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Kanwar Yatra Controversy: "थूक जिहाद" और मीट दुकानों पर घमासान, सरकार पर ध्रुवीकरण का आरोप!
कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और शांति व्यवस्था भंग करने के प्रयासों पर बहस छिड़ गई है. समाजवादी पार्टी का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार जानबूझकर विवाद पैदा कर रही है और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है. उनका कहना है कि बहुसंख्यक की सांप्रदायिकता ज्यादा खतरनाक होती है और अगर सरकार ही सांप्रदायिकता फैलाने लगे तो यह विनाशकारी होती है. सरकार की जिम्मेदारी शांति, सद्भाव और भाईचारा बनाने की है, लेकिन आरोप है कि सरकार ही भाईचारा तोड़ने पर उतारू है. कांवड़ यात्रियों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए एहतियाती कदम उठाने की बात कही गई है, लेकिन मीट की दुकानें बंद करने और "थूक जिहाद" जैसे आरोपों पर विवाद गहरा गया है. एक पक्ष का कहना है कि "थूकना जायज है" जैसी बातें सामने आई हैं, जबकि दूसरा पक्ष इसे पूरे समुदाय को बदनाम करने की कोशिश बता रहा है. यह भी सवाल उठाया गया कि 2014 से पहले ऐसे विवाद क्यों नहीं होते थे. गौ-तस्करी और वक्फ बोर्ड की जमीनों के बंदरबांट जैसे मुद्दे भी चर्चा में आए. एक पक्ष का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान मुसलमानों द्वारा थूकने और मूत्र करने जैसी घटनाओं से यात्रा अपवित्र हुई है. इस पर जूना अखाड़ा के योगी उमेश पुरी ने कहा कि "किसी भी हिंदू को किसी भी मुसलमान के पास जाकर भोजन नहीं करना चाहिए. उसके द्वारा बनाई गई कोई कवर हो, उसको नहीं खरीदना चाहिए." उनका यह भी कहना था कि हिंदुओं ने मुसलमानों को छोटा भाई माना, लेकिन अगर छोटा भाई उद्दंडता करेगा तो बड़े भाई को डांटने का अधिकार है. वहीं, राष्ट्रीय लोकदल के अनिल दुबे ने कहा कि प्रशासन को कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. दूसरी ओर, यशवीर महाराज पर आरोप लगे कि उन्होंने पैंट खोलकर धर्म जांचने की कोशिश की. इस पर कार्रवाई की मांग की गई. समाजवादी पार्टी के राजकुमार भाटी ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि ये लोग सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं. उन्होंने मुजफ्फरनगर के पूरन जोशी मामले का भी जिक्र किया, जहां 185 टन गौमांस मिलने के बावजूद उन्हें एक सप्ताह में जमानत मिल गई, जबकि अखलाक मामले में 250 ग्राम मांस के लिए हत्या कर दी गई थी. असीम वकार ने भी इस पर सवाल उठाए कि बड़े स्लॉटर हाउस पर कार्रवाई क्यों नहीं होती. कुछ लोगों ने नाम बदलकर दुकानें चलाने को भी विवाद का कारण बताया.
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