तानाजी: आज ही के दिन मराठा सैनिकों ने मुगलों से छीन लिया था सिंहगढ़ का किला
मराठा शौर्य का जीती जागती मिशाल है सिंहगढ़ का किला. इस किले को जीतने में शिवाजी के सबसे विश्वास पात्र तानाजी ने अपनी जान न्यौछावर कर दी. आज के ही दिन इस किले को मराठा सैनिकों ने मुगलों से आजाद करा लिया था.

नई दिल्ली: जिस समय दिल्ली के तख्त पर मुगलों का परचम लहरा रहा था. तब महाराष्ट्र की धरती पर मुगलों को शिकस्त देने की रणनीति तैयार हो रही थी. इस रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी तानाजी की, जिनका पूरा नाम था तानाजी मालसुर. तानाजी के शौर्य पर एक फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें अजय देवगन 'तानाजी' के रोल में नजर आए थे.
4 फरवरी 1670 की रात थी. इस दिन पुणे के सिंहगढ़ जिसे कोंढाणा का किला भी कहा जाता है को जीतने के लिए तानाजी और मुगलों के बीच जबरदस्त युद्ध हुआ. इस युद्ध में शिवाजी की सेना की जीत हुई और किले पर कब्जा कर लिया गया लेकिन इस युद्ध में तानाजी वीरगति को प्राप्त हो गए.
तानाजी अपने बेटे की शादी को लेकर व्यस्त थे. सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. निमत्रंण बांटने का काम चल रहा था. तानाजी शिवाजी को स्वयं अपने हाथों से बेटे के विवाह का न्यौता देना चाहते थे. इसलिए वे शिवाजी के पास पहुंचे. तानाजी जब वहां पहुंचे तो मालूम हुआ कि शिवाजी सिंहगढ़ पर विजय हासिल करने की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं.
इसी दौरान तानाजी ने निश्चय किया कि बेटे की शादी बाद में होगी पहले इस किले को मुगलों से मुक्ति कराएंगे. क्योंकि यह एक सम्मान हासिल करने की लड़ाई थी. इस किले की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुगल बादशाह औरंगजेब ने उदयभान राठौड को सौंपी हुई थी. यह किला दो हजार साल पुराना है, जो समुद्र तल से 700 मीटर ऊंचाई पर बना हुआ है. 1665 में मुगल सल्तनत और शिवाजी के बीच पुरंदर की संधि हुई थी. जिसके चलते सिंहगढ़ का किला औरंगजेब को मिला था. इसके अतिरिक्त 23 अन्य किले भी मुगलों को दिए गए थे.
ये संधि शिवाजी के जेहन में हमेशा खटकती रही. वे इस किले को हर हाल में वापिस लेना चाहते थे. शिवाजी ने रणनीति तैयार की और किले को फतेह करने की जिम्मेदारी तानाजी को सौंपी. तानाजी ने अपने भाई सूर्या मालुसरे के साथ किले की तरफ रुख किया.
सिंहगढ़ का किला पहाड़ियों में सीधी चढ़ाई पर था. किले को फतेह करने में कई चुनौतियां थीं. इसलिए तानाजी ने एक योजना बनाई और रात के अंधेरे में तानाजी अपने सैनिकों को लेकर किले की चढ़ाई शुरू कर दी. तानाजी के भाई किले एक द्वार जिसे कल्याण द्वारा कहा जाता था उसतक पहुंच गए और दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगे.
तानाजी के हमले की जानकारी जैसे मुगलों की सेना की हुई. भयंकर जंग छिड़ गई. मुगलों के किलेदार उदयभान राठौड़ ने मोर्चा संभाल लिया. कम सैनिक होने के बाद भी तानाजी के सैनिक मुगलों की सेना पर भारी पड़ गए. मराठा सैनिक किले के अंदर प्रवेश कर गए. किले के अंदर मराठा और मुगलों के सैनिकों के बीच भीषण युद्ध हुआ. किले की दिवारें खून से लाल हो गईं.
तानाजी और उदयभान के बीच घमासान युद्ध हुआ. इस युद्ध में तानाजी लड़ते लड़ते घायल हो गए और बाद में वे वीरगति को प्राप्त हो गए. लेकिन वे किला जीतने में सफल रहे. जब शिवाजी को इस बात का पता चला तो उन्होने कहा कि 'गढ़ आला, पन सिंह गोला'. जिसका मतलब ये था कि किला तो जीत लिया लेकिन अपना शेर खो दिया.
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Source: IOCL





















