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राज की बात: यूपी की चुनावी महाभारत में 'अर्जुन' कोई भी हो, सारथी रहेंगे तो सिर्फ पीएम मोदी

एक तस्वीर हजारों शब्दों पर भारी. इमोशन या भाव दिख जाएं तो लाखों शब्द उस पर वारी. सियासत में जो आप बोलते हैं. वादा करते हैं. आरोप लगाते हैं. इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कैसे आप अपनी बात कह पाते हैं. आपकी बाडी लैंग्वेज का असर भी गहरा होता है. अगर तस्वीर दो  व्यक्तित्वों की हो तो उनके बीच की केमेस्ट्री भी पढ़ी जाती है. चुनाव हों और कुछ बातें हों तो उस केमेस्ट्री से चुनावी गणित भी बन बिगड़ जाता है. बात अगर मोदी-योगी की हो तो ये केमेस्ट्री और उससे होने वाले नफा-नुकसान का गणित काफी दिलचस्प हो जाता है. राज की बात में बात होगी तस्वीरों के पीछे छिपी सियासत और उनके प्रभावों पर.

पीएम मोदी और सीएम योगी की फोटो पर गौर किया आपने? 
क्या आपने इन तस्वीरों पर गौर फरमाया जिनमें (योगी के कंधे पर मोदी वाली तस्वीरों के विजुअल) 21 नवंबर की यूपी के राजभवन की ये तस्वीर सबके दिलो-दिमाग पर छाई हुई है. मोदी के योगी के कंधे पर हाथ रखने का राज क्या है? इसके क्या मायने निकाले जाएं. मोदी क्या कह रहे हैं? इन तस्वीरों को योगी ने क्यों जारी किया. आखिर जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी? ऐसे तमाम सवाल सियासी फिजां पर तारी हैं. मनोवैज्ञानिक विश्लेषण भी हो रहे हैं. खास बात ये कि इन तस्वीरों को जमकर यूपी की सरकार और प्रदेश बीजेपी भी खूब प्रचारित कर रही है. यहां तक कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस तस्वीर पर अपने ही अंदाज में टिप्पणी की थी.

पीएम मोदी- सीएम योगी की तस्वीर ने खींचा भरोसे का खाका
खास बात ये है कि मोदी-योगी की तस्वीर को यूपी बीजेपी का ऐसा कोई नेता नहीं है, जिसने उसे सोशल मीडिया पर प्रसारित करने में अपना योगदान न दिया हो. इस पूरे प्रचार और प्रसार का लब्बोलुआब ये कि पीएम मोदी का योगी पर न सिर्फ पूरा भरोसा है, बल्कि पीएम की प्रदेश के सीएम के साथ केमेस्ट्री भी बहुत अच्छी है. जमीन पर तो पता नहीं, लेकिन सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को बीजेपी ने ऐसे पेश किया कि जैसे यूपी का चुनाव हो गया हो और योगी को शपथग्रहण के लिए मोदी लिए जा रहे हैं. सबसे बड़ी बात कि सीएम कार्यालय और योगी के मीडिया मैनेजरों के लिए ये फोटो बड़ी राहत थी.

विपक्ष के प्रसारित किए वीडियो से बढ़ी हुई थी बीजेपी की परेशानी
तुरंत मुख्यमंत्री योगी के ट्विटर और तमाम सोशल मीडिया हैंडल से तस्वीर बढ़ा दी गई. राज की बात ये है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर एक सामान्य वीडियो को जिस तरह से विपक्ष ने प्रचारित किया था. इससे बीजेपी के मीडिया मैनेजरों की परेशानी थोड़ी बढ़ी हुई थी. (एक्सप्रेस वे पर मोदी का गाड़ी में बैठकर जाना और योगी का पीछे पैदल आने वाला विजुअल) दरअसल, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर पीएम अपनी एसपीजी सुरक्षा घेरे वाली गाड़ी पर बैठकर आगे बढ़ गए. योगी पीछे पैदल चलते दिख रहे थे. ये सामान्य प्रोटोकाल था कि पीएम आगे गए और सीएम बाद में चले आए. मगर एसपी अध्यक्ष अखिलेश समेत तमाम नेताओं ने ट्वीट कर सोशल मीडिया पर पोस्ट ऐसे डाले कि जैसे मोदी ने योगी को पैदल कर दिया हो.

