आंध्र प्रदेश में शुरू हो रहा भारत का पहला एयर-टैक्सी हब, हर साल तैयार होंगी 1000 उड़ने वाली इलेक्ट्रिक कारें
आंध्र प्रदेश भारत का पहला उड़ने वाली इलेक्ट्रिक कारों (eVTOL) का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने जा रहा है. इसमें हर साल 1000 एयर टैक्सी बनाने की क्षमता होगी. आइए विस्तार से जानते हैं.

भारत अब उड़ने वाली इलेक्ट्रिक कारों के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. आंध्र प्रदेश सरकार ने बेंगलुरु की Sarla Aviation के साथ एक बड़ा समझौता (MoU) साइन किया है, जिसके तहत राज्य में देश का पहला गीगा-स्केल इलेक्ट्रिक एयर-टैक्सी मैन्युफैक्चरिंग हब तैयार किया जाएगा. यह घोषणा विशाखापत्तनम में हुए CII पार्टनरशिप समिट में की गई. यह प्रोजेक्ट न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए नेक्स्ट-जेनरेशन अर्बन एयर मोबिलिटी का बड़ा कदम साबित होगा.
अनंतपुर में बनेगी ‘स्काई फैक्ट्री’
- ये हाई-टेक फैसिलिटी आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में 500 एकड़ में बनाई जाएगी. Sarla Aviation शुरूआती फेज में ही लगभग 1,300 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. कंपनी इस प्रोजेक्ट को दुनिया की सबसे बड़ी ‘Sky Factory’ बता रही है, जहां एक ही कैंपस में eVTOL यानी इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग एयरक्राफ्ट डिजाइन, निर्माण, टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन और ऑपरेशन की पूरी प्रक्रिया होगी. यह भारत के लिए पहली बार होगा जब एक जगह पर फ्यूचर एयर टैक्सी सेवाओं का पूरा ईकोसिस्टम डेवलप किया जाएगा.
हर साल तैयार होंगे 1000 उड़ने वाले एयरक्राफ्ट
- फैक्टरी के पूरी तरह चालू हो जाने के बाद यहां हर साल 1000 eVTOL एयरक्राफ्ट बनाए जा सकेंगे. यह प्रोजेक्ट भारत के “विकसित भारत 2047” विजन और आंध्र प्रदेश के “स्वर्ण आंध्र 2047” मिशन के साथ भी जुड़ा हुआ है. इसके साथ ही राज्य में हाई-स्किल्ड जॉब्स बढ़ेंगी और नई एयरोस्पेस सप्लाई चेन विकसित होगी.
भारत के एयर-टैक्सी फ्यूचर की होगी शुरुआत
- Sarla Aviation का कहना है कि यह हब सिर्फ निर्माण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यहां एयर टैक्सी ऑपरेशन, पायलट ट्रेनिंग और technical training भी दिए जाएंगे. इसका मतलब है कि भारत न सिर्फ उड़ने वाली कारें बनाएगा बल्कि उन्हें चलाने और ऑपरेट करने की क्षमता भी इसी हब में डेवलप करेगा. आंध्र प्रदेश पहला राज्य बन गया है जिसने इतनी बड़ी स्केल पर एयर-मोबिलिटी मैन्युफैक्चरिंग को अपनाया है. इससे देश में एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के नए रास्ते खुलेंगे.
बता दें कि ये प्रोजेक्ट भारत में एयरोस्पेस उद्योग को मजबूत बनाएगा और विदेशी, महंगे पार्ट्स पर हमारी निर्भरता कम करेगा. इसके साथ ही इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड उड़ने वाले वाहनों (eVTOL) की तकनीक के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत इस तेजी से बढ़ते ग्लोबल मार्केट में बड़ी भूमिका निभा सकता है.
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