(Source: Poll of Polls)
कितने पढ़े-लिखे हैं भारत आए तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी?
Amir Khan Muttaqi Education: क्या आप जानते हैं भारत आए तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी कितने पढ़े-लिखे हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं...

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी (Amir Khan Muttaqi) इन दिनों भारत दौरे पर हैं. वे 9 से 16 अक्टूबर तक भारत की यात्रा पर रहेंगे. यह यात्रा इसलिए खास है क्योंकि यह पहली बार है जब किसी तालिबान सरकार के मंत्री ने भारत का दौरा किया है. इस यात्रा को भारत और अफगानिस्तान (तालिबान शासन) के बीच संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर तालिबान के विदेश मंत्री कितने पढ़े-लिखे हैं? आइए जानते हैं आमिर खान मुत्तकी की कहानी वह कैसे एक साधारण गांव से होकर अफगानिस्तान की सत्ता के शिखर तक पहुंचे. आमिर खान मुत्तकी का जन्म 7 मार्च 1970 को हिल्मंद प्रांत के नद अली जिले के जरगुन गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम हाजी नादिर खान था. मुत्तकी मूल रूप से पक्तिया प्रांत के रहने वाले हैं, लेकिन बाद में उनका परिवार हिल्मंद चला गया.
रिपोर्ट्स के अनुसार आमिर खान मुत्तकी ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने ही गांव की मस्जिद में हासिल की. यहीं से उन्होंने इस्लामी और पारंपरिक धार्मिक ज्ञान की पढ़ाई शुरू की. उस समय अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष का दौर था, लेकिन मुत्तकी की पढ़ाई जारी रही.
पाकिस्तान में शरण और शिक्षा
रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1979 में अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट शासन और सोवियत आक्रमण के बाद उनके परिवार को देश छोड़ना पड़ा. सिर्फ 9 साल की उम्र में आमिर खान मुत्तकी पाकिस्तान चले गए. वहां उन्होंने अफगान शरणार्थियों के लिए बने धार्मिक स्कूलों में पढ़ाई की. इन मदरसों में उन्होंने कुरान, हदीस, फिक्ह और अन्य इस्लामी विषयों की शिक्षा प्राप्त की. धीरे-धीरे वे धार्मिक शिक्षा में निपुण होते गए और अपने समुदाय में एक जानकार व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने लगे.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि मुत्तकी ने सोवियत समर्थित सरकार के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा लिया. उन्होंने हेलमंद प्रांत में चल रहे संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया. डॉ. नजीबुल्ला की सरकार के पतन के बाद मुत्तकी ने अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी करने में जुट गए.
प्रमुख वार्ताकार और कूटनीतिज्ञ
आमिर खान मुत्तकी न केवल एक धार्मिक विद्वान हैं बल्कि एक अनुभवी राजनयिक भी हैं. उन्होंने तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के निर्देश पर कई बार अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में हिस्सा लिया.
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Source: IOCL
