पीएम ने क्यों संभाली यूपी में कमान
अब राजनीति में ये सब संदेश बेहद अहम होते हैं. अब तस्वीरों और विजुअल का जनता के मानस पर क्या असर पड़ता है, इसे शायद ही पीएम मोदी से ज्यादा कोई समझता हो. वो जानते थे कि सोते हुए दो-तीन बार पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की फोटो क्या छपी, उनकी छवि सोने वाले पीएम के रूप में अंकित हो गई. यूपी न सिर्फ अभी बल्कि लोकसभा के लिहाज से भी बीजेपी के लिए बेहद अहम है. इसीलिए, पीएम ने विपक्ष के प्रचार की हवा निकालने के लिए खुद ही कमान संभाली.

सीएम योगी से पीएम की मुलाकात की तस्वीरों का क्या अर्थ निकाला जाए
वह 21 नवंबर को जब लखनऊ राजभवन पहुंचे तो बिना किसी कार्यक्रम के ही योगी को वहां बुला लिया. राज्यपाल आनंदीबेन उस समय गुजरात में थीं किसी व्यक्तिगत कार्यक्रम के सिलसिले में. वहीं पर मोदी-योगी की न सिर्फ बातचीत हुई, बल्कि योगी के साथ वो टहले भी. उसी समय राजभवन में मौजूदा सूचना विभाग के फोटोग्राफर ने उनकी ये तस्वीरें उतारीं. अब आप समझ ही सकते हैं कि तस्वीर यूं ही कोई नहीं खींच सकता. बाकयदा पीएम ने जिस आत्मीयता और शिद्दत के साथ योगी से बात की, वह कैमरे की नजरों में कैद हो गई-जो अब चर्चा का सबब है.

पीएम ने दी केशव प्रसाद मौर्या को भी तरजीह
बात यहीं खत्म नहीं होती. बात जेवर हवाई अड्डे के वीडियो की भी जरूरी है. यहां पर योगी के साथ उपमुख्यमंत्री केशव  प्रसाद मौर्य भी प्रमुखता से थे. एक ये तस्वीर भी दिखी (मौर्या और योगी का हाथ उठाकर अभिवादन करने की तस्वीर) इसमें पीएम मोदी कैसे मौर्या को सबसे ज्यादा तरजीह देते हुए आगे बुलाते हैं और एक हाथ में योगी और दूसरे हाथ में मौर्या का हाथ लेकर जनता का अभिवादन करते हैं. बताना जरूरी है कि 2017 में बीजेपी चुनाव जीती थी तो मौर्या प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष थे और ओबीसी व हिंदुत्व में पगा हुआ चेहरा भी.

केशव प्रसाद मौर्या को दी गई अलग से तवज्जो
ये अलग बात है कि सीएम योगी बन गए, लेकिन मौर्या का कद हमेशा यूपी की सियासत में बड़ा ही रहा. कार्यकर्ताओं के बीच मौर्या सबसे लोकप्रिय नेता हैं. साथ ही ओबीसी और हिंदुत्व में पगी उनकी छवि बीजेपी के लिए अहम है. ऐसे में मौर्या का पूर्वांचल एक्सप्रेस वे कार्यक्रम में न होना जहां सवाल था तो यहां उनको बुलाकर अलग से तवज्जो दे दी गई.

किसके नेतृत्व में यूपी का चुनाव- केशव प्रसाद मौर्या का ये था जवाब
अब ये सबको ही बता है कि यूपी में योगी और मौर्या के बीच खींचतान चलती रही है. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान बेलौस भी होते हैं. नेतृत्व को लेकर पूछे गए सवाल पर मौर्या हमेशा मोदी का ही नाम लेते रहे हैं. अभी पिछली बार मौर्या से पूछा गया था कि किसके नेतृत्व में चुनाव होगा तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि कमल के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे.

मतलब योगी की अगर जरूरत है तो मौर्या की भी. इस संतुलन को देखते हुए पीएम ने खुद ही कमान संभाली. खास बात ये कि तस्वीरों और बयानों के माध्यम से हर सवाल का जवाब बिना कुछ कहे देने की कला ही मोदी को सबसे अलग बनाती है. जिस यूपी पर सारा दारोमदर फिलहाल बीजेपी का टिका है, वहां पर मोदी ने योगी की पीठ पर हाथ रखकर और केशव का हाथ उठाकर साफ संदेश दे दिया है कि अंत में इस चुनावी महाभारत के सारथी वहीं हैं, भले ही अर्जुन कोई भी हो. 

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नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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