अगर मेट्रो में यात्री के साथ होता है कोई हादसा तो कितना मिलेगा मुआवजा, जानें मेट्रो एक्ट का हर नियम
Delhi Metro Act: दिल्ली में साल 2002 में मेट्रो शुरू हुई थी. 2002 में ही मेट्रो के शुरू होते ही नियम कानून भी बनाए गए थे. इन्हीं में एक कानून दिल्ली मेट्रो के ऑपरेशंस एंड मेंटिनेस एक्ट 2002.

Delhi Metro Act: दिल्ली मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन भारत की सबसे बड़ी मेट्रो व्यवस्था है. दिल्ली मेट्रो में औसतन रोजाना 50 लाख से अधिक लोग यात्रा करते हैं. यह काफी बड़ी संख्या है. हाल ही में दिल्ली मेट्रो में एक दुखद दुर्घटना हुई है. दिल्ली के इंदरलोक मेट्रो स्टेशन पर एक महिला की मृत्यु हो गई. साड़ी का कुछ हिस्सा गेट में फंसने के चलते महिला ट्रैक पर घसीटती हुई चली गई. जिससे उसे बेहद गंभीर रूप से चोट आई. अस्पताल में भर्ती करने के 2 बाद उसकी मौत हो गई. अब इस पर दिल्ली मेट्रो कॉरपोरेशन ने मुआवजे का ऐलान किया है. कैसे मिलता है मुआवजा? क्या है मुआवजे के नियम? आइए जानते हैं इस खबर में.
दिल्ली मेट्रो में मुआवजे के नियम
दिल्ली में साल 2002 में मेट्रो शुरू हुई थी. 2002 में ही मेट्रो के शुरू होने के साथ ही नियम कानून भी बनाए गए थे. इन्हीं में एक कानून था दिल्ली मेट्रो के ऑपरेशंस एंड मेंटिनेस एक्ट 2002. जिसके तहत मेट्रो में मुआवजे का प्रावधान है. किसी की मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो की वजह से हादसा होता है तो इस कानून के तहत 50 हजार रुपये की तत्काल आर्थिक मदद करने की बात कही गई है. इसके साथ ही इसमें 5 लाख तक की राशि देने का जिक्र भी है. हालंकि मुआवजे की आखिरी रकम का फैसला मेट्रो कमेटी ही करती है.
इंदरलोक हादसे में दिए जाएंगे 15 लाख
दिल्ली के इंदरलोक मेट्रो स्टेशन पर साड़ी का कुछ हिस्सा गेट में फंसने के चलते हुई महिला की मृत्यु के मामले में दिल्ली मेट्रो कॉरपोरेशन ने मुआवजे का ऐलान कर दिया है. दिल्ली मेट्रो ने मुआवजे के अधिनियम के तहत 5 लाख की तय मुआवजा राशि से ज्यादा मुआवजा देने का फैसला लिया है. महिला के दो छोटे बच्चों को देखते हुए दिल्ली मेट्रो कॉरपोरेशन ने इस मुआवजे में 10 लाख रुपए और बढ़ाने का ऐलान किया है. दिल्ली मेट्रो अब 15 लाख की राशि उन बच्चों के नाम करेगी. इसके साथ ही उनकी पढ़ाई का खर्चा भी उठाएगी.
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