![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
बाहर ही नहीं धरती के भीतर भी हो रहा क्लाइमेट चेंज, ऊंची-ऊंची इमारतों पर मंडरा रहा खतरा!
वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण धरती या तो सिकुड़ती है या फैलती है. इसका असर गांवों की तुलना में शहरों पर ज्यादा देखने को मिलता है.
![बाहर ही नहीं धरती के भीतर भी हो रहा क्लाइमेट चेंज, ऊंची-ऊंची इमारतों पर मंडरा रहा खतरा! Climate change is also happening inside earth its temperature increasing said study बाहर ही नहीं धरती के भीतर भी हो रहा क्लाइमेट चेंज, ऊंची-ऊंची इमारतों पर मंडरा रहा खतरा!](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/07/31/d222e16bd466a21a90fc6c86816cff6d1690796178473580_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनियाभर में कई चरम मौसमी घटनाएं देखने को मिल रही हैं. जब भी क्लाइमेंट चेंज का जिक्र होता है तो आमतौर पर सभी का ध्यान बाहरी घटनाओं पर ही जाता है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. इसके कारण, अंडरग्राउंड क्लाइमेट चेंज का उदय हो रहा है. हमारे सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर इस परिवर्तन के लिए तैयार नहीं है. सरल शब्दों में कहें तो, शहरों में बन रही बहुमंजिले इमारतें अंडरग्राउंड क्लाइमेट चेंज के अनुरूप डिजाइन नहीं की गई हैं.
जमीन फैलती या सिकुडती है
इमारतें और अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन से निकलने वाली गर्मी से धरती का तापमान हर 10 साल में 0.1 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ रहा है. जमीन के गर्म होने से उसका विरूपण (बदलना) होता है. अर्थात्, जमीन या तो फैलती है या सिकुड़ती है. इस कारण इमारतों की नींव कमजोर पड़ने लगती है और इमारतों में दरार आ सकती है. यह उनके तबाह होने का खतरा बढ़ाता है.
शिकागो में हुई स्टडी
शिकागो में स्थित रिसर्चर और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के सिविल और एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एलेसेंड्रो रोटा लोरिया ने जमीन के ऊपर और नीचे के तापमान का अध्ययन किया है. इसके लिए उन्होंने शिकागो शहर को एक लैब की तरह उपयोग किया. शिकागो के उन इलाकों में सेंसर इंस्टॉल किए गए जहां बहुमंजिले इमारतें और अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन हैं. उन्होंने वहां भी सेंसर लगाए गए जहां ये अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन नहीं था. उनके अध्ययन से पता चला कि जिन इलाकों में बहुमंजिले इमारतें और अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन हैं, वहां की जमीन विद्युत विभाजन के कारण कमजोर हैं.
शहरो पर होता है ज्यादा असर
शिकागो में इमारतों के नीचे वाली जमीन 8 मिमी (मिलीमीटर) तक सिकुड़ी गई. इसके बदले, बहुमंजिले इमारतों के नीचे वाली जमीन 8 मिमी तक सिकुड़ गई. रिसर्चर्स के अनुसार, यह परिवर्तन खतरनाक है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, शहर गांवों की तुलना में ज्यादा गर्म होते हैं. इसलिए, क्योंकि शहरों में इमारतों के निर्माण के लिए रॉ मटेरियल, सौर ऊर्जा और हीट का उपयोग होता है, जिसके परिणामस्वरूप इमारतें गर्म हो जाती हैं और इसे वातावरण में रिलीज कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया का विश्लेषण काफी समय से किया गया है.
टेम्परेचर में बढ़ोत्तरी के पीछे दो मुख्य कारण
ग्लोबल टेम्परेचर में बढ़ोत्तरी के पीछे दो मुख्य कारण बताए गए हैं - अल नीनो और CO2. अमेरिका के नेशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन के अनुसार, औसत ग्लोबल टेम्परेचर बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों ने इसके पीछे अल-नीनो और वायुमंडल में बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को जिम्मेदार ठहराया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यहां व्यक्ति की गतिविधियां भी तापमान में वृद्धि का मुख्य कारण हैं. जलती हुई ईंधनों के उपयोग से हर साल 40 अरब टन CO2 उत्सर्जित होता है, जिससे वायु प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है. वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के लिए कोयला, क्रूड ऑयल और प्राकृतिक गैस का सबसे ज्यादा उपयोग होता है, और इसी कारण से जीवाश्म ईंधनों का प्रमुख हिस्सा है.
यह भी पढ़ें - देश में सिर्फ तीन साल के भीतर गायब हुई 13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं, इस राज्य में आंकड़ा सबसे ज्यादा
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)