AI बदल रहा भारत का हायर एजुकेशन, 60% यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में AI Tools की एंट्री
Artificial Intelligence: देश की बड़ी यूनिवर्सिटी और कॉलेज अब तेजी से AI टूल्स को अपना रहे हैं. इससे न सिर्फ एजयूकेशन की क्वालिटी बेहतर हो रही है, बल्कि स्टूडेंट्स का एक्सपीरियंस बदलता जा रहा है.

Artificial Intelligence: आज हम एक ऐसे दौर में हैं जहां टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है. चाहे हेल्थ हो, बैंकिंग या फिर एजुकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (AI) ने हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है. यह सिर्फ विज्ञान फिक्शन की चीज नहीं रही, बल्कि अब यह हमारे क्लास रूम, शिक्षण सामग्री और इवेल्यूएशन सिस्टम का हिस्सा बन चुकी है. भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली भी इस बदलाव से पीछे नहीं रही है.
देश की यूनिवर्सिटी और कॉलेज अब तेजी से AI टूल्स को अपना रहे हैं. इससे न सिर्फ क्वालिटी एजुकेशन बेहतर हो रही है, बल्कि स्टूडेंट्स का एक्सपीरियंस भी ज्यादा पर्सनल और इंटेलिजेंट बनता जा रहा है. हाल ही में आई Ernst & Young-Parthenon और FICCI की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के कई बड़े उच्च शिक्षा संस्थान AI को अपनाने में आगे निकल चुके हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं इस नई रिपोर्ट में क्या बताया गया है और कैसे भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली बदल रही है?
AI का बढ़ता असर
इस रिपोर्ट का नाम Future Ready Campuses Unlocking the Power of AI in Higher Education है. इसमें देश के 30 बड़ी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों का अध्ययन किया गया, जिससे यह पता लगाया जा सके कि भारत के Higher Education Institutions, AI का कितना और किस प्रकार से यूज कर रहे हैं. रिपोर्ट में पता चला कि 50 प्रतिशत से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थान टीचिंग मटीरियल तैयार करने के लिए AI आधारित टूल्स का यूज कर रहे हैं. साथ ही 60 प्रतिशत संस्थान छात्रों को अपने प्रोजेक्ट्स और असाइनमेंट्स में AI टूल्स के यूज की अनुमति दे रहे हैं. इसके अलावा 56 प्रतिशत संस्थानों ने AI से संबंधित नीतियां पहले से लागू कर दी हैं. 40 प्रतिशत कॉलेज और यूनिवर्सिटी AI आधारित चैटबॉट्स और ट्यूटरिंग सिस्टम यूज कर रहे हैं. 39 प्रतिशत ने एडेप्टिव लर्निंग प्लेटफॉर्म अपनाए हैं और 38 प्रतिशत संस्थान परीक्षा की कॉपियों की ऑटोमैटिक जांच यानी Automated Grading का यूज कर रहे हैं.
कैसे बदल रहा हायर एजुकेशन सिस्टम
रिपोर्ट के अनुसार, AI का इस्तेमाल सिर्फ एक-दो जगह नहीं बल्कि शिक्षा के कई हिस्सों में किया जा रहा है. जैसे पर्सनल और स्मार्ट लर्निंग सिस्टम, प्लेजरिज्म डिटेक्शन यानी नकल पकड़ने की तकनीक, कैरियर गाइडेंस और करिकुलम डिजाइन करना, AI आधारित चैटबॉट्स जो छात्रों की क्वेरी का जवाब तुरंत दे सकते हैं और पढ़ाई का मटेरियल खुद बना सकते हैं. हालांकि, जैसे-जैसे AI का उपयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे डेटा प्राइवेसी की चिंता भी बढ़ रही है. AI सिस्टम आमतौर पर छात्रों की जानकारी जैसे सबमिशन डेटा, बायोमेट्रिक जानकारी और ऑनलाइन एक्टिविटी को स्टोर करते हैं. इससे डेटा लीक और गोपनीयता भंग होने का खतरा बढ़ जाता है.
इस रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि सभी करिकुलम में AI Literacy को जोड़ा जाए. इसके साथ ही, STEM के छात्रों को मशीन लर्निंग, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, और रोबोटिक्स जैसे एडवांस टॉपिक्स भी सिखाने की सलाह दी गई है. रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि अगर भारत को AI का अच्छे से फायदा उठाना है, तो AI को शिक्षा और प्रशासन के हर हिस्से में शामिल करना होगा, मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा, शिक्षकों को AI टूल्स की ट्रेनिंग देनी होगी और गवर्नेंस फ्रेमवर्क बनाना होगा.
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Source: IOCL






















