क्षेत्र-विशेष की उड़ान का नाकाफी प्रशिक्षण जैसे विभिन्न कारक क्षेत्र में हेलीकॉप्टर हादसों में हो रही खतरनाक वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि विमानन बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ और हेलीकॉप्टरों की आवाजाही पर निगरानी रखने के लिए जमीनी स्तर पर केंद्रीकृत पर्यवेक्षी प्राधिकरण का अभाव दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार अन्य मुद्दे हैं.

चारधाम यात्रा मार्ग पर 5वीं हेलीकॉप्टर दुर्घटना 

‘आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड’ का एक हेलीकॉप्टर रविवार को केदारनाथ से लौटते समय गौरीकुंड के जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसमें आग लग गई थी जिससे उसमें सवार श्रद्धालुओं और पायलट समेत सभी सात लोगों की मृत्यु हो गयी थी. श्रद्धालुओं में दो साल की एक बच्ची भी शामिल थी. 30 अप्रैल को तीर्थयात्रा शुरू होने के बाद डेढ़ माह से भी कम समय में चारधाम यात्रा मार्ग पर यह पांचवीं हेलीकॉप्टर दुर्घटना है. करीब 15 सालों का उड़ान अनुभव रखने वाले इन पायलट ने कहा, ‘‘चारधाम क्षेत्र पलक झपकते ही बदल जाने वाले अपने अनिश्चित मौसम, ज्यादा उंचाई और संकरी घाटियों के कारण सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ फिर भी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं की यह दर--पैंतालीस दिन में पांच--स्वीकार्य नहीं है.’’ सेना की ‘एवियेशन विंग’ में काम करने के बाद इन पायलट ने निजी हेलीकॉप्टर फर्म में भी सेवाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि पायलटों के पास काफी अनुभव है लेकिन उन्हें अकेले पायलट या कैप्टन के रूप में खतरनाक मार्ग पर उड़ान भरने से पहले प्रशिक्षक के साथ उड़ान भरने का पर्याप्त क्षेत्र-विशेष प्रशिक्षण नहीं होता है. चारधाम क्षेत्र में तीन साल काम कर चुके इन पायलट ने कहा कि डीजीसीए द्वारा सेक्टर विशेष प्रशिक्षण के लिए निर्धारित मापदंड उन चुनौतियों को देखते हुए कम हैं जिनका सामना पायलट को चार धाम क्षेत्र में उड़ान भरते समय करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अमरनाथ क्षेत्र की तुलना में कहीं अधिक कठिन है.

पायलट को क्षेत्र-विशेष प्रशिक्षण है जरुरी

अपना नाम उजागर न किए जाने की शर्त पर पायलट ने कहा, ‘‘चारधाम क्षेत्र में मौसम बहुत तेजी से बदलता है. उंचाई ज्यादा है और घाटियां सकरी हैं. इस प्रकार की दशाओं में उड़ान भरने के लिए उच्च प्रशिक्षित प्रशिक्षक के तहत जबरदस्त क्षेत्र-विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं है.’’

केदारनाथ के पास रविवार को दुर्घटनाग्रस्त बेल 407 हेलीकॉप्टर के पायलट राजवीर सिंह चौहान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वह एक पुराने सैन्यकर्मी और अनुभवी हेलीकॉप्टर पायलट थे लेकिन व्यवसायिक उड़ान और चारधाम क्षेत्र, दोनों उनके लिए नया था. क्षेत्र में हेलीकॉप्टर संचालन के लिए डीजीसीए की ‘एसओपी’ में बड़े संशोधन की जरूरत व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कठिन चारधाम मार्ग पर हेलीकॉप्टर उड़ाने वाले पायलट को डीजीसीए द्वारा अनुमोदित सक्षम उड़ान संचालन प्रशिक्षक से इस क्षेत्र में उड़ान का कम से कम 50 घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि निजी ‘हेली ऑपरेटरों’ के लिए काम करने वाले पायलट कभी-कभी उन कंपनियों के व्यावसायिक हितों के कारण दबाव में भी रहते हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन में पायलट की उड़ानों की संख्या की भी एक सीमा निर्धारित की जानी चाहिए जिससे उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके. उन्होंने कहा कि व्यवसायिक हितों को सार्वजनिक या यात्री सुरक्षा के मानदंडों से अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि वह सर्वोपरि है. चारधाम क्षेत्र में उड़ान संबंधी बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ के बारे में पायलट ने कहा कि केदारनाथ में दो हेलीपैड हैं जिनमें से एक ‘शटल’ हेलिकॉप्टरों के लिए है जबकि दूसरा ‘वीआईपी मूवमेंट (विशिष्ट जनों की आवाजाही)’ के लिए आरक्षित है. उन्होंने कहा कि एक हेलीपैड का बहुत ज्यादा उपयोग होता है जबकि दूसरा खाली पड़ा रहता है.

