किसी को सुसाइड के लिए उकसाने पर कितनी मिल सकती है सजा? जान लीजिए नियम
Bengaluru Suicide Case: बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल को उनकी पत्नी और ससुराल वालों ने उन्हें इस काम के लिए उकसाया था. जिसके बाद उन्होंने कर ली सुसाइड. जानें ऐसे केस में कितनी होती है सजा.

Bengaluru Suicide Case: बेंगलुरु में एक इंजीनियर ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली. इतना ही नहीं इंजीनियर अतुल सुभाष ने सुसाइड करने से पहले 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा और इसके साथ ही उन्होंने तकरीबन डेढ़ घंटे का एक वीडियो भी बनाया. जिसमें उन्होंने अपनी सुसाइड करने की वजह बताई और अपनी पत्नी और ससुराल वालों को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराया. अतुल सुभाष ने पुलिस और कानून व्यवस्था में पुरुषों की अनदेखी करने का आरोप लगाया.
अतुल सुभाष की पत्नी ने तलाक के बाद सेटलमेंट के लिए उनसे करोड़ों रुपए की मांग की और यह मांग लगातार बढ़ती ही जा रही थी. इसके बाद पत्नी ने अतुल पर कई केस भी दर्ज करवा दिए. इन सभी चीजों से तंग आकर आखिर उन्होंने अपनी जान दे दी. उनकी पत्नी के खिलाफ बेंगलुरु के थाने में आत्मत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया है. जानें इस मामले में कितनी मिलती है सजा. क्या है इसे लेकर नियम.
सुसाइड के लिए उकसाने पर यह सजा
बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के केस में उनकी पत्नी, सास, साले और चाचा ससुर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया गया है. अतुल सुभाष के भाई विकास कुमार ने बेंगलुरु के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी.
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इसी के आधार पर बेंगलुरु पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाना के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत केस दर्ज किया. धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए, धारा 3(5) जब ऐसे मामले में दो से ज्यादा लोग शामिल होते है उसके लिए.
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हो सकती है इतनी सजा
सुसाइड के लिए उकसाने के मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 के तहत केस दर्ज किया जाता है. अगर इसमें दो से ज्यादा लोग शामिल हों तो धारा 3(5) भी जोड़ दी जाती है. BNS की धारा 108 के तहत अपराध साबित हो जाने पर उस व्यक्ति को दस साल तक की कैद और जुर्माना की सजा दी जा सकती है. इन धाराओं में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है. तो इसके साथ ही इस अपराध गैर-जमानती होता है. यानी इस अपराध में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जमानत मिलना भी काफी मुश्किल होता है.
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