Bihar Election Result 2025: EVM से एक दिन में आ जाता है रिजल्ट, बैलेट पेपर से चुनाव होते थे तो कब तक होती थी मतगणना?
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा के नतीजे आज आ जाएंगे. ईवीएम से काउंटिंग में तो अब कुछ घंटों में किस्मत तय होती है, लेकिन जब बैलेट पेपर थे तब कितने दिनों में नतीजे आते थे.

Bihar Election Result 2025: बिहार चुनाव की गिनती की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. हर नजर अब स्ट्रॉन्ग रूम पर टिकी है जहां मतों की किस्मत सीलबंद है. 243 सीटों की इस जंग का फैसला आज हो जाएगा और शाम तक बिहार की नई तस्वीर सामने आ जाएगी. इसी बीच एक दिलचस्प सवाल फिर से चर्चा में है, जब ईवीएम नहीं थे और वोट बैलेट पेपर से डाले जाते थे, तब आखिर मतगणना में कितना वक्त लगता था? क्या तब भी एक दिन में परिणाम आ जाते थे? आइए जानें.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) ने चुनावी प्रक्रिया को जितना तेज और पारदर्शी बनाया है, उतना ही बदलाव मतगणना की गति में भी लाया है. आज के समय में बिहार जैसे विशाल राज्य का नतीजा एक ही दिन में आ जाता है, लेकिन जब बैलेट पेपर का दौर था, तब मतगणना कई-कई दिनों तक चलती थी.
बैलेट पेपर से कितने दिनों में आते थे नतीजे?
चुनाव आयोग के पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि 1980 और 1990 के दशक तक, जब बैलेट पेपर से मतदान होता था, तो एक-एक सीट का नतीजा आने में औसतन दो से तीन दिन लगते थे. बड़े राज्यों में यह प्रक्रिया चार से पांच दिन तक भी खिंच जाती थी. मतगणना मैन्युअल थी, यानी हर बैलेट पेपर को अधिकारी अपने हाथों से खोलकर देखता था, फिर चिन्ह के हिसाब से वोट दर्ज करता था. लाखों बैलेट पेपरों की गिनती करते वक्त गलती की संभावना रहती थी, इसलिए हर बार दोबारा मिलान और सत्यापन की प्रक्रिया होती थी.
दिन-रात खोले जाते थे बैलेट बॉक्स
बिहार जैसे राज्य में, जहां सीटें ज्यादा और मतदाता करोड़ों में हैं, वहां यह प्रक्रिया बेहद लंबी और थकाऊ हुआ करती थी. मतगणना केंद्रों में दिन-रात बैलट बक्से खोले जाते थे, और कभी-कभी नतीजों में कई दिन लग जाते थे. 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में, मतगणना पूरी होने में लगभग चार दिन लगे थे. कई बार विवादित सीटों पर पुनर्गणना भी होती थी, जिससे समय और बढ़ जाता था.
EVM ने बदल दी तस्वीर
इसके विपरीत, EVM ने तस्वीर पूरी तरह बदल दी. अब एक बटन दबाते ही वोट इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुरक्षित हो जाता है, और मतगणना के वक्त मशीन से परिणाम निकालने में कुछ ही सेकंड लगते हैं. हर राउंड की रिपोर्ट कंप्यूटर में दर्ज होकर तुरंत चुनाव आयोग के कंट्रोल रूम तक पहुंच जाती है. यही वजह है कि आज बिहार जैसा बड़ा चुनाव भी एक ही दिन में सुलझ जाता है, सुबह शुरू हुई मतगणना शाम तक विजेता तय कर देती है.
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Source: IOCL






















