Pakistan Nuclear Control: CDF बनने के बाद क्या परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं आसिम मुनीर, भारत में किसके पास ये पावर
Pakistan Nuclear Control: पाकिस्तान में जनरल आसिम मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज नियुक्त कर दिया गया है. आइए जानते हैं कि क्या अब मुनीर के पास न्यूक्लियर हमले के आदेश देने का अधिकार है या नहीं.

Pakistan Nuclear Control: पाकिस्तान के मिलिट्री स्ट्रक्चर में दशकों का सबसे बड़ा बदलाव हुआ है. दरअसल आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज नियुक्त किया गया है. इस नए पद के बनने से आर्मी, नेवी और एयरफोर्स प्रभावी रूप से एक ही कमांड के तहत आ गए हैं. इस बदलाव के साथ एक सवाल पर जोरदार बहस हो रही है कि क्या अब आसिम मुनीर के पास न्यूक्लियर हमला करने का आदेश देने का अधिकार है. इसी के साथ आइए जानते हैं कि भारत में न्यूक्लियर कंट्रोल किसके हाथों में है.
पाकिस्तान में सबसे ताकतवर मिलिट्री व्यक्ति
पाकिस्तान के संविधान के 27वें संशोधन ने आसिम मुनीर के अधिकार को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है. चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज का पद बनाकर यह संशोधन तीनों सशस्त्र सेवाओं को सीधे उनके कमांड में लाता है. इसी के साथ अब उन्हें पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों के प्रोग्राम में भी एक बड़ा अधिकार मिल गया है. दरअसल न्यूक्लियर हथियारों और मिसाइल सिस्टम को मैनेज करने वाली संस्था नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड का कंट्रोल सीडीएफ के अधिकार क्षेत्र में आ गया है. इसका सीधा मतलब होता है कि जनरल मुनीर न सिर्फ सेना को कंट्रोल करते हैं बल्कि न्यूक्लियर कमान स्ट्रक्चर पर भी उनका काफी ज्यादा प्रभाव है.
क्या आसिम मुनीर न्यूक्लियर हमले का आदेश दे सकते हैं
सीडीएफ बनने के बाद जनरल मुनीर के पास अब पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करने का आदेश देने के लिए जरूरी ऑपरेशनल कंट्रोल है. हालांकि पाकिस्तान की नेशनल कमान अथॉरिटी जिसकी अध्यक्षता औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री करते हैं एक आधिकारिक निर्णय लेने वाली संस्था बनी हुई है. लेकिन नई संरचना मुनीर को इसके अंदर निर्णायक मिलिट्री अथॉरिटी के रूप में ऊपर उठाती है.
भारत में क्या है सिस्टम
भारत का न्यूक्लियर कमांड किसी एक व्यक्ति के निर्णय से नहीं चलता. भारतीय सिस्टम इस बात को पक्का करने के लिए बनाया गया है कि हर स्टेज पर राजनीतिक देखरेख, स्ट्रैटेजिक समीक्षा और संस्थागत जांच हो. पाकिस्तान के नए सेंट्रलाइज्ड मॉडल के ठीक उलट भारत न्यूक्लियर कमान अथॉरिटी के अधिकार को दो अलग-अलग हिस्सों में बांटता है.
सबसे ऊपर राजनीतिक परिषद आता है जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. इस काउंसिल के पास न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल को अधिकृत करने की अंतिम शक्ति है. लेकिन आपको बता दें कि प्रधानमंत्री अकेले यह फैसला नहीं ले सकते. इसके लिए तय प्रोटोकॉल, इंटेलिजेंस असेसमेंट और देश के टॉप स्ट्रैटेजिक और सिक्योरिटी अधिकारियों की सलाह ली जाती है.
इसे सपोर्ट करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर की अध्यक्षता में एक एग्जीक्यूटिव काउंसिल है. यह खतरों का मूल्यांकन करती है, सिफारिश को तैयार करती है और राजनीतिक परिषद द्वारा लिए गए फैसलों को लागू करती है. न्यूक्लियर हमला तभी लॉन्च किया जा सकता है जब दोनों काउंसिल न्यूक्लियर कमान अथॉरिटी के फ्रेमवर्क के अंदर काम करें.
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Source: IOCL
























