गरुड़ पुराण के अनुसार, शरीर की पीड़ा का कारण असंतुलन और असंयम जीवनशैली है। दांतों की समस्याएं खान-पान और दिनचर्या से जुड़ी होती हैं।
Toothache Remedy: गरुड़ पुराण में दांतों के दर्द का इलाज! जानिए प्राचीन नुस्खे और आयुर्वेदिक उपाय
Garuda Purana Tooth Treatment: गरुड़ पुराण में केवल जीवन-मृत्यु से जुड़े रहस्यों के बारे में ही नहीं बताया गया है, बल्कि इसमें दांतों के दर्द और दुर्गंध से जुड़े उपचार के बारे में भी बताया गया है.

Garuda Purana Tootache Remedies: हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में न केवल मौत के बाद के रहस्यों और कर्मफल का जिक्र मिलता है, बल्कि इसमें मनुष्य जीवन के स्वास्थ्य से लेकर प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया गया है.
हैरानी कि बात ये है कि, गरुड़ पुराण में दांतों के दर्द के उपचार का भी उल्लेख देखने को मिलता है. गरुड़ पुराण के पेज नंबर 338 में दांतों के दर्द (Toothache) का घरेलू इलाज बताया गया है.
शरीर की पीड़ा का असंतुलन जीवनशैली
गरुड़ पुराण के अनुसार, शरीर की प्रत्येक पीड़ा का कारण असंतुलन और असंयम जीवनशैली है. दांतों से जुड़ी समस्याओं का सीधा संबंध हमारे खान-पान और दिनचर्या से होता है.
शास्त्रों के मुताबिक, जो व्यक्ति ज्यादा गर्म, खट्टा या बासी भोजन खाता है, उसे दंत रोग होने की संभावना अधिक होती है.

गरुड़ पुराण में दांतों के दर्द का उपचार
पुराणों के मुताबिक, दांतों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का प्रयोग ही सर्वोत्तम माना जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, मुष्टक (मोथा), कुष्ठ, इलायची, मुलेठी, वालक और धनिया को चबाने से मुंह से आने वाली दुर्गंध और दांतों से जुड़ी समस्या सही होती जाती है.
तेल में बनी कांजी से कुल्ला करने दांतों की सफाई होती है.
आज भी अधिकतर गांवों में पुराने लोग ब्रश की जगह नीम की दातुन का इस्तेमाल दांतों की सफाई के लिए करते हैं. नीम के दातुन को दैवी औषधि कहा गया है, क्योंकि यह दांतों से बैक्टीरिया दूर करने का काम करती है.
शारीरिक सफाई भी कर्म आधारित
गरुड़ पुराण के अनुसार हर सुबह नहाने से पहले दांतों को अच्छे से साफ करें. दांतों को साफ करने से न केवल मुंह की सफाई होती है, बल्कि मन और शरीर दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके साथ ही शास्त्रों बताया गया है कि, भोजन करने के बाद दांतों को अच्छे से साफ कर कुल्ला करना चाहिए.
गरुड़ पुराण के अनुसार दांतों की सफाई मात्र शारीरिक ही नहीं, बल्कि कर्म आधारित भी है. इसलिए पुराण में शरीर की शुद्धि पर भी उतना ही जोर दिया गया है, जितना कि मन और मस्तिष्क पर, जिसका हम सभी को पालन करना चाहिए.
गरुड़ पुराण में बताई गई जानकारी प्राकृतिक औषधि पर जोर देती है. हालांकि दांतों की समस्या बढ़ने पर डॉक्टरों की परामर्श जरूर लें. सही चिकित्सीय सलाह आपको बीमार होने से बचाती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
Frequently Asked Questions
गरुड़ पुराण के अनुसार दांत दर्द का मुख्य कारण क्या है?
दांतों के दर्द से राहत पाने के लिए गरुड़ पुराण में किन प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उल्लेख है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, मुष्टक (मोथा), कुष्ठ, इलायची, मुलेठी, वालक और धनिया चबाने से मुंह की दुर्गंध और दांतों की समस्या दूर होती है।
दांतों की सफाई के लिए गरुड़ पुराण किन तरीकों का सुझाव देता है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, नीम की दातुन का उपयोग दांतों से बैक्टीरिया दूर करने में मदद करता है। तेल में बनी कांजी से कुल्ला करने से दांतों की सफाई होती है।
क्या गरुड़ पुराण में दांतों की सफाई को केवल शारीरिक माना गया है?
नहीं, गरुड़ पुराण के अनुसार दांतों की सफाई शारीरिक होने के साथ-साथ कर्म आधारित भी है, जिसका मन और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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