Delhi Parking Problem: दिल्ली की सड़कों पर पार्किंग के लिए जंग, जगह तलाशने में ही 20 मिनट गंवा रहा हर शख्स
Delhi Parking Problem: जामिया यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चर ने एक बड़ी रिसर्च की है, जिसमें पता चला कि दिल्ली की सड़कों पर पार्किंग के लिए जगह ढूंढने में ही हर इंसान 20 मिनट वेस्ट कर देता है.

Delhi Parking Problem: दिल्ली जैसे बड़े और बिजी शहर में पार्किंग की समस्या अब आम हो गई है. हर दिन लाखों गाड़ियां सड़कों पर चलती हैं, लेकिन उन्हें पार्क करने की जगह मिलना किसी चुनौती से कम नहीं. यही नहीं, इस परेशानी की वजह से न सिर्फ समय और फ्यूल बर्बाद होता है, बल्कि ट्रैफिक जाम और प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे भी सामने आते हैं.
दिल्ली के इस गंभीर होते मुद्दे पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चर डॉ. अब्दुल अहद और डॉ. फरहान अहमद किदवई ने एक बड़ी रिसर्च की, जिसमें पता चला कि दिल्ली की सड़कों पर पार्किंग के लिए जगह ढूंढने में ही हर इंसान 20 मिनट वेस्ट कर देता है. हालांकि, इस रिसर्च के साथ कुछ समाधान भी दिए गए हैं तो आइए जानते हैं इस शोध में क्या बातें सामने आईं और कैसे एक स्मार्ट पार्किंग सिस्टम इस समस्या का सॉल्यूशन बन सकता है.
क्या बातें सामने आई?
दिल्ली की सड़कों पर पार्किंग की समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि औसतन एक ड्राइवर को अपनी गाड़ी खड़ी करने के लिए करीब 20 मिनट तक जगह ढूंढनी पड़ती है. इस प्रक्रिया में न सिर्फ समय जाता है, बल्कि पेट्रोल-डीजल की खपत भी बढ़ती है. शोध में यह भी पता चला कि 66 प्रतिशत लोग आसानी से पार्किंग नहीं ढूंढ पाते हैं. 73 प्रतिशत लोग आज भी सड़क के किनारे ही गाड़ी खड़ी करते हैं, जो ट्रैफिक जाम की बड़ी वजह बनती है. 90 प्रतिशत लोग 250 मीटर से ज्यादा पैदल चलने को तैयार नहीं होते, यानी उन्हें गाड़ी के पास ही पार्किंग चाहिए. रिसर्च में 1200 से ज्यादा ड्राइवरों पर किए गए रिसर्च में यह बात सामने आई है.
दिल्ली के अलावा दूसरे शहरों के हालात
दिल्ली अकेला शहर नहीं है जहां पार्किंग एक बड़ी समस्या बन गई है. देश के अन्य बड़े शहरों की स्थिति भी चिंताजनक है. भारत का सबसे ज्यादा कारों से भरा हुआ शहर मुंबई, जहां प्रति किलोमीटर सड़क पर 510 गाड़ियां हैं, यहां नरीमन प्वाइंट जैसे क्षेत्रों में पार्किंग ढूंढ़ने में 20 मिनट तक लगते हैं. वहीं, बेंगलुरु 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में ही एक घंटा लग जाता है और पार्किंग ढूंढने में 25 मिनट तक का समय लग जाता है. इसके अलावा कोलकाता में पार्किंग की सुविधा सीमित है, जिससे वाहन चालकों को 18 से 20 मिनट तक जगह ढूंढनी पड़ती है. तिरुवनंतपुरम में भी 48 प्रतिशत ड्राइवरों ने बताया कि उन्हें पार्किंग ढूंढ़ने में 15 मिनट से ज्यादा समय लगता है.
स्मार्ट पार्किंग बन सकती है सॉल्यूशन
डॉ. अब्दुल अहद और डॉ. फरहान किदवई ने एक एआई-आधारित स्मार्ट पार्किंग मॉडल तैयार किया है. इसका मकसद पार्किंग की समस्या को तकनीक की मदद से हल करना है. यह मॉडल दो चरणों में काम करेगा. जिसमें पहला जब कोई ड्राइवर यात्रा शुरू करेगा तो यह सिस्टम उसे पहले से यह बता देगा कि उसकी मंजिल से 250 मीटर के भीतर कहां पार्किंग अवेलेबल है. वहीं दूसरा चरण सिस्टम उस पार्किंग की रैंकिंग करेगा. यानी सुरक्षा, सुविधा, दूरी, खर्च और पहुंच जैसे मानकों के आधार पर यह बताया जाएगा कि कौन सी पार्किंग सबसे बेहतर है. इससे न सिर्फ लोगों का समय बचेगा, बल्कि ट्रैफिक जाम और प्रदूषण में भी कमी आएगी. दुनिया के कई बड़े शहर जैसे सिंगापुर, लंदन और बार्सिलोना पहले ही स्मार्ट पार्किंग सिस्टम को अपना चुके हैं. वहां इसके अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं. ट्रैफिक कम हुआ है, समय की बचत हुई है और लोगों की लाइफ आसान हुई है. जामिया के रिसर्च का मानना है कि दिल्ली में भी इसी मॉडल को अपनाकर फर्क लाया जा सकता है.
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Source: IOCL























