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Bank Loan: जानिए बैंकों के लोन Write-Off और Loan Waiver में क्या है अंतर?

Write-Off - Loan Waiver: 5 सालों में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम को बट्टे खाते (Write-Off) में डाल दिया है. वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल कर्ज माफी (Waive Off) का वादा कर रहे हैं.

Write-Off And Loan Waiver: आए दिन हम लोन के  राइट ऑफ (Write-off) और लोन वेवर (Loan Waiver) यानि कर्ज माफी की बात सुनते हैं. विपक्षी पार्टियां हमेशा सरकार को बैंकों के लोन Write-off को लेकर उसपर निशाना साधती रहती है. तो किसानों के लिए कर्ज माफी की मांग आए दिन हम राजनीतिक दलों द्वारा सुनते हैं. आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि लोन के Write-off और Loan Waiver में क्या अंतर है. मीडिया के हवाले से ये खबर सामने आई है कि बीते 5 सालों में बैंकों के 10 लाख करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए गए हैं. 

क्या होता है लोन राइट ऑफ? 
बैंकों के लोन Write-Off को कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया जाता भी कहा जाता है.  कोई भी व्यक्ति कर्ज चुकाने की क्षमता रखता है बावजूद इसके वो बैंकों का कर्ज वापस नहीं कर रहा तो कर्ज न चुकाने वाले कर्जदारों को विलफुल डिफाल्टर (Willful Defaulter) कहा जाता है. तमाम प्रयासों और कानूनी कार्रवाई के बाद भी बैंक इन लोगों से कर्ज नहीं वसूल पाती है तो RBI के नियमों के अनुसार बैंक ऐसे कर्ज को राइट ऑफ कर देते हैं. यानी बट्टे खाते में डाल देते हैं. बैंक ऐसे कर्ज कोडूबा हुआ मानकर चलते हैं.  

कोई भी व्यक्ति या कंपनी बैंक से लिए गए लोन को वापस नहीं कर पाती है तो 90 दिनों में वसूली नहीं होने पर उस लोन के खाते को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) मान लिया जाता है. और एनपीए के वसूली नहीं होने पर उसे राइट ऑफ घोषित कर दिया जाता है. इसका मतलब ये नहीं कि कर्ज माफ कर दिया गया है. राइट ऑफ यानि में बट्टे खाते में  डालने का मतलब है कि बैंकों के बैंलेसशीट में इसका जिक्र नहीं होगा जिससे बैलेंसशीट बेहतर दिखाई दे. राइट ऑफ के बावजूद बैंक के तरफ से लोन वसूली की कार्रवाई जारी रहती है. पिछले 5 सालों में 10,09,510 करोड़ यानी (123.86 अरब डॉलर) के कर्जों को बट्टे खातों में डाल दिया गया है जिससे बैंकों को अपने नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स को घटाने में मदद मिली है.

क्या है लोन Waive Off? 
जब भी कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है लेकिन वित्तीय संकट के चलते लोन वापस नहीं पाता है ऐसे परिस्थिति में उसे दिए गए लोन को Waive Off यानि कर्ज माफ कर दिया जाता है. ऐसे परिस्ठिति किसानों के साथ देखी गई है. 2008 में तात्कालीन यूपीए सरकार ने देशभर के किसानों के 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज माफ कर दिए थे. इसके बाद कई राज्य सरकारों ने अपनी तरफ से अपने राज्य के किसानों का कर्जा माफ किया है. किसानों के कर्ज माफी को ही लोन Waive Off कहा जाता है. इन दिनों जिस भी राज्यों में चुनाव हो रहा होता है वहां राजनीतिक दल वोट बटोरने के लिए किसानों के कर्ज माफ करने का लोकलुभावन वादा करते हैं. 

इसलिए ये ध्यान देना बेहद जरूरी है कि लोन Waive Off और Write-Off में भारी अंतर है. Waive Off यानि कर्ज माफी का मतलब है लोन लेने वाले व्यक्ति को कर्ज लौटाने से छूट देना. जबकि बट्टे खाते यानि write-off के मामले में बैंक या वित्तीय संस्थान लगातार केंद्रीय एजेंसियों की मदद से लोन वसूलने का प्रयास करते रहते हैं. 

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