क्या गांधी परिवार से बाहर का नेता ही इस बार संभालेगा कांग्रेस की कमान?

क्या इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर से ही कोई नेता बनेगा? ये सवाल उठने की बड़ी वजह राहुल गांधी का वह बयान है,जो उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान शुक्रवार को तमिलनाडु की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया है. दूसरा कारण है कि सालों बाद ये देखने को मिल रहा है कि पार्टी के कई नेता अध्यक्ष के चुनाव को लेकर उत्सुक होने के साथ ही गंभीर भी हैं. पार्टी के पांच नेताओं ने चुनाव प्रमुख को चिट्ठी लिखकर मतदाता सूची सार्वजनिक करने और उसे सभी संभावित उम्मीदवारों को उपलब्ध कराने की मांग की है.
हालांकि राहुल ने बेहद चतुराई से दिए जवाब में अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वे पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे या नहीं. लेकिन ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इस बार गांधी परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव-मैदान में न उतरकर देश को ये संदेश देना चाहता है कि उनमें अध्यक्ष पद का कोई मोह नहीं है और पार्टी की मजबूती के लिए वह सब कुछ त्याग सकते हैं. दरअसल, शुक्रवार की पत्रकार-वार्ता में राहुल गांधी से सवाल पूछा गया था कि वे चुनाव लड़ेंगे या नहीं? इसके जवाब में उन्होंने कहा- "मैंने इस पर अपना फैसला कर लिया है, मेरे मन में अब कोई भ्रम नहीं है. मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं. मैं कांग्रेस का अध्यक्ष बनेंगे या नहीं, यह बात तब पता चल जाएगी जब कांग्रेस के संगठन चुनाव होंगे. अगर मैं नामांकन नहीं करता तब आप सवाल पूछ सकते हैं. चुनाव नहीं लड़ा, तो आपको इसकी वजह भी बता दूंगा. मुझे क्या करना है, इसे लेकर मैं पूरी तरह से क्लियर हूं. मेरे दिमाग में कोई कन्फ्यूजन नहीं है."
वैसे तो राहुल पहले भी कई बार कह चुके हैं कि वे अध्यक्ष नहीं बनना चाहते लेकिन पार्टी में नेताओं का एक खेमा ऐसा है, जो गांधी परिवार के हाथ में ही पार्टी की कमान रखने के पक्ष में है. इसमें मल्लिकार्जुन खड़गे, सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अशोक गहलोत जैसे वरिष्ठ नेता हैं,तो वहीं रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन से लेकर प्रमोद तिवारी जैसे दूसरी पंक्ति के नेता भी हैं जो खुलकर इसकी वकालत करते आये हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक भारत जोड़ो यात्रा शुरु करने से पहले हुई CWC की बैठक में ही राहुल ने ये साफ कर दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते. लेकिन फिर भी खड़गे और सलमान खुर्शीद ने दावा किया था कि उनको मना लिया जाएगा.
लेकिन चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर जिस तरह की हलचल मची हुई है, उससे लगता है कि इस बार अध्यक्ष पद का चुनाव दिलचस्प होगा. बीते दिनों ही कांग्रेस के पांच वरिष्ठ सांसदों ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदाता सूची सार्वजनिक करने की अपनी मांग दोहराई है. उन्होंने कहा कि निर्वाचक मंडल बनाने वाले पीसीसी प्रतिनिधियों की सूची सभी मतदाताओं और संभावित उम्मीदवारों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए. एआईसीसी केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री को लिखे पत्र में, उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि जब तक ऐसा नहीं किया जाता है, तब तक चुनाव प्रक्रिया की “पारदर्शिता और निष्पक्षता” पर सवाल उठाए जा सकते हैं.
ये पत्र संयुक्त रूप से शशि थरूर, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम, प्रद्युत बोरदोलोई और अब्दुल खालिक ने लिखा था. हालांकि मिस्त्री ने उस चिट्ठी का जवाब देते हुए पांचों सांसदों को आश्वस्त किया है समूची चुनाव प्रक्रिया में पूरी निष्पक्षता व पारदर्शिता बरती जायेगी और कहीं कोई गड़बड़ी नहीं होगी. शशि थरूर, मिस्त्री के जवाब से संतुष्ट हैं और शनिवार को उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर उस पत्र को शेयर भी किया है. शशि थरुर की सक्रियता को लेकर ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि G-23 गुट के नेता थरुर को चुनाव-मैदान में उतारने की तैयारी में है.पार्टी मुख्यालय में खुसफुसाहट है कि अगर थरुर ने अपना नामांकन भरा,तो ग़ांधी परिवार और उनके करीबी वरिष्ठ नेता राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अपना दांव लगा सकते हैं.
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