किसने बनवाया था अरावली का बाला किला, जिसमें खजाना ढूंढने की हो चुकीं लाख कोशिशें?
Bala Quila Aravalli: अरावली की गोद में खड़ा बाला किला सिर्फ पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि अधूरे रहस्यों की किताब है. खजाना हो या इतिहास, यहां हर कदम पर सवाल हैं. आइए जानें इसे किसने बनवाया था.

अरावली की खामोश पहाड़ियों के बीच एक ऐसा किला है, जिसकी दीवारें इतिहास बोलती हैं और खामोशी में भी रहस्य छिपा है. जहां कभी आम आदमी की परछाईं तक पहुंचना मुमकिन नहीं था, आज वहां पर्यटक रोमांच खोजते हैं. कहा जाता है कि इस किले की गहराइयों में कुबेर का खजाना दबा है, जिसे पाने की कोशिश करने वाले लौटकर नहीं आए. आइए जानें कि इसे किसने बनवाया था.
अरावली और बाला किले का ऐतिहासिक महत्व
अरावली पर्वतमाला को भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला माना जाता है, जिसकी उम्र करीब 2.5 अरब साल बताई जाती है. यही पहाड़ियां राजस्थान को रेगिस्तान बनने से रोकने वाली प्राकृतिक ढाल हैं. इसी अरावली की एक ऊंची चोटी पर अलवर का प्रसिद्ध बाला किला स्थित है, जो सदियों से उत्तर भारत के इतिहास का मूक गवाह बना हुआ है.
किसने रखी थी बाला किले की नींव?
इतिहासकारों के अनुसार वर्ष 1492 ईस्वी में मेवात के शासक हसन खान मेवाती ने बाला किले की नींव रखी थी. रणनीतिक दृष्टि से यह स्थान बेहद अहम था, क्योंकि यहां से आसपास के पूरे इलाके पर नजर रखी जा सकती थी. यही वजह है कि यह किला मेवात की सुरक्षा का सबसे मजबूत प्रहरी माना जाता था.
अभेद्य बनावट और सैन्य ताकत
करीब पांच किलोमीटर लंबा और डेढ़ किलोमीटर चौड़ा यह किला अपनी सैन्य संरचना के लिए जाना जाता है. इसकी दीवारों में बनाए गए 446 छोटे छेद सैनिकों को सुरक्षित रहते हुए दुश्मन पर हमला करने की सुविधा देते थे. इसके अलावा किले में 66 बुर्ज बनाए गए थे, जिनमें 15 बड़े और 51 छोटे बुर्ज शामिल थे. इन बुर्जों से हर गतिविधि पर नजर रखी जाती थी, जिससे दुश्मन का छिपकर आना लगभग नामुमकिन था.
कुबेर के खजाने की रहस्यमयी कहानी
बाला किले की सबसे चर्चित कथा यहां छिपे कुबेर के खजाने की है. लोककथाओं के अनुसार किले के नीचे सुरंगों और गुप्त कक्षों में अपार धन दबा हुआ है. कहा जाता है कि मुगलों ने ताकत झोंकी, मराठों ने घेराबंदी की और जाट शासकों ने भी खोजबीन की, लेकिन खजाना किसी के हाथ नहीं लगा. कई लोग इसे महज किंवदंती मानते हैं, तो कई इसे ऐसा रहस्य कहते हैं जो जानलेवा साबित हो सकता है.
कभी प्रतिबंधित, आज पर्यटन का केंद्र
एक समय ऐसा भी था जब बाला किले में प्रवेश के लिए जिले के एसपी से अनुमति लेनी पड़ती थी. सुरक्षा कारणों से यह इलाका आम लोगों के लिए बंद था. आज हालात बदल चुके हैं. अब मुख्य द्वार पर नाम दर्ज कराकर पर्यटक इस ऐतिहासिक धरोहर को नजदीक से देख सकते हैं, हालांकि किले की रहस्यमयी आभा अब भी बरकरार है.
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