बदायूं की पिंकी शर्मा ने बांके बिहारी से रचाई शादी, क्या ऐसी शादियों को भी मिलती है कानूनी मान्यता?
बदायूं में हुई इस अनोखी शादी के बाद लोग जानना चाहते हैं कि क्या कानून की नजर में भगवान एक 'लीगल पर्सन' हैं, जिससे यह विवाह 'हिंदू मैरिज एक्ट' की तरह मान्य होगा? चलिए जानते हैं इसका जवाब...

उत्तर प्रदेश के बदायूं से एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां बांके बिहारी के प्रेम में डूबी एक युवती ने भगवान श्रीकृष्ण से ही ब्याह रचा डाला. 28 वर्षीय इस युवती का नाम पिंकी शर्मा है, जो बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की भक्त थी, अब उसने यह अनोखा विवाह करने खुद को पूरी तरह श्रीकृष्ण को सौंप दिया है. अनोखी बात यह है कि बदायूं में हुए इस विवाह में परिवार समेत गांव के लोग भी शामिल हुए.
इस तरह का मामला सामने आने के बाद लोगों के मन में कई सवाल भी हैं. लोग जानना चाह रहे हैं कि क्या इस तरह के विवाह को सरकार द्वारा कानूनी मान्यता मिलती है? क्या कानून की नजर में भगवान एक 'लीगल पर्सन' हैं, जिससे यह विवाह 'हिंदू मैरिज एक्ट' की तरह मान्य होगा?
क्या है हिंदू मैरिज एक्ट?
हिंदू मैरिज एक्ट भारत सरकार का वह कानून है जो हिंदुओं के विवाह, तलाक को कानूनी मान्यता देता है. इस कानून का मुख्य उद्देश्य दो व्यक्तियों द्वारा किए गए विवाह को वैध बनाना, बहुविवाह पर रोक लगाना, विवाह की कानूनी उम्र तय करना और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है. इस कानून के तहत दो हिंदू व्यक्तियों (महिला या पुरुष) के बीच कानूनी तरह से किया गया विवाह वैध होता है और यह सभी तरह के हिंदुओं पर लागू होता है, चाहे वे किसी भी जाति के हों.
क्या पिंकी और श्रीकृष्ण के विवाह को मिलेगी कानूनी मान्यता?
भारत सरकार द्वारा लागू हिंदू मैरिज एक्ट इस तरह के विवाह को कानूनी मान्यता नहीं देता. यह एक्ट दो इंसानों के बीच हुई शादी को ही कानूनी मान्यता देता है. कानून की नजर में किसी भगवान या देवता को मंदिर की संपत्ति के संदर्भ में तो लीगल पर्सन माना जाता है, लेकिन शादी के संदर्भ में नहीं. ऐसे में यह विवाह कानूनी तौर पर वैध नहीं होगा. हालांकि, इस तरह की शादी भारतीय समान में धार्मिक और भावनात्मक रूप से सही हो सकती हैं, लेकिन इन्हें कानूनी दर्जा नहीं दिया जा सकता. ऐसे में पति या पत्नी को कानूनी अधिकार नहीं मिलते. इसे सिर्फ धार्मिक, भावनात्मक या प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है.
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