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Uttarkahand में UCC के लिए सऊदी और तुर्की समेत इन 4 मुस्लिम देशों के नियमों की ली गई मदद, जानें- अब क्या-क्या बदल जाएगा?

Uttarakhand UCC News: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण करेंगे. इससे पहले जान लीजिए कि अब राज्य में क्या-क्या बदल जाएगा?

Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के साथ ही राज्य एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने जा रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण करेंगे. यूसीसी को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इस समिति ने दो फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. इसके बाद आठ मार्च 2024 को विधेयक विधानसभा में पारित किया गया. राष्ट्रपति से इस विधेयक को 12 मार्च 2024 को अनुमोदन प्राप्त हुआ.

यूसीसी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तकनीकी आधार पर विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. नागरिकों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है. बीते कई दिनों से इस पोर्टल के परीक्षण के लिए मॉक ड्रिल की जा रही थी, जिसमें पहले आई समस्याओं को दूर कर लिया गया. अब यह पोर्टल पूरी तरह से तैयार है और आम नागरिकों व अधिकारियों के उपयोग के लिए खोल दिया गया है.

यूसीसी  के लिए सरकार ने किया व्यापक विचार-विमर्श
बता दें यूसीसी लागू होने के बाद विवाह, तलाक, लिव इन रिलेशनशिप, विरासत आदि मामलों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. यह पहल नागरिकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सरलता और पारदर्शिता प्रदान करेगी. यूसीसी लागू करने के लिए राज्य सरकार ने व्यापक विचार-विमर्श किया. इस प्रक्रिया में 43 हितधारकों के साथ बैठकें आयोजित की गईं. कुल 72 गहन बैठकें हुईं, जिसमें जनता से 49 लाख एसएमएस, 29 लाख व्हाट्सएप संदेश, और 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए. डाक, ईमेल और दस्ती माध्यम से भी हजारों सुझाव सरकार तक पहुंचे.

समाज में समानता का होगा संचार
सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने सऊदी अरब, तुर्कीए, इंडोनेशिया, नेपाल, फ्रांस, अजरबैजान, जर्मनी, जापान और कनाडा जैसे देशों के अनुभवों का अध्ययन कर समान नागरिक संहिता की अवधारणा को बेहतर रूप दिया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कदम उत्तराखंड को नई पहचान देगा. उन्होंने कहा, “यूसीसी से समाज में समानता का संचार होगा और नागरिकों को न्याय और अधिकारों का संरक्षण मिलेगा. यह पूरे देश के लिए एक मिसाल है.”

धामी सरकार के अनुसार समान नागरिक संहिता लागू होने के साथ उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने इस दिशा में ठोस कदम उठाया. विशेषज्ञ समिति, तकनीकी तैयारियां, और व्यापक जनभागीदारी के माध्यम से सरकार ने इसे संभव बनाया. अब राज्य के नागरिकों को विवाह, तलाक, और विरासत जैसे मामलों में पारदर्शी और डिजिटल सेवा का लाभ मिलेगा. यह कदम न केवल उत्तराखंड बल्कि देश के लिए भी एक नई दिशा तय करेगा.

बता दें UCC अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू होगा. यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. जबकि नगर पंचायत - नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे. छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे. 

रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य 
यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा. इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे.

रजिस्ट्रार के कर्तव्य 
सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना. लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे. 

सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना होगा. समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना इनका काम होगा.

लिव इन के मामलों में अब क्या होगा?
संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा. जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा. 

लिव इन समाप्ति – एक या दोनों साथी आनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं. यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा. 

यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी. बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा. 

विवाह विच्छेद के मुद्दे पर क्या होगा?
तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी यहां से मिल सकेगी. 

वसीयत आधारित उत्तराधिकार 
वसीयत तीन तरह से हो सकेगी. पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए यह काम हो सकेगा.. 

सीएम धामी द्वारा उद्घाटन किए गए पोर्टल को 23 भाषाओं में एक्सेस कर सकते हैं. बता दें साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वादा किया था कि वह यूसीसी लागू करेगी. जब धामी सरकार दोबारा चुनी गई उसके बाद यूसीसी पर काम शुरू हो गया था.

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