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असम में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई हिंसा से उठे सवाल, आखिर ऐसी 'तालिबानी' मानसिकता को कौन दे रहा बढ़ावा?
![असम में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई हिंसा से उठे सवाल, आखिर ऐसी 'तालिबानी' मानसिकता को कौन दे रहा बढ़ावा? The question raised by the violence between the police and the local people in Assam who is promoting such a Taliban mentality असम में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई हिंसा से उठे सवाल, आखिर ऐसी 'तालिबानी' मानसिकता को कौन दे रहा बढ़ावा?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/09/23/63b699d5a6ea335d7d63f416418d57cf_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
असम में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई हिंसा का एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जो हैवानियत का ताजा सबूत है और साथ ही जो ये सवाल भी उठाता है कि समाज को आखिर किस बर्बर युग की तरफ ले जाया जा रहा है. पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे एक व्यक्ति को पहले गोली मार देना और फिर उसकी लाश पर कूदने को क्या किसी सभ्य समाज की पहचान कहेंगे? ये अफगानिस्तान की नहीं बल्कि हिंदुस्तान की तालिबानी मानसिकता को दर्शाता है.
ऐसी मानसिकता वाले व्यक्ति के साथ अगर सख्ती से नहीं निपटा गया तो इसे और बढ़ावा मिलेगा और अंततः समाज वहशीपन के उस रास्ते पर आगे बढ़ने लगेगा जहां सिवा तबाही के और कुछ नहीं हासिल होने वाला है. चूंकि असम एक संवेदनशील राज्य है और ये पूरा मामला एक अल्पसंख्यक शख्स की मौत और उसके शव के साथ की गई बदसलूकी से जुड़ा है, लिहाजा राज्य की बीजेपी सरकार और पुलिस-प्रशासन पर सवाल उठने भी वाजिब हैं. लेकिन अब राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि वो दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई करते हुए इस चिंगारी को और भड़कने से पहले ही शांत करे, ताकि अल्पसंख्यकों में भी सुरक्षा का भरोसा पैदा हो सके.
दरअसल, पूरा मामला असम के दरांग जिले में गुरुवार को पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई हिंसक झड़प से जुड़ा है, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस गांव में रहने वाले आठ सौ परिवारों को वहां से हटाने पहुंची थी, इस दलील के साथ कि उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है. इस घटना का बेहद विचलित करने वाला जो वीडियो सामने आया है, उसमें एक फोटोग्राफर शव के साथ बर्बरता करता दिखाई दे रहा है. हैरानी की बात ये है कि ऐसी हैवानियत करने से न तो किसी पुलिस वाले ने उसे रोका और न ही तत्काल अपनी हिरासत में लिया, बल्कि छुट्टा छोड़ दिया गया.
वायरल हुए वीडियो के मुताबिक एक ग्रामीण पुलिस की ओर लाठी लेकर भागता दिख रहा है. इसके बाद पुलिस की कई बंदूकें और लाठी उसकी ओर तन जाती हैं. एक गोली लगते ही ग्रामीण नीचे गिर जाता है और फिर कई पुलिसवाले उस शख्स पर लाठियां बरसाकर उसे अधमरा कर देते हैं. इसके बाद भी कई पुलिसवाले घायल शख्स पर लाठियां बरसाते रहते हैं. कानून के इन पहरेदारों के बीच वहां मौजूद एक कैमरामैन आगे बढ़ता है और जमीन पर बेसुध हो चुके शख्स के सीने पर कूद जाता है, उसकी गर्दन को घुटने से दबाता है और उसको मुक्के मारता है.
इतना सब होने के बावजूद कानून की हिफाजत करने वाली पुलिस उसे बस वहां से चले जाने को कहती है. असम पुलिस की ये करतूत वायरल वीडियो के जरिए बाहर आई तो आला अफसरों समेत सरकार को भी जवाब देना मुश्किल हो गया. बाद में हमला करने वाले कैमरामैन बिजॉय बोनिया को गिरफ्तार कर लिया गया. अब इस घटना की सीआईडी जांच के आदेश दिए गए हैं. लेकिन घटना के गवाह रहे लोगों ने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाये हैं. लोगों का कहना है कि जिस शख्स को गोली मारी गई और बाद में जिसके शव के साथ बर्बरता की गई, उस शख्स के हाथ में सिर्फ एक डंडा था जबकि वहां भारी संख्या में हथियारबंद पुलिस मौजूद थी. ऐसे में, पुलिस अगर चाहती, तो आसानी से उस शख्स पर काबू पा सकती थी. लेकिन पुलिस ने उस पर गोली चलाई, लिहाजा ये पहले से ही तय था कि वहां हर हाल में गोली चलानी है.
शायद इसीलिए मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने इस मामले में जिले के एसपी पद पर तैनात मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के छोटे भाई को लेकर सरकार को घेरा है. कांग्रेस का दावा है कि दरांग के एसपी सीएम के छोटे भाई हैं और उनके आदेश पर ही गोली चलाई गई थी. लिहाजा उन्हें बर्खास्त किए बगैर ये मामला यों ही शांत नहीं होने वाला है. इस घटना के विरोध में ऑल असम माइनोरिटीज स्टूडेंट्स यूनियन, जमीयत और दूसरे संगठनों ने शुक्रवार को दरांग जिले में 12 घंटे का बंद रखकर सरकार के खिलाफ विरोध जताया है.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
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