84 हजार रुपये की कोल्हापुरी चप्पल देख घूमा यूजर्स का माथा, बोले- प्राडा वालों को इसी चप्पल से...
कोल्हापुरी चप्पल ने पूरे विश्व में अपनी सुंदरता और अनोखी बनावट से लोगों को आकर्षित किया है. ये चप्पलें पूरी तरह से हाथों से बनाई जाती हैं और शुद्ध चमड़े का इस्तेमाल किया जाता है.

भारत में पीढ़ियों से पहनी जा रही महाराष्ट्र की कोल्हापुरी चप्पल आज पूरे विश्व में अपना डंका बजा रही है. विदेशों की बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां इसकी सुंदरता और अनोखी बनावट की दीवानी हो गई हैं, जो भारत के लिए गर्व की बात है. कोल्हापुरी चप्पलों को लेकर चर्चा तब तेज हुई, जब मशहूर लग्जरी ब्रांड प्राडा ने अपने फैशन शो में कोल्हापुरी स्टाइल की चप्पलें पूरी दुनिया के सामने पेश कीं.
प्राडा के फैशन शो में दिखी देसी कारीगरी
जब दर्शकों ने इन चप्पलों की बनावट देखी, तो उनकी यूनिक दस्तकारी की वजह से इन्हें खूब सराहना मिली. कोल्हापुरी चप्पलें पूरी तरह हाथों से बनाई जाती हैं और इनमें शुद्ध चमड़े का इस्तेमाल होता है, जिससे ये मजबूत होती हैं और लंबे समय तक चलती हैं. इनका डिजाइन ऐसा होता है कि पैरों में हवा लगती रहती है, जिससे पहनने में आराम मिलता है. यही वजह है कि इन्हें भारतीय पारंपरिक कारीगरी और देसी स्टाइल की खास पहचान माना जाता है.
84 हजार रुपये कीमत को लेकर मची चर्चा
इन्हीं खासियतों की वजह से मशहूर लग्जरी ब्रांड प्राडा ने इन चप्पलों की कीमत करीब 84 हजार रुपये रखी है. इतनी ज्यादा कीमत सोशल मीडिया और आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है. इस फैसले पर भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने खुशी जताते हुए कहा कि कोल्हापुरी चप्पलों की बनावट और कलाकारी इतनी अनोखी है कि इनका व्यापार 1 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
12वीं सदी से जुड़ा है कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास
कोल्हापुरी चप्पलों की शुरुआत महाराष्ट्र के कोल्हापुर क्षेत्र से मानी जाती है. इसका इतिहास करीब 12वीं और 13वीं सदी तक जाता है. उस दौर के शासकों ने स्थानीय कारीगरों को इस चप्पल के निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे यह कला आगे बढ़ी. बाद में छत्रपति शाहू महाराज के संरक्षण में कोल्हापुरी चप्पल को खास पहचान मिली और यह आम लोगों के साथ-साथ शाही वर्ग में भी लोकप्रिय हुई.
सिर्फ 2000 सैंडल्स बनाने का फैसला
रिपोर्ट्स के मुताबिक लग्जरी ब्रांड प्राडा के मार्केटिंग हेड लोरेन्जो बर्टेली के हवाले से बताया गया है कि फिलहाल सिर्फ 2000 सैंडल्स तैयार करने का फैसला लिया गया है. इनकी कीमत करीब 930 डॉलर, यानी भारतीय रुपये में लगभग 84 हजार रुपये होगी. इन सैंडल्स को साल 2026 तक दुनियाभर में ऑनलाइन और स्टोर्स के जरिए बेचा जाएगा.
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
कोल्हापुरी चप्पलों की कीमत सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यूजर्स ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय दी. कई लोगों ने कहा कि भारत में कोल्हापुरी चप्पल सस्ते दामों में मिल जाती है, लेकिन वही चप्पल एक विदेशी ब्रांड इतने महंगे दाम पर बेच रहा है, जो हैरानी की बात है. वहीं कुछ लोगों ने इसे भारतीय कारीगरों के लिए गर्व का विषय बताया और कहा कि अब देसी चीजें पूरी दुनिया तक पहुंच रही हैं. कई यूजर्स ने कीमत को लेकर मजाकिया कमेंट भी किए. कुल मिलाकर इस खबर पर लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रहीं. एक यूजर ने तो लिख दिया कि प्राडा वालों को यही चप्पल जोर से पड़नी चाहिए, तभी उन्हें हकीकत का अंदाजा होगा.
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Source: IOCL























