British Imposed Tax On Cannabis: अंग्रेजों ने लगाया था भांग, गांजा और चरस पर टैक्स, तब इसे रखना और लेना था लीगल
British Imposed Tax On Cannabis: भारत में इस वक्त भांग को छोड़कर चरस और गांजा पर पूरी तरह बैन लगा हुआ है. लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब अंग्रेज इसी कैनाबिस पर टैक्स वसूलते थे और अपनी जेबें भरते थे.

British Imposed Tax On Cannabis: कैनाबिस भारत में पूरी तरह से अवैध है, लेकिन इसका आस्तित्व भारत के सामाजिक और धार्मिक संस्कृति में बहुत प्रभावी है. मुख्य रूप से कैनाबिस का इस्तेमाल भारत में साधुओं और आर्युवेद के डॉक्टर्स के द्वारा ज्यादा किया जाता है. धार्मिक इतिहास में कैनाबिस का इतिहास इतना गहरा है कि हमारे भगवान शिव को भांग के स्वामी की उपाधि भी दी जा चुकी है. लेकिन भांग की बिक्री अभी भी सरकारी दुकानों पर होती है, पर गांजा और चरस पूरी तरीके से अवैध है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंग्रेजों ने भांग, गांजा और चरस पर टैक्स लगाया था. उस वक्त इसे रखना और लेना-देना लीगल था. चलिए इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
वेदों में भी मिलता है कैनाबिस का जिक्र
भारत में गांजा, भांग और चरस का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है. 1000 ई.पू. के ग्रंथों और वेदों में इसके इस्तेमाल का जिक्र मिलता है. आथर्ववेद में पांच विशेष पौधों में भांग का जिक्र किया जाता है, जो कि चिंता से मुक्ति दिलाता है. सुश्रुत संहिता में भी इसका एक औषधीय पौधे के रूप में जिक्र मिलता है.
अंग्रेज वसूलते थे टैक्स
जब पुर्तगाली और ब्रिटिश भारत आए उस वक्त देश में भांग, चरस और गांजा वैध था. तब इसको लेकर कोई कानून नहीं था और इसे रखना, लेना-देना लीगल माना जाता था. अंग्रेजों को भारत में भांग का फलता-फूलता व्यापार और उपभोग देखने को मिला. तब अंग्रेजों ने इसपर टैक्स लगाया और मारियुआना के इस्तेमाल के संबंध में कानून पारित किया. शायद सबसे पहले ऐसा अंग्रेजों ने किया था. ब्रिटिश काल में ही ऐसा हुआ कि 1838, 1871 और 1877 में भांग को बैन करने के लिए आवाज उठी, लेकिन गांजा फिर भी वैध रहा.
कब शुरू हुआ बैन
अमेरिका जैसे कई देशों ने मारियुआना को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय संधि की, जिसमें ऐसी नशीली जड़ियों और हानिकारक कठोर दवाओं को रखा गया और इसे 1961 में पारित कर दिया गया. इसके अनुसार देशों को मारियुआना को खतरनाक दवा के रूप में वर्गीकृत करना था. लेकिन भारत में इसको लेकर धार्मिक मान्यताएं थीं, इसलिए यहां इस संधि की असहिष्णुता पर सवाल उठा. जिसके बाद ये सहमति बनाई गई कि भांग के कुछ हिस्से जैसे इस पौधे को फूलों की कलियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, लेकिन इसके अन्य उत्पाद जैसे पत्तियां और बीज को छोड़ दिया जाएगा.
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Source: IOCL























