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'द न्यूयॉर्क टाइम्स' प्रकरण से बढ़ेगी एलन मस्क की मुश्किलें, ब्लू टिक के लिए पैसा ट्विटर पर भरोसे को करेगा कम

इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला और रॉकेट स्पेस कंपनी स्पेसएक्स के संस्थापक और दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने जब से सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को खरीदा है, तब से वे अपने बयान और हरकतों की वजह से ज्यादा सुर्खियों में हैं.

ताजा मामला अमेरिकी अखबार 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' के ट्विटर अकाउंट से वेरीफाई चेक मार्क हटाने से जुड़ा है. आम भाषा में इसे ब्लू टिक हटाने से जुड़ा मुद्दा कह सकते हैं. हालांकि ट्विटर की ओर से बिजनेस अकाउंट को गोल्ड मार्क और निजी अकाउंट को ब्लू टिक दिया जाता है.

'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने ब्लू टिक के लिए एलन मस्क की कंपनी को कोई भी सब्सक्रिप्शन राशि देने से इंकार करने के बाद ट्विटर ने बड़ा फैसला लेते हुए इस अखबार की मुख्य प्रोफाइल से ब्लू टिक हटा लिया है.

दरअसल ट्विटर पर ब्लू टिक सत्यापित अकाउंट का एक तरह से बैज (verified account badge) है. इस तरह के ब्लू टिक वाले ट्विटर अकाउंट को वास्तविक माना जाता था और ये अकाउंट होल्डर के फर्जी होने की संभावना को भी खत्म कर देता था. ब्लू टिक को एक तरह से अथॉरिटी और विशेषज्ञता का भी परिचायक माना जाता था.

पहले ब्लू टिक और गोल्ड मार्क के लिए ट्विटर कंपनी कोई राशि वसूल नहीं करती थी. लेकिन एलन मस्क ने ट्विटर के मालिकाना हक़ को हासिल करते ही ऐलान कर दिया था कि भविष्य में इसके लिए कंपनी पैसा वसूल करेगी. भारत से बाहर निजी अकाउंट के लिए ये राशि 7 से 8 डॉलर प्रति महीने रखी गई है. वहीं बिजनेस अकाउंट के लिए ये राशि हजार डॉलर प्रति महीने रखी गई है. भारत में निजी अकाउंट को ब्लू टिक देने के लिए 900 रुपये की राशि ट्विटर कंपनी की ओर से तय की गई है. ट्विटर की ओर से कहा गया था कि जो भी नए लोग ब्लू टिक चाहते हैं, उनको इसके लिए एक तय राशि देनी होगी. साथ ही जिनको भी पहले ये बैज मिल चुका है, उन्हें भी एक अप्रैल 2023 से ये राशि देनी होगी.

राशि देने से मना करने पर 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ट्विटर का ब्लू टिक गंवाने वाला पहला बड़ा अखबार या समाचार समूह है. इसके अलावा द वाशिंगटन पोस्ट, सीएनएन और लॉस एंजिल्स टाइम्स भी ब्लू टिक की तरह गोल्ड मार्क के लिए ट्विटर को कोई भी राशि देने से  मना कर चुके हैं. इन सभी का कमोबेश यही मानना है कि जब पैसा देकर देकर कोई भी ब्लू टिक या गोल्ड मार्क ले सकता है, तो फिर इस बैज का महत्व ही नहीं रह जाता है.

जिस तरह से 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने ब्लू टिक के लिए पैसा देने से मना कर दिया, उससे भविष्य में ब्लू टिक के लिए हर किसी से सब्सक्रिप्शन राशि लेने की ट्विटर की मुहिम को धक्का पहुंचेगा, ये तय है. इसके पीछे मुख्य वजह से ये है कि जब से मस्क ट्विटर के मालिक बने हैं, ऐसा लगने लगा कि ट्विटर को वो पैसा कमाने की मशीन बनाना चाहते हैं.