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि जब क्षेत्र में कोई ‘वीआईपी मूवमेंट’ न हो, तब दोनों हेलीपैड का बराबर उपयोग किया जाए और इतनी बड़ी संख्या में उड़ानों से निपटने के लिए देहरादून के सहस्रधारा हेलीपैड की तरह गुप्तकाशी में एक बड़ा हेलीपैड विकसित किया जाए’’ उन्होंने कहा कि सभी चार धामों में स्वचालित मौसम केंद्र भी स्थापित किए जाने चाहिए . उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हेलीकॉप्टरों को सूरज निकलने के आधा घंटे बाद और सूरज डूबने के आधा घंटा पहले ही उड़ान भरने की अनुमति दी जानी चाहिए . उन्होंने चारधाम क्षेत्र में संचालन के लिए सख्त निविदा के माध्यम से सावधानीपूर्वक हेली कंपनियों के चयन की वकालत की ताकि केवल योग्य लोगों को ही अवसर मिले और हवाई मार्ग पर भीड़भाड़ न हो.

नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत 

चारधाम मार्ग पर शटल सेवा के लिए आठ-नौ हेली कंपनियां और चार्टर्ड चॉपर सेवा के लिए 15 से अधिक हेली कंपनियों का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा कि इनकी संख्या को कम किया जाना चाहिए. उन्होंने हिमालयी धामों के लिए हेली सेवाओं के टिकटों के दाम भी बढ़ाए जाने का सुझाव दिया जिससे हेलीकॉप्टररों और क्षेत्र में मौजूदा हवाई बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम किया जा सके . पायलट ने मार्ग पर हेलीकॉप्टरों की आवाजाही की निगरानी करने के लिए एक ‘कंट्रोल एंड कमांड’ केंद्र बनाए जाने तथा नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की भी जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि पायलट और उनकी हेली कंपनियों को खराब मौसम में उड़ान नहीं भरनी चाहिए . उन्होंने कहा,‘‘यहां तक कि चिड़ियां भी प्रतिकूल मौसम में नहीं उड़तीं . वे भी मौसम के खुलने का इंतजार करती हैं . हमें उनसे सीखना चाहिए और सुरक्षित रहना चाहिए.’’

दो हेलीकॉप्टरों के पायलटों के लाइसेंस छह महीने के लिए निलंबित 

रविवार के हादसे के बाद नागर विमानन मंत्रालय ने कहा कि उसने चारधाम यात्रा मार्ग पर ‘आर्यन एवियेशन’ का संचालन बंद कर दिया है. उसने डीजीसीए को केदारनाथ घाटी में सभी हेलीकॉप्टर गतिविधियों की सक्रिय निगरानी करने के लिए उड़ान योग्यता, सुरक्षा और संचालन से संबंधित अधिकारियों की तत्काल तैनाती करने के निर्देश भी दिए . मंत्रालय ने कहा कि ऐसी ही स्थितियों में उडान भरने वाले ‘ट्रांसभारत एवियेशन’ के दो हेलीकॉप्टरों के पायलटों के लाइसेंस भी छह महीने के लिए निलंबित कर दिए गये हैं .

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