Herbal Farming: जड़ी-बूटियों के खेती से मालामाल होंगे किसान, कृषि विभाग देगा मुफ्त ट्रेनिंग
Medicinal Plant Cultivation: आयुर्वेद में औषधीय फसलों से फल, फूल, जड़, छाल और पत्तियों के रूप में जड़ी बूटियां निकलती हैं. जड़ी-बूटियां शरीर में बीमारियों तो खत्म करती हैं.
Herbal Farming: आमतौर पर भारत के किसान अनाज, फल, फूल और सब्जियों कि खेती करना पसंद करते हैं. जाहिर है कि इन फसलों की मांग सालभर बनी रहती है और बाजार में इनके वाजिब दाम भी मिल जाता है. कोरोना महामारी के दौर से ही बाजार में हर्बल उत्पादों की मांग बढ़ने लगी है, जिसके चलते हर्बल और औषधीय पौधों की खेती भी अच्छा विकल्प है. किसान भाई औषधीय फसलों की खेती के लिये फसल विविधीकरण की प्रक्रिया भी अपना सकते हैं. जिससे खेतों में अलग-अलग तरह की फसलें भी उगाकर अतिरिक्त आमदनी मिल जाती है.
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो खेतों से अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिये किसानों को फसल विविधिकरण की विधि अपनानी चाहिये. क्योंकि एक ही फसल उगाने से धीरे-धीरे मिट्टी के जरूरी पोषक तत्व खत्म होने लगते हैं. लगातार एक ही प्रकार की फसल लेने मिट्टी की क्वालिटी और फसल की पैदावार भी प्रभावित होती है. औषधीय फसलों की खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति तो बढ़ती ही है, साथ ही खेतों में अलग से उर्वरकों के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ती.
जड़ी-बूटियों से फायदा
आयुर्वेद में औषधीय फसलों से फल, फूल, जड़, छाल और पत्तियों के रूप में जड़ी बूटियां निकलती हैं. जड़ी-बूटियां शरीर में बीमारियों तो खत्म करती ही हैं. साथ में इसके सेवन से शरीर की इम्यून पावर भी बढ़ती है. औषधीय पौधों की खेती करने से बाजार में इन जड़ी-बूटियों के अच्छे दाम मिल जाते हैं. लोग भी अंग्रेजी दवाओं की जगह कई बीमारी में जड़ी-बूटियों का सेवन कर रहे हैं. कई कपंनियां अब कैमिकलयुक्त दवाईयों को छोड़कर हर्बल प्रॉडक्ट्स बना रही है. यही कारण है कि जड़ी-बूटी और हर्बल पौधों की अच्छी कीमत मिल जाती है.
सरकार देगी आर्थिक सहायता
कोविड-19 महामारी के समय से आत्मनिर्भर भारत अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत किसानों को पारंपरिक फसलों के साथ-साथ औषधीय फसलों की खेती करने के लिये आर्थिक सहायता भी मुहैया करवाई जा रही है. केंद्र सरकार ने औषधीय फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिये 4000 करोड़ रुपये का बजट दिया है. इस सहायता राशि से किसानों को औषधीय पौधों के बीज, नर्सरी और बाजार से लेकर प्रशिक्षण की सुविधा भी प्रदान की जायेगी.
मुनाफेदार औषधीय फसलें
कोरोना महामारी के समय से ही आयुर्वेद के साथ-साथ जड़ी-बूटी और औषधीय पौधों की बाजार में मांग बढ़ गई है. अगर बात करें प्रमुख औषधीय फसलों की तो इसमें नीम, आवंला, तुसली और चंदन का इस्तेमाल अच्छी मात्रा में किया जाता है. अगर किसान कम समय में अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो इसबगोल, तुसली, एलोवेरा, हल्दी और अदरक की फसल जरूर लगायें, क्योंकि इन फसलों की मांह बाजार में सालभर बनी रहती है.
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