Euro NCAP में अब नहीं चलेगा सिर्फ टचस्क्रीन का जादू, नए सेफ्टी नियमों से घटेंगे पॉइंट्स
Euro NCAP 2026 में बड़े बदलाव आने वाले हैं. अब सिर्फ टचस्क्रीन और डिजाइन नहीं, बल्कि ड्राइवर की सुरक्षा सिस्टम पर ध्यान देना होगा. आइए जानें कैसे घट सकते हैं सेफ्टी पॉइंट्स और नए नियम क्या हैं.

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव दस्तक दे रहा है. यूरोप की प्रमुख सेफ्टी एजेंसी Euro NCAP अब 2026 से नए टेस्टिंग प्रोटोकॉल लागू करने जा रही है, जो आने वाले समय में कार डिजाइन और फीचर्स को पूरी तरह बदल सकते हैं. पहले जहां Euro NCAP की 5-स्टार रेटिंग किसी कार की सुरक्षा का सबसे बड़ा प्रमाण मानी जाती थी, वहीं अब स्टैंडर्ड बदल रहे हैं. नए नियम इस बात पर जोर देंगे कि कार न केवल दुर्घटना के समय सुरक्षित रहे, बल्कि पहले से ऐसी तकनीक अपनाए जो एक्सीडेंट को होने से रोक सके और सभी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.
ड्राइवर और केबिन पर फोकस
- Euro NCAP के नए नियमों में सबसे बड़ा बदलाव ड्राइवर पर केंद्रित डिजाइन को लेकर है. आज की मॉडर्न कारों में लगभग हर फीचर टचस्क्रीन पर चला गया है-चाहे एसी कंट्रोल हो, नेविगेशन हो या ऑडियो सिस्टम. इससे ड्राइवर को सड़क से नजर हटानी पड़ती है. Euro NCAP अब ऐसे इंटीरियर डिजाइन को दंडित करेगा, जो ड्राइवर का ध्यान डिस्ट्रैक्ट करता है. एजेंसी के मुताबिक, केवल दो सेकंड का ध्यान भटकना भी गंभीर हादसे का कारण बन सकता है. इसलिए अब कारों में फिजिकल बटन, टैक्टाइल फीडबैक (स्पर्श आधारित कंट्रोल) और स्मार्ट लेआउट अनिवार्य होंगे ताकि ड्राइवर सड़क पर फोकस बनाए रख सके. अगर किसी कार में केवल टचस्क्रीन से ही क्लाइमेट कंट्रोल या हैजर्ड लाइट्स चलती हैं, तो ऐसी कार को Euro NCAP की रेटिंग में कम अंक मिलेंगे.
मॉनिटरिंग और एडेप्टिव सिस्टम होंगे अनिवार्य
- Euro NCAP अब कारों से हर ड्राइवर व्यवहार की निगरानी की उम्मीद कर रहा है. जल्द ही Driver Monitoring System (DMS) हर कार में जरूरी होगा. ये सिस्टम आंखों की हरकत, सिर की स्थिति, थकान और नशे के संकेत पर नजर रखेगा. नई गाइडलाइन में चाइल्ड प्रेजेंस सेंसर, सीट बेल्ट रिमाइंडर, एडेप्टिव एयरबैग्स, और कैबिन सेफ्टी अलर्ट्स को और मजबूत करने की बात है. तकनीकी कमी से सेफ्टी रेटिंग घटेगी और ग्राहक का भरोसा कम होगा.
वाहन निर्माता कंपनियों पर प्रभाव
- वाहन निर्माताओं के लिए ये बदलाव सिर्फ सेफ्टी टेस्ट नहीं, बल्कि डिजाइन की नई चुनौती हैं. अब कार कंपनियों को केवल दिखने में प्रीमियम डिजाइन पर नहीं, बल्कि ड्राइवर-सेंट्रिक और फिजिकल-कंट्रोल-फ्रेंडली इंटीरियर पर भी फोकस करना होगा. अगर कोई कार स्टाइलिश तो दिखती है लेकिन मॉनिटरिंग सिस्टम या फिजिकल बटन जैसी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती, तो उसे 5-स्टार रेटिंग नहीं मिलेगी. बता दें कि इन बदलावों का सीधा लाभ ग्राहकों को मिलेगा. नई गाइडलाइंस के कारण कारें न केवल क्रैश के समय सुरक्षित होंगी, बल्कि दुर्घटनाओं को पहले से रोकने में भी सक्षम होंगी.
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Source: IOCL























