Congress CWC Meeting: किसकी जमीन पर बना है पटना का सदाकत आश्रम, जहां हो रही है कांग्रेस CWC की बैठक; आजादी से जुड़ा है इतिहास
Congress CWC Meeting: सदाकत आश्रम का महत्व सिर्फ अतीत की यादों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज भी लोकतांत्रिक विमर्श का केंद्र बनने की क्षमता रखता है. आज इस आश्रम में कांग्रेस की CWC की बैठक हो रही है.

Congress CWC Meeting: पटना के गंगा तट पर बसा सदाकत आश्रम भारत की आजादी के आंदोलन का अहम गवाह रहा है. यहां की दीवारें आज भी उस दौर की कहानियां समेटे हुए हैं, जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की नींव रखी थी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आजाद भारत के सपनों को दिशा दी थी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के भविष्य को लेकर विचार-विमर्श किया था. यह जगह सिर्फ एक आश्रम नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संघर्ष की धड़कन रहा है. चलिए जानें कि यह किसकी जमीन पर बना है, जहां कांग्रेस की CWC की बैठक हो रही है.
इस आश्रम में हो रही कांग्रेस की बैठक
साल 1940 में पहली बार इस आश्रम ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक की मेजबानी की थी, जिसने उस समय देश की आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी थी. अब 85 साल बाद इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले यहां एक बार फिर कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक चल रही है. यह सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि अतीत और वर्तमान के बीच एक अनोखा सेतु बनने जा रहा है.
किसकी जमीन पर बना है आश्रम
पटना के इस आश्रम में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हो रही है, लेकिन इसकी अहमियत सिर्फ मौजूदा राजनीति तक सीमित नहीं है. यह आश्रम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक रहा है. 1921 में मौलाना मजहरूल हक ने 21 एकड़ जमीन दान देकर इसकी नींव रखी थी. सदाकत का मतलब अरबी भाषा में ‘सच्चाई’ होता है, और यह स्थान वास्तव में उसी सच्चाई और त्याग की पहचान से जाना जाता है.
स्वतंत्रता संघर्ष की आत्मा है यह आश्रम
महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी ने इस आश्रम का शिलान्यास किया था. बाद में गांधीजी कई बार यहां ठहरे और चरखा कातते हुए स्वदेशी आंदोलन को मजबूती दी. यही नहीं, यहां बैठकर गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और आचार्य कृपलानी जैसे नेताओं ने असहयोग, सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसी बड़ी योजनाओं का खाका तैयार किया था. इस प्रकार सदाकत आश्रम केवल एक इमारत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संघर्ष की आत्मा साबित हुआ.
राजनीतिक गतिविधियों का अहम केंद्र
आजादी के बाद भी यह आश्रम बिहार कांग्रेस का स्थायी मुख्यालय बना रहा है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद का भी इस स्थान से गहरा जुड़ाव रहा. 1970 के दशक में जब जयप्रकाश नारायण का आंदोलन पूरे देश में गूंज रहा था, तब भी यह स्थल राजनीतिक गतिविधियों का अहम केंद्र बना. इसकी मिट्टी में आज भी स्वतंत्रता आंदोलन की गूंज महसूस की जा सकती है.
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Source: IOCL
























