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क्या जमीन के नीचे फफूंद की मदद से बात करते हैं पेड़? पढ़िए रिसर्च क्या कहता है

बेशक यह अवधारणा अजीब और आकर्षक लगती है, यहां तक कि लोकप्रिय एपल टीवी शो टेड लासो में भी इसका जिक्र हुआ था. आइए जानते हैं जब इसपर शोध हुआ तो क्या सामने आया...

यह तो सभी जानते हैं कि पेड़ों में भी जान होती है. हालांकि, शुरुआत में यह सिर्फ एक अवधारणा ही थी, जिसे वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध करने में काफी समय लगा था. इसी तरह की कई धारणाएं हैं जो आज तक स्पष्ट नहीं हैं,  लेकिन लोगों को लगता है कि वे वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुकी हैं. ऐसी ही एक धारणा यह भी है कि जंगल में पेड़ जमीन के अंदर मौजूद फफूंद के एक तंत्र की मदद से आपस में बात कर करते हैं. नए अध्ययन में इसका विश्लेषण किया गया है. आइए जानते हैं इसमें क्या सामने आया. 

वैज्ञानिक तौर पर अभी सिद्ध नहीं हुआ 

बेशक यह अवधारणा अजीब और आकर्षक लगती है, यहां तक कि लोकप्रिय एपल टीवी शो टेड लासो में भी इसका जिक्र हुआ था. लेकिन, अल्बेर्टा यूनिवर्सिटी की विशेषज्ञ जस्टीन कार्स्ट ने इसको लेकर कहा है कि इस सबके पीछे का विज्ञान अभी सिद्ध नहीं हो सका है.

जड़ों को जोड़ कर रखना

नेचर्ल इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में यह लेख प्रकाशित हुआ. जिसमें कार्स्ट और उनके सहयोगी कर्मियों ने जमीन के नीचे मौजूद फफूंद के बारे में लोकप्रिय दावों पर अपने विचार रखे हैं. इस फफूंद के बारे में कहा जाता है कि ये जड़ों का आपस में जोड़ कर रखती है. कार्स्ट का कहना है कि सीएमएन पर शोध ने जंगल की फफूंद मे दिलचस्पी बढ़ाई है. दिलचस्प बात यह है कि वैज्ञानिक तौर पर सीएमएन का अस्तित्व सिद्ध किया जा चुका है, लेकिन शोधकर्ताओं ने साफ कहा है कि अभी तक इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं कि उनसे पेड़ों को या उनके अंकुरों को कोई फायदा मिलता है. 

पर्याप्त प्रमाण नहीं, अभी भी अवधारणा ही है

कार्स्ट और उनके सह लेखकों ने फील्ड में किए अध्ययनों से मिले प्रमाणों की समीक्षा की और पाया कि सीएमएन के जंगलों में व्यापक स्तर पर पाए जाने के प्रमाण पर्याप्त नहीं हैं और ना ही उनकी संरचना और कार्यों के बारे में पता चला है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह कहा कि अभी बहुत कम जंगलों की ही पड़ताल हुई है. एक दावा यह भी है कि वयस्क पेड़ अंकुरों को सीएमएन के जरिए पोषण और अन्य संसाधन उपलब्ध कराते हैं और वे उनके अस्तित्व के बने रहने और वृद्धि में मदद करते हैं. जबकि रिसर्च में ऐसा कुछ प्रमाणित नहीं हो पाया. इसपर पूरे 26 अध्ययन हुए, जिनमें से एक में तो कार्स्ट खुद सहलेखक हैं. शोधकर्ताओं ने पाया है कि पेड़ों में जमीन के नीचे से संसाधनों के स्थानांतरण में सीएमएन की भूमिका नहीं होती है. इसलिए यह अभी भी सिर्फ एक अवधारणा ही है.

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