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Mustard Farming: इतने बड़े रकबे में तिलहन की बुवाई कर तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड, अब तेल के भंडार के साथ बढ़ेगी किसानों की इनकम

Oilseeds Farming: रबी सीजन 2020-2021 के दौरान अंबाला के किसानों ने 2,390 हेक्टेयर रकबा सरसों से कवर किया था. वहीं, इस साल ये दायरा बढ़कर 5,160 हेक्टेयर पर पहुंच चुका है.

Rabi Crop Farming: इस साल सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव में इजाफा देखने को मिला है, जिससे किसानों का रुझान भी तिलहनी फसलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है. केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि अभी तक रबी सीजन में पिछले साल से ज्यादा तिलहनी फसलों की बुवाई की बुवाई हो चुकी है. वहीं हरियाणा से भी तिलहनी फसलों की खेती के अच्छे रुझान सामने आया है. यहां अंबाला जिले के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा सरसों और तोरिया की बुवाई की है.

रिपोर्ट्स की मानें तो रबी सीजन 2020-2021 के दौरान अंबाला के किसानों ने 2,390 हेक्टेयर रकबा सरसों से कवर किया था. वहीं, इस साल ये दायरा बढ़कर 5,160 हेक्टेयर पर पहुंच चुका है. एक्सपर्ट्स ने भी इस साल देशभर में तिलहन का रकबा बढ़ने का अनुमान जताया है. अगर जलवायु भी खेती के अनुरूप रही तो रबी सीजन 2023 में तिलहन का उत्पादन और किसानों की आमदनी डबल हो सकती है.

अंबाला में सरसों-तोरिया की रिकॉर्ड बुवाई

मीडिय रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस रबी सीजन में 15 नवंबर तक अंबाला के किसानों ने जिले में सरसों की बुवाई से 4,360 हेक्टेयर और तोरिया की बुवाई से 2,500 हेक्टेयर रकबा कवर कर लिया है. तिलहन की बुवाई को लेकर अभी केंद्र और राज्य सरकारों ने फाइनल रिपोर्ट जारी नहीं है, लेकिन अनुमान है कि पिछले साल के रकबे, उत्पादन और रिटर्न की तुलना में किसानों को इस साल अच्छे परिणाम मिल सकते हैं.

पिछले साल मौसम की प्रतिकूलताओं, बारिश में देरी आदि के कारण सरसों-तोरिया की बुवाई का रकबा कम हो गया था. इस बीच देश के कई किसान तिलहन के क्षेत्र का विस्तार करने में भी असमर्थ रहे, लेकिन इस साल किसानों को अच्छे परिणामों की उम्मीद है.

बाजार में मिलेंगे वाजिब दाम

कई किसानों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल बुवाई का क्षेत्रफल बढ़ाया है, जिससे कि बाजार में भी अच्छा आउटपुट मिल सके. इस फसल का एक फायदा ये भी है कि कटाई के बाद मिट्टी की उर्वरता कायम रहती है, जिससे दूसरी फसल की बुबाई भी की जा सकती है.

बता दें कि पिछले साल बारिश के कारण तिलहन के उत्पादन में 40 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. बेशक बाजार में तिलहन की एमएसपी और बाजार भाव काफी अच्छे थे, लेकिन पैदावार में गिरावट के कारण किसान सही लाभ कमाने में असमर्थ ही रहे.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें: ICAR ने 8 रिसर्च इंस्टीट्यूट को भेजी थी जीएम सरसों, इन 6 जगहों पर लहलहाने लगी फसल

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