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कितने हजार किलोमीटर तक होता है 7.2 मैग्नीट्यूड के भूकंप का असर, कितनी हो सकती है तबाही? 

Earthquake: म्यामांर में 7.2 तीव्रता भूकंप आया, जिसके झटके 900 किमी दूर बैंकॉक में महसूस किए गए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी तीव्रता का भूकंप सैकड़ों किलोमीटर दूर तक तबाही मचा सकता है.

Earthquake in Myanmar Bangkok News: भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप की तीव्रता 7.2 रही. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र मध्य म्यांमार में धरती के 10 किलोमीटर की गहराई में था. इस भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि इमारतों के जमींदोज होने की आशंका है, जिसमें जान-मान को बड़ा नुकसान हो सकता है. इतना ही नहीं भूकंप के झटके 900 किमी दूर बैंकॉक में भी महसूस किए गए. यहां भी बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है.

रिपोर्ट्स में कहा गया है म्यांमार में लगातार दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. पहला भूकंप 7.2 तीव्रता का रहा. इसके 12 मिनट बाद दूसरे भूकंप की तीव्रता 7 मापी गई. ऐसे में आइए जानते हैं कि भूकंप कैस आते हैं. 7.2 तीव्रता के भूकंप का असर कितनी दूर तक होता है. भूकंप में कितनी तबाही हो सकती है. 

क्यों आते हैं भूकंप

हमारी पृथ्वी के नीचे 7 प्लेटे होती हैं, जो बहुत धीमी गति से घूमती हैं. इनमें से जब टेक्नोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं तो उससे ऊर्जा निकलती है. यह ऊर्जा धरती के बाहर निकलने की कोशिश करती है, जिसके कारण भूकंपीय तरंगे पैदा होती हैं, जिससे धरती में कंपन महसूस होता है. जहां से ऊर्जा बाहर निकलती है, उसे भूकंप का केंद्र कहा जता है ये तरंगे जितनी दूर तक फैलती हैं, इनका कंपन उतना ही कम होता जाता है. हालांकि, उस जगह तक भूकंप के झटके महसूस जरूर होते हैं.

कितनी दूर तक मच सकती है तबाही

भूकंप से कितना नुकसान होता है, इसका अंदाजा भूकंप की तीव्रता से लगाया जा सकता है. जहां पर भूकंप का केंद्र होता है, वहां तबाही की आशंका सबसे ज्यादा होती है. इन तरंगों की जैसे-जैसे केंद्र से दूरी बढ़ती जाती है, झटकों की तीव्रता भी कम हो जाती है, जिससे नुकसान कम होता है. हालांकि, अगर तरंगे पृथ्वी की सतह के करीब होती हैं, तो तबाही ज्यादा हो सकती है. 

कितने किलोमीटर तक असर करता है 7.2 तीव्रता का भूकंप

भूकंप का असर उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है. म्यामांर में 7.2 तीव्रता भूकंप आया, जिसके झटके 900 किमी दूर बैंकॉक में महसूस किए गए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी तीव्रता का भूकंप सैकड़ों किलोमीटर दूर तक तबाही मचा सकता है. हालांकि, कुछ भूकंप के झटके इतने धीमे होते हैं, जो हमें पता भी नहीं चलते. 

  • 0 से 1.9 तीव्रता: इतनी तीव्रता के भूकंप में हमें झटके नहीं महसूस होते हैं. इन भूकंप की जानकारी सीस्मोग्राफ के जरिए ही मिलती है. 
  • 2 से 2.9 तीव्रता: इस तीव्रता के भूकंप में हमें हल्का कंपन महसूस हो सकता है. कुछ लोगों को भूकंप का पता ही नहीं चल पाता. 
  • 3 से 3.9 तीव्रता: इतनी तीव्रता के भूकंप में हमें झटके महसूस होते हैं. हालांकि, यह झटके बहुत ही मामूली होते हैं, जिसमें वाइब्रेशन मात्र महसूस होता है. 
  • 4 से 4.9 तीव्रता: इतनी तीव्रता में हमें भूकंप के झटके तेजी से महसूस होते हैं. इसमें नुकसान तो नहीं होता, लेकिन घरों की खिड़कियां टूट सकती हैं और दीवारों पर टंगी चीजें गिर सकती हैं. 
  • 5 से 5.9 तीव्रता: इतनी तीव्रता के झटके हमें काफी अच्छे से महसूस होते हैं. इसमें घर में रखा फर्नीचर हिल सकता है. 
  • 6 से 6.9 तीव्रता: इतनी तीव्रता के भूकंप में इमारतों की नींव हिल सकती है. दीवार पर दरारें पड़ सकती हैं. कमजोर इमारतें गिर भी सकती हैं. 
  • 7 से 7.9 तीव्रता: इस तीव्रता के भूकंप में भीषण तबाही हो सकती है. कई बड़ी-बड़ी इमारतें जमींदोज हो सकती हैं और तबाही का अंदाजा लगाना मुश्किल हो सकता है: 
  • 8 से ज्यादा तीव्रता: इस भूकंप के झटके सैकड़ों किलोमीटर दूर तक तबाही मचा सकते हैं. भारी जान-माल की हानि हो सकती है ओर सुनामी भी आ सकती है. 

यह भी पढ़ें: कितनी तीव्रता का भूंकप आने पर गिरने लगती हैं बिल्डिंग, जानकर हो जाएंगे आप हैरान

प्रांजुल श्रीवास्तव एबीपी न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. फिलहाल फीचर डेस्क पर काम कर रहे प्रांजुल को पत्रकारिता में 9 साल तजुर्बा है. खबरों के साइड एंगल से लेकर पॉलिटिकल खबरें और एक्सप्लेनर पर उनकी पकड़ बेहतरीन है. लखनऊ के बाबा साहब भीम राव आंबेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का 'क, ख, ग़' सीखने के बाद उन्होंने कई शहरों में रहकर रिपोर्टिंग की बारीकियों को समझा और अब मीडिया के डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं. प्रांजुल का मानना है कि पाठक को बासी खबरों और बासी न्यूज एंगल से एलर्जी होती है, इसलिए जब तक उसे ताजातरीन खबरें और रोचक एंगल की खुराक न मिले, वह संतुष्ट नहीं होता. इसलिए हर खबर में नवाचार बेहद जरूरी है.

प्रांजुल श्रीवास्तव काम में परफेक्शन पर भरोसा रखते हैं. उनका मानना है कि पत्रकारिता सिर्फ सूचनाओं को पहुंचाने का काम नहीं है, यह भी जरूरी है कि पाठक तक सही और सटीक खबर पहुंचे. इसलिए वह अपने हर टास्क को जिम्मेदारी के साथ शुरू और खत्म करते हैं. 

अलग अलग संस्थानों में काम कर चुके प्रांजुल को खाली समय में किताबें पढ़ने, कविताएं लिखने, घूमने और कुकिंग का भी शौक है. जब वह दफ्तर में नहीं होते तो वह किसी खूबसूरत लोकेशन पर किताबों और चाय के प्याले के साथ आपसे टकरा सकते हैं.

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