Pakistan Census: भारत की तरह क्या पाकिस्तान में भी होती है जनगणना, बंटवारे के बाद कब-कब गिनी गई वहां की आवाम?
Pakistan Census: भारत में 2027 में होने वाले जनगणना को मंजूरी मिल चुकी है. इसी बीच आइए जानते हैं कि क्या पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी जनगणना की जाती है.

Pakistan Census: भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2027 में होने वाली लंबे समय से अटकी राष्ट्रीय जनगणना को मंजूरी दे दी है. इसी बीच एक सवाल उठ रहा है कि क्या पड़ोसी देश में भी जनगणना होती है. दरअसल भारत पारंपरिक रूप से हर 10 साल में जनगणना करता रहा है लेकिन 2011 के बाद कोरोना महामारी की वजह से बीच में रुकावट आई. लेकिन आज हम जानेंगे कि क्या पाकिस्तान में भी जनगणना की जाती है और बंटवारे के बाद वहां कब-कब जनगणना हुई.
पाकिस्तान में जनगणना प्रणाली
पाकिस्तान में राष्ट्रीय जनगणना होती है. इसका मकसद भी भारत की जनगणना जैसा ही है. इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स की है जो संघीय सरकार के अंदर काम करता है. भारत की तरह पाकिस्तान की जनगणना का मकसद आबादी के आकार, जनसंख्या, आवास और सामाजिक आर्थिक संकेतकों पर डेटा को इकट्ठा करना है. हालांकि 2011 तक भारत के लगातार 10 सालाना पैटर्न के उलट पाकिस्तान की जनगणना का इतिहास राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध और प्रशासनिक चुनौतियों की वजह से लंबी देरी से भरा रहा है.
आजादी के बाद पहली जनगणना
पाकिस्तान ने 1951 में बंटवारे के चार साल बाद अपनी पहली जनगणना की थी. उस समय पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान दोनों शामिल थे. उस समय कुल आबादी लगभग 75 मिलियन दर्ज की गई थी.
जनसंख्या वृद्धि और शुरुआती गणनाएं
1961 में दूसरी जनगणना में आबादी में तेजी से वृद्धि देखने को मिली. इस दौर में लगभग 93 मिलियन जनगणना दर्ज की गई. इस वक्त से ही तेजी से बढ़ती आबादी पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी थी. अगली जनगणना मूल रूप से 1971 में होने वाली थी लेकिन भारत और पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के निर्माण की वजह से इसमें देरी हुई. यही वजह है कि तीसरी जनगणना 1972 में की गई.
अनियमित जनगणना चक्र
पाकिस्तान की चौथी जनगणना 1981 में हुई. राजनीतिक बदलाव और प्रशासनिक कठिनाइयों की वजह से जनगणना के कार्यक्रम में लगातार परेशानियां आती रहीं. 1990 के दशक में हालात और भी ज्यादा खराब हो गए और 1991 में होने वाली जनगणना को बार-बार टाला गया. आखिरकार पांचवी जनगणना 1998 में हुई. यह पूरे सात साल लेट थी.
एक लंबा गैप और 2017 की जनगणना
पाकिस्तान की जनगणना के इतिहास में सबसे लंबे गैप में से एक 1998 और 2017 के बीच आया. यह 19 साल का गैप था. 2017 की जनगणना पाकिस्तान की छठी जनगणना थी. इस जनगणना में 207 मिलियन से ज्यादा आबादी दर्ज की गई.
2023 में पहली डिजिटल जनगणना
पाकिस्तान ने 2023 की जनगणना के साथ टेक्नोलॉजी में बड़ी छलांग लगाई. यह उसकी पहले पूरी तरह से डिजिटल जनगणना थी. इस जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान की आबादी 241.5 मिलियन हो गई थी. वैसे तो सटीकता में सुधार करने और विवादों को कम करने के लिए डिजिटल तरीके को अपनाया गया था लेकिन उसके बावजूद भी देश के अंदर राजनीतिक बहस छिड़ चुकी थी.
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Source: IOCL
























