IAS Success Story: नौकरी के साथ नंदिनी दूसरी बार में बनीं टॉपर, अनुशासन को मानती हैं सफलता का मूल मंत्र
नंदिनी महाराज ने, साल 2018 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 42वीं रैंक के साथ टॉप किया था. इस दौरान वे अपनी हॉबी डांसिंग और नौकरी भी कर रही थी. कैसे मैनेज किया नंदिनी ने इतना कुछ एक साथ. आइये जानते हैं.

Success Story Of IAS Topper Nandini Maharaj: नंदिनी महाराज उन कैंडिडेट्स में से हैं जिनके पास समय को मैनेज करने की जादूई ताकत होती है. जहां कुछ कैंडिडेट केवल यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के बाद भी उसे क्रैक नहीं कर पाते वहीं नंदिनी न केवल परीक्षा की तैयारी कर रही थी बल्कि साथ में एक कोचिंग संस्थान में पढ़ा भी रही थी और अपनी हॉबी डांसिंग के लिए भी रोज वक्त निकालती थी. नंदिनी कहती हैं वे घंटों किताबें लेकर नहीं बैठती थी पर जितना पढ़ती थी उतना ध्यान लगाकर पढ़ती थी. यही वजह थी कि नौकरी के साथ ही हॉबी के लिए समय निकलने के बावजूद नंदिनी पढ़ाई के लिए समय निकाल लेती थी. आज जानते हैं कैसे नंदिनी ने इतना कुछ एक साथ मैनेज किया.
हमेशा से पढ़ाई में थी ब्रिलिएंट –
नंदिनी पढ़ाई में हमेशा से अच्छी थी और बचपन से ही उनके अंक अच्छे आते थे. क्लास दस में उनका सीपीजीए 9.6 था जबकि क्लास बारहवीं उन्होंने 89 प्रतिशत अंकों के साथ पास की थी. इसके बाद उन्होंने लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली से हिस्ट्री में बीए ऑनर्स किया. आगे की पढ़ाई के लिए नंदिनी यूके चली गईं जहां से उन्होंने अप्लाइड ह्यूमन राइट्स में एमए की डिग्री ली. इस दौरान नंदिनी ने अपनी पोल डांसिंग भी जारी रखी. यही नहीं वे बीच-बीच में बच्चों को पढ़ाती भी थी, टीचिंग उनका पसंदीदा काम हमेशा से रहा है. अपने इस शौक को उन्होंने बाद में भी जिंदा रखा जब यूपीएससी की तैयारी के दौरान भी वे एक कोचिंग संस्थान में हिस्ट्री पढ़ाती रहीं. नंदिनी को लगता था इससे उनका बढ़िया रिवीजन हो जाता है. उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट भी हिस्ट्री ही था.
नंदिनी के टिप्स –
यूपीएससी की तैयारी के संबंध में नंदिनी कहती हैं कि उन्हें पढ़ने के लिए 6 से 7 घंटे का टाइम ही मिलता था पर वे इस समय को भरपूर इस्तेमाल करती थी. उन्होंने अपने रिर्सोस सीमित रखे और उन्हें ही बार-बार पढ़ा. केवल इकोनॉमिक्स के लिए नंदिनी ने कई सारे सोर्स यूज किए क्योंकि उन्हें लगता था यह विषय उनका थोड़ा कमजोर है. न्यूज पेपर वे लगातार पढ़ती रही और करेंट अफेयर्स के लिए नेट पर कुछ बड़ी आईएएस परीक्षा की तैयारी कराने वाली वेबसाइट्स की मदद ली. चूंकि उनके माता-पिता दोनों ही ब्यूरोक्रेट्स हैं, इसलिए उन्हें अपने पैरेंट्स की भी खूब मदद मिली. उनकी बहन जोकि एक लॉयर हैं ने भी उन्हें तैयारी के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करके चीजों को समझने का एक अलग नजरिया दिया. नंदिनी ने आंसर राइंटिंग की बहुत प्रैक्टिस नहीं की क्योंकि उन्हें अपनी लेखनी पर भरोसा था पर वे टेस्ट पेपर खूब सॉल्व करती थी. नंदिनी कहती हैं एक बार आप सबकुछ न पढ़ पाएं ऐसा हो सकता है पर बहुत से टेस्ट पेपर सॉल्व करने से आपको प्रश्नों की अपरोच पता चल जाती है साथ ही आप यह सीख पाते हैं कि कैसे आंसर्स को गेस किया जा सकता है. शुरू में टेस्ट सीरीज में उनके अंक अच्छे नहीं आते थे पर वे इससे निराश नहीं हुईं और लगातार प्रयास करती रही.
दूसरी बार में हुआ चयन –
नंदिनी कहती हैं कि पहली बार में सेलेक्शन न होने का कारण वे साफ देख सकती हैं. उन्होंने पहले अटेम्पट में ऐस्से और एथिक्स के पेपर पर जितनी मेहनत करनी चाहिए थी उतनी नहीं की थी साथ ही हिस्ट्री में उन्हें मैप में बहुत समस्या आ रही थी. इस परीक्षा में वे प्री तक ही पहुंची थी. अपने दूसरे प्रयास में नंदिनी ने सभी गलतियों को सुधारा और दोगुनी मेहनत से जुट गईं. इस बार उन्होंने ऐस्से भी लिखें और एथिक्स के विषय पर भी काम किया. डेढ़ महीने पहले से उन्होंने खूब टेस्ट देना शुरू कर दिए थे ताकि प्रश्नों के नेचर से वाकिफ हो सकें. नंदिनी कहती भी हैं कि मेरे हिसाब ये सिलेबस से पढ़ने के अलावा तैयारी करना का सबसे अच्छा तरीका है पिछले साल के अधिक से अधिक प्रश्न-पत्र हल करना. उन्होंने खुद पिछले पांच साल के पेपर हल किए थे. टॉपर्स के इंटरव्यू देखें पर अपने मतलब भर की बात ही उनसे सीखें और दोस्तों के साथ अपने उत्तर डिस्कस करें ताकि खुद की कमियां पता चल सकें. जब नंदिनी का मेन्स में भी हो गया तो उन्होंने अपनी पूरी जान लगा दी ताकि किसी भी कारण साक्षात्कार में फेल न हो जाएं. यहां भी मां-बाप की बहुत हेल्प मिली. अंततः नंदिनी की मेहनत सफल हुई और वे 42वीं रैंक के साथ सेलेक्ट हो गईं.
दूसरे कैंडिडेट्स को उनकी यही सलाह है कि किताबें सीमित रखकर पढ़ें और बार-बार पढ़ें. अपनी कमजोरियों पर समय रहते काम करें और पढ़ाई में कंसिसटेंसी बनाए रखें, सफलता जरूर मिलेगी.
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