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वायरस की वजह से यहां मुर्गी देती है नीला अंडा, फिर भी चाव से खाते हैं लोग!
आपने अभी तक सफेद अंडे ही देखे होंगे. लेकिन, दुनिया के एक देश में मुर्गी नीला अंडा भी देती है. अंडे का रंग नीला होने के पीछे एक खास वजह है. आइए जानते हैं.
![वायरस की वजह से यहां मुर्गी देती है नीला अंडा, फिर भी चाव से खाते हैं लोग! A hen named Araucana lays blue eggs in Chile know the reason behind this वायरस की वजह से यहां मुर्गी देती है नीला अंडा, फिर भी चाव से खाते हैं लोग!](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/04/29/60abd549501e32239125a0b7a26a16381682742072450580_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Blue Egg: आप अंडे खाते हों या नहीं भी खाते हों, फिर भी आपको यह तो मालूम हो होगा कि मुर्गी का अंडा सफेद रंग का होता है. हालांकि, देशी मुर्गी के अंडे पर थोड़ा पीलापन सा होता है. आमतौर पर वह भी लगभग सफेद ही बोला जाता है. वैसे तो अंडे काले रंग के भी होते हैं और इन काले रंग के अंडों को सेहत का खजाना माना जाता है. कड़कनाथ मुर्गे के अंडे काले रंग के होते हैं.
ये काफी दुर्लभ होते हैं, इसलिए महंगे मिलते हैं. लेकिन अगर आपको कोई बताये कि नीले रंग के भी अंडे होते है तो यकीन करेंगे? जी हां, दुनिया में एक ऐसा देश भी जहां मुर्गियां नीले रंग (Blue Egg) का अंडा देती हैं. शायद आप सोच रहे होंगे कि भला ये अंडे कहां मिलते हैं और इन्हें कौन खाता होगा? दरअसल, अंडों का रंग नीला होने के पीछे भी एक खास वजह है. आइए जानते हैं
इस देश की मुर्गी देती है नीला अंडा
दरअसल, नीले रंग के खास अंडे Araucana नामक जीव के होते हैं. नीले रंग का अंडा चिली देश में पाया जाता है. माना जाता है कि वायरस के हमलों की वजह से अंडे का रंग नीला हो जाता है. इस मुर्गी को यहां सबसे पहले साल 1914 में देखा गया था. स्पेन के पक्षी वैज्ञानिक Salvador Castell ने इस मुर्गी को देखा था. इस मुर्गी को चिली के Araucanía इलाके में देखा गया था. इसलिए इसका नाम Araucana रखा गया. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह घरेलू चिकन की ही एक किस्म है.
वायरस की वजह से बदल जाता है अंडों का रंग
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंडों का नीला रंग रेट्रोवायरस के हमले के कारण होता है. ये सिंगल RNA वाले वायरस होते हैं. रेट्रोवायरस मुर्गियों में प्रवेश करके उनके जीनोम की संरचना को बदल देते हैं. इन्हे EAV-HP कहा जाता है. जींस की संरचना में बदलाव आने के कारण मुर्गी के अंडों का रंग बदल जाता है. हालांकि, वायरस के बावजूद भी ये खाने में सुरक्षित होते हैं. क्योंकि वायरस सिर्फ अंडों की बाहरी संरचना को प्रभावित करते हैं. यूरोपियन देशों और अमेरिका में ये चिकन और इसके अंडों को काफी चाव से खाया जाता है.
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