इन तरीको से करें नकली शॉपिंग ऐप की पहचान, बच जाएंगे पैसे, फ्रॉड से भी रहेंगे सेफ
फर्जी शॉपिंग ऐप्स के कारण लोगों का डेटा और पैसा खतरे में रहता है. साइबर अपराधी लोगों का डेटा चुराने और पैसा उड़ाने के लिए इन ऐप्स का सहारा लेते हैं.

शॉपिंग ऐप्स के कारण अब सामान खरीदना बहुत आसान हो गया है. आप घर बैठे ही फैशन से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक सारी कैटेगरी का सामान खरीद सकते हैं. हालांकि, इसके कई रिस्क भी हैं. कई बार साइबर अपराधी असली दिखने वाली नकली शॉपिंग बनाकर लोगों को चूना लगा देते हैं. इससे न सिर्फ आपका डेटा गलत हाथों में जा सकता है बल्कि आपको पैसे का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए आज हम आपको नकली शॉपिंग ऐप्स की पहचान करने के तरीके बताने जा रहे हैं.
क्यों बनाई जाती हैं नकली शॉपिंग ऐप्स?
नकली शॉपिंग ऐप्स दिखने में एकदम असली जैसी दिखती हैं, हालांकि, इनका पर्पज सामान बेचना नहीं बल्कि यूजर्स का डेटा चुराना और उसका पैसा गायब करना होता है. ये ऐप्स यूजर की क्रेडिट कार्ड डिटेल्स, लॉग-इन क्रेडेंशियल और बैकिंग डिटेल्स आदि कैप्चर कर लेती हैं. इसके अलावा मालवेयर इंस्टॉल करने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. आमतौर पर सोशल मीडिया के जरिए लिंक भेजकर इन्हें डाउनलोड करवाया जाता है.
ऐसे करें नकली ऐप्स की पहचान
- लुभावने ऑफर- इन ऐप्स पर लुभावने ऑफर का लालच दिया जाता है. कई मामलों में 90 प्रतिशत तक के डिस्काउंट ऑफर किए जाते हैं. लोगों को सोचने का मौका न देने के लिए साइबर अपराधी इन ऑफर पर टाइमर भी लगा देते हैं.
- गैर-जरूरी परमिशन- फर्जी ऐप्स यूजर से गैर-जरूरी परमिशन मांगती हैं. अगर कोई यूजर ये परमिशन दे देता है तो इसका इस्तेमाल यूजर को ट्रैक करने या डेटा चोरी के लिए किया जा सकता है.
- स्पेलिंग मिस्टेक- असली ऐप्स में आपको कभी भी स्पेलिंग मिस्टेक, खराब क्वालिटी वाली इमेज या डिजाइन में गड़बड़ नहीं मिलेगी, लेकिन फर्जी ऐप्स में ये चीजें आम होती हैं. फर्जी ऐप्स को जल्दबाजी में डिजाइन किया जाता है और इनकी क्वालिटी पर ध्यान नहीं दिया जाता.
- सिक्योर चेकआउट की कमी- असली शॉपिंग ऐप्स पेमेंट इंफोर्मेशन को एनक्रिप्शन के जरिए सिक्योर रखती है. वहीं फेक ऐप्स आपको पेमेंट के समय किसी अनसिक्योर्ड वेब पेज पर रिडायरेक्ट कर देती हैं. इसलिए इन पेज पर पेमेंट करने से बचे.
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Source: IOCL






















