नए बजट से पहले बड़ा सवाल, क्या खत्म होने जा रहा है Old Tax Regime? जानें एक्सपर्ट्स की राय
यूनियन बजट 2026–27 को पेश होने में दो महीने से भी कम का समय रह गया है. अब यह सवाल कि, क्या सरकार अब पुराने टैक्स सिस्टम को पूरी तरह से बंद करने वाली हैं?

Old Tax Regime Removal Possibility: यूनियन बजट 2026–27 को पेश होने में दो महीने से भी कम का समय रह गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का तीसरा यूनियन बजट पेश करेंगी. हर साल की तरह इस साल भी लोगों को बजट से टैक्स से जुड़ी कुछ उम्मीदें हैं.
उसमें से एक सवाल यह है कि, क्या सरकार अब पुराने टैक्स सिस्टम को पूरी तरह से बंद करने वाली हैं? यूनियन बजट 2026–27 के आने से पहले कयास तेज हैं कि, सरकार के द्वारा पुराने टैक्स सिस्टम को हटाने पर विचार किया जा सकता है. ज्यादातर करदाता पहले ही नए टैक्स सिस्टम में शिफ्ट हो चुके हैं.
आंकड़ों की बात करें तो, फाइनेंशियल ईयर 2024–25 में करीब 9.19 करोड़ लोगों ने अपना ITR फाइल किया था. अनुमान है कि फाइनेंशियल ईयर 2025–26 में यह संख्या बढ़कर लगभग 10 करोड़ तक पहुंच सकती है. 75 फीसदी करदाता पहले ही नए सिस्टम को अपना चुके हैं.
ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि, अब यह हिस्सेदारी बड़े आराम से 80 प्रतिशत के ऊपर चली जाएगी. हालांकि, पुराने टैक्स सिस्टम को लेकर संशय बना हुआ है कि, क्या सरकार इसे खत्म कर देगी. फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि, इसकी संभावना कम है. इसके पीछे कई ठोस कारण हैं.....
1. देश का सेविंग्स स्ट्रक्चर अभी भी पुराने सिस्टम पर है निर्भर
ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर संदीप भल्ला ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया कि, पुराना टैक्स सिस्टम लंबे समय से भारतीय घरेलू बचत का मजबूत हिस्सा रहा है. सेक्शन 80C, 80D और 24(b) जैसे टैक्स डिडक्शन लोगों को PPF, EPF, लाइफ इंश्योरेंस, पेंशन प्लान और घर खरीदने की ओर आकर्षित करते हैं. उन्होंने कहा कि, अचानक से इन इंसेटिव को हटाने से भारतीय सेविंग रेट कमजोर हो सकती है. साथ ही लाखों लोगों का रिटायरमेंट प्लान खतरे में आ सकता हैं.
2. कैश फ्लो अभी भी कैश संबंधी प्रोडक्ट पर है आधारित
संदीप भल्ला के अनुसार, भारत के मिडिल क्लास के एक बहुत बड़े हिस्से ने अपनी आर्थिक तैयारी टैक्स सेविंग को ध्यान में रखकर बनाई हैं. बहुत से लोगों ने टैक्स बेनिफिट्स को ध्यान में रखकर लॉन्ग-टर्म होम लोन, इंश्योरेंस पॉलिसी और पेंशन जैसे स्कीम का चुनाव किया है. अचानक से हुए बदलाव के कारण इनमें रुकावट आ सकती है. साथ ही इसको लेकर असंतोष की भावना भी पैदा हो सकती है.
3. डुअल फ्रेमवर्क इकॉनमी को करती है मदद
उन्होंने कहा कि, डुअल फ्रेमवर्क इकॉनमी में अचानक आने वाले बिहेवियरल शॉक से बचाव का काम करती है. नए सिस्टम क साथ-साथ पुराने सिस्टम को बनाए रखने से पूरा भरोसा बनाने में मदद मिलती है. साथ ही उन्होंने बताया कि, बिजनेस और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन भी चीजों को पहले जैसे चलाने में यकीन रखती है. अचानक से पुराने सिस्टम को हटाने से विवाद बढ़ सकता है.
4. आसानी से हो रहा है काम
जोतवानी एसोसिएट्स के एडवोकेट शरण्य त्रिपाठी के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पहले से ही दोनों सिस्टम के तहत रिटर्न को आसानी से संभाल रहा है. पुराने टैक्स सिस्टम को खत्म करने से कई सेक्शन में बदलाव करने होंगे. जिससे कई तरह की परेशानी हो सकती है.
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Source: IOCL























