E-NAM Scheme: फल, सब्जी, अनाज की ऑनलाइन मार्केटिंग में सबसे आगे हैं इस राज्य की मंडियां, कोरोना के बाद बढ़ा करोबार
E-NAM: कोविड लॉकडाउन के बाद से ही झारखंड की बाजार समितियों में ई-नाम के करोबार पर फोकस किया. इंटरस्टेट बिजनेस में भी झारखंड की मंडी समितियां आगे हैं, जिन्होंने 85 लाख रुपये का कारोबार किया है.

National Agriculture Market: केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं से अब खेती और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग करना पहले से कुछ आसान हो गया है. हालांकि, कई राज्यों में कृषि जिंसों के भाव उतार-चढ़ाव पर रहते है, लेकिन कोविड लॉकडाउन के बाद से किसानों को उपज से काफी बेहतर दाम मिले हैं. इस काम में राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम पोर्टल ने अहम रोल अदा किया है.
बता दें कि ई-नाम पोर्टल से देश की सभी मंडियों को एक ऑनालइन प्लेटफॉर्म दिया गया है, जो बिचौलियों के शोषण से मुक्त है. यहां किसान अपनी उपज को रजिस्टर करता है तो देश के कोने-कोने में बैठे व्यापारी उपज की बोली लगाते हैं और किसान के अप्रूवल के बाद उपज को खरीद लेते हैं.
झारखंड से हुआ सबसे ज्यादा कारोबार
ताजा रुझानों से सामने आया है कि ऑनलाइन कृषि व्यापार पोर्टल ई-नाम के माध्यम के जरिए डिजिटल कारोबार में झारखंड की मंडी समितियों ने नया रिकॉर्ड कायम किया है. इस लिस्ट में उत्तराखंड से लेकर तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केरल का नाम भी शामिल है. करीब 85 लाख रुपये का कारोबार करके झारखंड की मंडी समितियां अंतर्राज्यीय व्यापार टॉप पर काबिज हुई हैं. इसके बाद 35.86 लाख का कारोबार करके उत्तराखंड दूसरे नंबर पर है.
तीसरे नंबर पर 22.12 लाख के व्यापार के साथ तमिलनाडू, चौथे नंबर 13.97 लाख के कारोबार के साथ उत्तर प्रदेश और 2.82 लाख का व्यापार करके केरल की मंडी समितियों ने पांचवा स्थान कायम किया है.झारखंड में ई-नाम की सफलता को लेकर अधिकारियों का मानना है कि जल्द झारखंड का ई-नाम डिजिटल कृषि व्यापार 1 करोड़ पर पहुंच जाएगा.
ये मंडी समितियां रहीं सबसे आगे
मीडिया रिपोर्ट्स की हजारीबाग के चुरचू की किसान उत्पादक संगठन नारी ऊर्जा समिति ने महिला किसानों को फल और सब्जियों के व्यापार के लिए ऑनलाइन मंच उपलब्ध करवाया था. ये मंडी समिति सबसे ज्यादा डिजिटल भुगतान करके ई-नाम कारोबार में टॉप पर रही थीं. इस मंडी समिति को राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है. इन दिनों धनबाद और गढ़वा की मंडी समितियों ने भी ई-नाम करोबार से जुड़कर काफी अच्छे प्रयास किए हैं. बात करें हजारीबाग मंडी समिति के बारे में तो यहां जम्मू-कश्मीर के सेबों की खरीद से लेकर उड़ीसा में शकरकंद की बिक्री और महाराष्ट्र से प्याज की खरीद भी ऑनलाइन ही की गई है.
लॉकडाउन के बाद तेज हुआ बिजनेस
कोविड-19 महामारी के दौरान ई-नाम के ऑलाइन कृषि व्यापार में तेजी देखने को मिली है. बेशक लॉकडाउन किसानों के लिए एक चुनौती बनकर सामने आया था, लेकिन कई किसानों ने घर बैठे ही अपनी फसलों को मंडी में बेचकर आजीविका कमाई है. इस लिस्ट में हजारीबाग बाजार समिति सबसे आगे रही. यहां 27,000 से ज्यादा किसानों ने खुद को ई-नाम में रजिस्टर किया और 5 करोड़ का अंतर जिला-अंतर्राज्यीय कारोबार करके रिकॉर्ड तोड़ दिया.
यहां के कृषि विभाग ने भी किसानों का खूब सहयोग किया है. यहां के हर जिले में प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. अधिकारी बताते हैं कि झारखंड की कृषि मंडी समितियां लगातार यूपी, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की मंडियों से संपर्क में रहती है, जिससे ये काम और आसान हो जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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