अब तक ये बहस चल रही थी कि शायद बहुत बड़े पैमाने पर निजी अकाउंट होल्डर ब्लू टिक के लिए राशि देने से मना कर देंगे, लेकिन 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' के रवैये से ये भी जगजाहिर है कि भविष्य में बहुत बड़ी संख्या में बिजनेस अकाउंट होल्डर भी ब्लू टिक के लिए पैसे देने से इंकार करेंगे.

एलन मस्क के ब्लू टिक पर रवैये के विरोध में न सिर्फ मीडिया जगत के बड़े-बड़े दिग्गज सामने आ रहे हैं, बल्कि अमेरिका में व्हाइट हाउस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वो भी अपने कर्मचारियों के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट को भी सत्यापित करने के लिए राशि का भुगतान नहीं करेगा. ब्लू टिक के लिए पैसा देने की नीति का विरोध की मशहूर हस्तियों की ओर से भी हो रहा है. इनमें मशहूर अमेरिकन पेशेवर बास्केटबॉल खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स भी शामिल हैं.

ब्लू टिक या गोल्ड मार्क  एक तरह से किसी भी अकाउंट को पहले वास्तविक होने का मुहर लगा देता था. ब्लू टिक उस अकाउंट की विश्वसनीयता से जुड़ा हुआ मुद्दा था. लेकिन अब कोई भी तय राशि देकर इसे ले सकता है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि फिर इससे ब्लू टिक वाले अकाउंट की विश्वसनीयता कहां रह जाएगी. पहले लोग मानते थे कि जिनके अकाउंट में ब्लू टिक दिख रहा है, वे किसी न किसी प्रकार से किसी न किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल किए हुए हैं. ट्विटर पर जो लोग या कंपनी अपना बिजनेस अकाउंट बनाए हुए हैं, उनको मिले ब्लू टिक से जाहिर होता था कि उनका बिजनेस फर्जी नहीं है.

लेकिन अब जिस तरह का रवैया ट्विटर कंपनी ब्लू टिक को लेकर अपना रही है, तो उससे बिजनेस अकाउंट की महत्ता भी पहले की तरह बरकरार नहीं रह पाएगी.

ये सच है कि किसी भी सोशल मीडिया पर बिजनेस अकाउंट की तुलना में निजी अकाउंट होल्डर ज्यादा होते हैं. आंकड़ों की बात करें तो अमेरिका में सबसे ज्यादा ट्विटर का इस्तेमाल होता है. यहां साढ़े नौ करोड़ से ज्यादा ट्विटर यूजर्स हैं. वहीं इस मामले में जापान दूसरे पायदान पर है. यहां 6 करोड़ 70 लाख से ज्यादा ट्विटर यूजर्स हैं.

भारत (जो आबादी में चीन को पीछे छोड़ने के मुहाने पर है) ट्विटर यूजर्स के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है. यहां 2 करोड़ 70 लाख से ज्यादा ट्विटर यूजर्स हैं. आबादी के हिसाब से ये नंबर बहुत ज्यादा नहीं है. अगर भारत जैसे देश की बात करें तो यहां ब्लू टिक के लिए हर महीने 900 रुपये की राशि देना ज्यादातर लोगों के लिए आसान नहीं है.

ट्विटर कंपनी ने सबसे पहले 2009 में ब्लू चेक मार्क लाई थी, जिससे किसी के ट्विटर अकाउंट को सत्यापित किया जा सके. इस मार्क से पता चलता था कि वो अकाउंट उसी व्यक्ति का है, जिसके नाम से बना है और इस मार्क के जरिए पैरोडी या ट्रोल अकाउंट को अलग किया जाता था. 2010 में ब्लू टिक सत्यापित ट्विटर अकाउंट की संख्या 5 हजार थी, जो धीरे-धीरे बढ़ती गई.  2014 में ये आंकड़ा एक लाख 16 हजार पहुंच गया. 2018 में 3 लाख 11 हजार वेरिफाइड ट्विटर अकाउंट थे. वहीं 2022 में ये आंकड़ा 4 लाख 24 हजार के पार पहुंच गया था. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में 24 करोड़ से ज्यादा एक्टिव ट्विटर यूजर्स हैं और 2022 में उनमें से सिर्फ़ 0.2 फीसदी अकाउंट ही वेरिफाइड कैटेगरी में शामिल था.

