इनके सामने Amitabh Bachchan का स्टारडम भी पड़ जाता था फीका, फिर सब छोड़ करने लगे थे 'माली' का काम
Vinod Khanna Birth Anniversary: स्टारडम के सबसे ऊंचे मुकाम पर पहुंचकर अचानक क्या हो गया था विनोद खन्ना को कि बन गए थे माली? सभी सवालों के जवाब यहां हैं.
Vinod Khanna Birth Anniversary: 70s में बॉलीवुड में एक ऐसा सितारा उभरकर सामने आया, जो आया तो था विलेन बनने लेकिन कद काठी और उनके लुक्स ने उन्हें हीरो बना दिया. हम बात कर रहे हैं विनोद खन्ना की, जिनके सामने अमिताभ बच्चन का स्टारडम भी फीका पड़ जाता था.
विनोद खन्ना की 6 अक्टूबर को जयंती है. ऐसे में जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिनसे आप परिचित नहीं होंगे. विनोद खन्ना की लाइफ किसी फिल्मी कहानी जैसी ही थी. उन्होंने स्टारडम के शिखर पर फिल्में छोड़ दीं, फिर संन्यास ले लिया. इसके बाद जब वापसी की तो राजनीति में चले गए. वहां जाने के बाद फिर से बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री की.
विनोद खन्ना की जीवन में ओशो की अहम जगह रही
विनोद खन्ना की जिंदगी में आध्यात्मिक गुरु ओशो का अहम स्थान था. ओशो वर्ल्ड मैगजीन के एडिटर स्वामी चैतन्य कीर्ति के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि जब से विनोद ओशो के संपर्क में आए, धीरे-धीरे उन्होंने अपना स्टारडम त्याग दिया. और कभी स्टार की तरह व्यवहार नहीं किया.
विनोद खन्ना 70 के दशक के आखिर में ओशो के नव-संन्यास में शामिल हो गए. वो अक्सर वीकेंड पर शूटिंग खत्म करके ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट जाते थे और ध्यान करते थे. साल 75 से 76 के दौरान वो लंबे समय तक इसी आश्रम में रहे. ये वही दौर था जब उनकी एक से बढ़कर एक बड़ी हिट्स रिलीज हो रही थीं.
शुरुआत में इंट्रोवर्ट थे विनोद खन्ना
स्वामी चैतन्य कीर्ति के मुताबिक, विनोद खन्ना जब शुरूआत में पुणे के ओशो आश्रम आते थे, तो वो इंट्रोवर्ट थे और लाइफ से जुड़े जवाब की खोस में थे. लेकिन धीरे-धीरे ध्यान करते हुए उनको शांति मिली और वो पूरी तरह से बदल गए.
चैतन्य कीर्ति बताते हैं कि धीरे-धीरे विनोद इंट्रोवर्ट से मिलनसार बन गए. इस दौरान उन्होंने कभी भी स्टार स्टेटस को मेनटेन करने की नहीं सोची. विनोद खन्ना जब आश्रम पहुंचते तो उन्हें गेट पर ऑटो वाले रोककर फोटोग्राफ लेने के लिए पूछते और वो खुशी से उनके साथ हो लेते.
विनोद खन्ना से बन गए विनोद भारती
विनोद खन्ना 1982 में अपने करियर के शिखर पर स्टारडम को एक तरफ छोड़कर अमेरिका में ओशो आश्रम चले गए. परंपरा के मुताबिक, यहां सभी शिष्यों को काम दिए जाते थे तो विनोद खन्ना को भी काम दिया गया और ओशो ने उन्हें विनोद खन्ना से विनोद भारती बना दिया.
विनोद खन्ना को माली का काम मिला. इस काम में उन्हें गार्डेन की देखभाल करनी होती थी. और विनोद खन्ना ने ये किया. वो पौधों को पानी देता और उनकी कटाई-छंटाई भी करते.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कीर्ति ने बताया कि- विनोद ने 1982 से 1985 तक माली के तौर पर पूरे मन से काम किया. और आध्यात्मिक रूप से विकसित इंसान के तौर पर उभरकर सामने आए. इसके बाद, विनोद खन्ना जब वहां से वापस लौटे तो उन्होंने राजनीति में भी शामिल होकर अपनी सेवाएं दीं.
सांसद बनने के दौरान भी उन्होंने ओशो से नाता नहीं तोड़ा और बाद में बी धर्मशाला में मौजूद ओशो निसर्ग जाते रहे. कीर्ति ने ये भी बताया कि विनोद ने पूरा जीवन संन्यासी की तरह ही बिताया.
और पढ़ें: Amitabh Bachchan के पास था एक प्यारा सा डॉग, दुनिया को कहा अलविदा तो हो गई थी बिग बी की हालत खराब