क्या इंसानों की वजह से जानवर छोटे और बड़े हो गए? पढ़ें हैरान कर देने वाली रिपोर्ट
जैसे-जैसे इंसान खेती करने लगे, पशु पालने लगे और गांव-शहर बसने लगे, वैसे-वैसे जानवरों के आकार में भी इंसानों की वजह से बहुत बड़े बदलाव देखने को मिले.

जानवरों का आकार समय के साथ बदलता है. नेचर में यह कोई नई बात नहीं है. यह पूरी तरह से ग्रोथ की प्रक्रिया यानी एवोल्यूशन का हिस्सा है. वातावरण में बदलाव के साथ-साथ जानवर भी खुद को ढालने की कोशिश करते हैं. कभी उनका आकार छोटा होता है, तो कभी बड़ा. यह बदलाव हजारों सालों से होता आ रहा है. लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब इस प्रक्रिया में इंसानों का शामिल होना शुरू हो गया. जैसे-जैसे इंसान खेती करने लगे, पशु पालने लगे और गांव-शहर बसने लगे, वैसे-वैसे जानवरों के आकार में भी इंसानों की वजह से बहुत बड़े बदलाव देखने को मिले.
हाल ही में फ्रांस की मॉन्टपेलिए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी रिसर्च की है. उन्होंने जानवरों की हड्डियों की जांच की जो दक्षिणी फ्रांस के 311 जगहों से मिली थीं. कुल मिलाकर 2,25,780 हड्डियों का अध्ययन किया गया, जो पिछले 8,000 सालों की थीं. ये शोध पहले सिर्फ पालतू जानवरों पर केंद्रित था, लेकिन बाद में जब वैज्ञानिकों को जंगली जानवरों के भी ढेर सारे सबूत मिले तो उन्होंने शोध का दायरा बढ़ा दिया. ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या सच में इंसानों की वजह से जानवर छोटे और बड़े हो गए
क्या इंसानों की वजह से जानवर छोटे और बड़े हो गए
रिसर्च के अनुसार, 1000 से 2000 ईस्वी यानी मध्यकाल से लेकर आधुनिक युग के बीच, पालतू और जंगली जानवरों में आकार को लेकर अलग-अलग बदलाव देखने को मिले. रिसर्चर ने बताया कि इस दौर में जंगली जानवर छोटे होते गए, जबकि पालतू जानवर बड़े होते गए. जैसे-जैसे इंसान जंगलों में घर बसाने लगे, रास्ते बनाने लगे और खेती करने लगे, वैसे-वैसे जंगलों का आकार घटने लगा. इसके कारण जंगली जानवरों जैसे लोमड़ी, खरहा , खरगोश, हिरण. इनके रहने का इलाका छोटा हो गया. जगह कम होने से खाना और सुरक्षा दोनों ही मुश्किल हो गई, जिससे इनके शरीर की ग्रोथ रुक गई और आकार छोटा होता गया. इसके अलावा, शिकार का बढ़ना भी एक बड़ा कारण बना है.
कौन-कौन से जानवर बड़े हुए?
दूसरी ओर इंसान ने कुछ जानवरों को पालतू बनाना शुरू कर दिया. इंसान अब जानवरों को अपने फायदे के लिए जैसे दूध, मांस, ऊन, अंडे जैसी चीजों के लिए पालने लगा. इसलिए उन्होंने भेड़, बकरी, गाय, सूअर, मुर्गी. जैसे जानवरों का प्रजनन कराना शुरू किया. मतलब जो जानवर ज्यादा बड़े और ताकतवर होते थे, उन्हीं से आगे की नस्लें तैयार कराई जाती थी. इस प्रक्रिया को सिलेक्टिव ब्रीडिंग कहते हैं. इसका असर यह हुआ कि समय के साथ पालतू जानवरों का आकार बढ़ता चला गया. इससे पिछले कुछ हजार सालों में इंसान का प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है. अब सिर्फ मौसम, खाना या जंगल का असर नहीं होता, बल्कि इंसानी एक्टिविटी जैसे शिकार, खेती, बस्तियां बसाना, जानवरों को पालना, उनकी नस्लों को कंट्रोल करना. ये सब जानवरों की ग्रोथ को बहुत गहराई से प्रभावित करते हैं.
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