सुनामी भी ला सकती है लैंडस्लाइडिंग, जान लीजिए कैसे?
Vaishno Devi Landslide: सुनामी सिर्फ भूकंप से ही नहीं, बल्कि लैंडस्लाइड और ज्वालामुखी विस्फोट से भी आ सकती है. चलिए जानें कि कैसे भूस्खलन समुद्र में विशाल लहरें पैदा करके तबाही मचा सकता है.

श्री माता वैष्णों देवी के यात्रा मार्ग के अर्धकुंवारी क्षेत्र में भूस्खलन हो गया है. इस घटना में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. कई जगहों पर यात्री फंसे हुए हैं और बचावकर्मी दल राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं. माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की ओर से कहा गया है कि भयानक बारिश और खराब मौसम की वजह से यात्रियों को यात्रा न करने की सलाह दी गई है. इलाके में भारी बारिश की वजह से माता वैष्णों देवी की यात्रा को स्थगित कर दिया गया है.
ये हालात सिर्फ जम्मू में ही नहीं, बल्कि लगभग ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है. इसी क्रम में यहां हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या लैंडस्लाइडिंग की वजह से सुनामी भी आ सकती है? चलिए जानें.
सुनामी के कारण
सुनामी की सबसे बड़ी वजह होती है समुद्री भूकंप. जब समुद्र की सतह के नीचे धरती की प्लेटें खिसकती हैं, तो पानी अचानक विस्थापित हो जाता है और बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं, लेकिन यही काम ज्वालामुखी के विस्फोट या उनके अचानक फूटने से भी हो सकता है. इतना ही नहीं समुद्र किनारे या पानी के अंदर होने वाले विशाल लैंडस्लाइड भी सुनामी ला सकते हैं.
भूस्खलन से सुनामी बनने की प्रक्रिया सरल है. जब भारी मात्रा में चट्टान या मिट्टी तेजी से पानी में गिरती है, तो पानी दोनों ओर से विस्थापित होकर विशाल लहरों का रूप ले लेता है. ऐसे में कई बार ये भूस्खलन खुद किसी भूकंप से ही ट्रिगर होते हैं.
क्या कहता है कैनरी आइलैंड्स का शोध
अफ्रीका के उत्तर-पश्चिमी तट से सटे कैनरी आइलैंड्स में हुए शोध में यह सामने आया है कि अतीत में यहां पर कम से कम पांच बड़े ज्वालामुखी लैंडस्लाइड हुए थे. वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में भी ऐसे विशाल लैंडस्लाइड हो सकते हैं. अगर कैनरी आइलैंड्स में फिर से कोई बड़ा लैंडस्लाइड होता है, तो यह न सिर्फ आसपास बल्कि हजारों किलोमीटर दूर तक तबाही मचा सकता है. माना जाता है कि इतनी बड़ी सुनामी लहरें उत्तर अमेरिका के पूर्वी तट तक भी पहुंच सकती हैं.
लैंडस्लाइड से ऐसे आती है सुनामी
छोटे से लैंडस्लाइड से भी भयंकर सुनामी उठ सकती है. अमेरिका के अलास्का में स्थित ग्लेशियर बे नेशनल पार्क के टाइडल इनलेट में अतीत में कई बार बड़े चट्टानी धंसाव हुए, जिन्होंने आसपास के समुद्री इलाकों में सुनामी पैदा की थी.
9 जुलाई 1958 इसका सबसे भयावह उदाहरण है, उस दिन अलास्का की फेयरवेदर फॉल्ट पर 7.9 तीव्रता का भूकंप आया था. इस झटके से लिटुआ खाड़ी में एक विशाल चट्टानी हिस्सा टूटकर समुद्र में गिर पड़ा. इस लैंडस्लाइड की वजह से इतनी जबरदस्त लहर पैदा हुई कि पानी सामने की पहाड़ी पर 524 मीटर तक चढ़ गया. यह अब तक की दर्ज की गई सबसे ऊंची सुनामी लहर मानी जाती है. खाड़ी में उठी करीब 30 मीटर ऊंची लहर ने दो मछुआरों की नौकाओं को डुबो दिया और दो लोगों की जान चली गई थी.
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Source: IOCL