इन आंकड़ों से आप समझ सकते हैं कि ब्लू टिक या गोल्ड टिक वाले ट्विटर अकाउंट का कितना महत्व था. लेकिन अब पैसों के बल पर इसका मिलना ट्विटर के वेरिफाइड बैज के महत्व को कम कर देगा. अमेरिका सबसे बड़ा ट्विटर यूजर्स देश है और अगर वहां की दिग्गज मीडिया कंपनी, अमेरिकी राष्ट्रपति निवास व्हाइट हाउस के साथ ही मशहूर हस्तियां ब्लू टिक के लिए पैसे देने के खिलाफ मुखर आवाज़ बनते हैं, तो इसका असर जरूर पड़ेगा.

एलन मस्क की कंपनी ने ये स्पष्ट कर दिया है कि जो भी पहले से हासिल लोग और कंपनी ब्लू टिक या गोल्ड मार्क के लिए भुगतान नहीं करेंगे, उनका वेरिफाइड बैज धीरे-धीरे हटा दिया जाएगा. ट्विटर कंपनी जिस तरह की नीति पर आगे बढ़ रही है, उससे ये भी साफ है कि ब्लू टिक के लिए भुगतान नहीं करने वाले यूजर्स के कंटेंट का  सर्कुलेशन ब्लू टिक के लिए भुगतान करने वाले लोगों से कम कम हो सकता है.

सब्सक्रिप्शन राशि नीति के तहत भुगतान नहीं करने पर भविष्य में बड़े पैमाने पर कई लोगों के ब्लू टिक को ट्विटर छीन सकता है. ऐसे में ट्विटर यूजर्स के लिए असली और नकली खातों में फर्क जानना मुश्किल हो सकता है. उदाहरण के तौर पर मशहूर हस्तियों के अकाउंट से ब्लू टिक हटा लिया जाता है, तो फिर उनके नाम पर बनने वाले पैरोडी अकाउंट या फर्जी अकाउंट के बीच पहचान भी मुश्किल हो जाएगा.

इसका एक दूसरा पहलू भी है. अगर चंद पैसों से बिजनेस या निजी अकाउंट होल्डर ट्विटर पर जोल्ड या ब्लू मार्क हासिल कर पाएंगे, तो उसका दुरुपयोग भी हो सकता है. पहले गोल्ड मार्क वाले बिजनेस अकाउंट में जो विश्वसनीयता थी, उसको अब कोई भी सब्सक्रिप्शन राशि देकर हासिल कर सकता है. इससे आम यूजर्स गुमराह भी हो सकते हैं. इसी तरह से निजी लोगों के अकाउंट का भी दुरुपयोग किया जा सकता है. पैसों के बल पर ब्लू टिक हासिल कर उस अकाउंट के जरिए दुष्प्रचार या ग़लत तथ्यों का सर्कुलेशन तेजी से किया जा सकता है.

ये सारे मुद्दे हैं, जिन पर शायद एलन मस्क और उनकी टीम को ज्यादा संजीदगी से सोचने की जरूरत है. तभी सही मायने में ट्विटर की सार्थकता आम लोगों के बीच बनी रह सकती है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो धीरे-धीरे लोगों के बीच ट्विटर की विश्वसनीयता को कम होगी ही, साथ ही उसके ऊपर प्रोपगैंडा और ग़लत जानकारी के प्रसार का भी आरोप तेजी से लगने लगेगा.

(ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)

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