उत्तराखंड में हाथियों की चिंताजनक हालत, 25 सालों में हुई इतनी अप्राकृतिक मौत, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
Uttarakhand News: साल 2001 से अक्टूबर साल 2025 तक राज्य में 538 हाथियों की मौत की रिपोर्ट हुई है. इसमें 167 की मौत के कारण अप्राकृतिक रहे हैं, इनमें करंट लगने समेत कई और वजहें सामने आई हैं.

उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद वन्य जीवों के सरंक्षण को लेकर कई काम किए गए हैं. वन विभाग इस समय वन्य जीव सप्ताह मना रहा है लेकिन, इन तमाम बातों के बीत हाथियों की स्थिति बेहद चिंताजनक है. राज्य में 25 सालों में 167 हाथियों की मौत हुई है, जो बेहद परेशान करने वाली बात है.
उत्तराखंड राज्य में 25 सालों में 167 हाथियों की अप्राकृतिक मौत हो चुकी हैं. हाल ही के दिनों में हरिद्वार वनप्रभा में तीन हाथियों की मौत हुई है. इसमें भी एक हाथी की मौत करंट लगने से हुई है, जबकि दूसरे हाथी की मौत का कारण स्पष्ट नहीं है. तीसरे हाथी की मौत की वजह बीमारी बताई जा रही है.
अप्राकृतिक कारणों से हुई इतने हाथियों की मौत
इन घटनाओं के बाद प्रदेश में हाथियों की सुरक्षा को लेकर कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. ट्रेनों से टकराकर होने वाली मौतों को रोकने के लिए, के स्थान पर ट्रेनों की गति को कम किया गया है. इसके अलावा, अन्य माध्यमों के इस्तेमाल की भी योजना है, पर इन कोशिशों के बीच हाथियों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई है.
साल 2001 से अक्टूबर साल 2025 तक राज्य में 538 हाथियों की मौत की रिपोर्ट हुई है. इसमें 167 की मौत के कारण अप्राकृतिक रहे हैं, जिनमें बिजली का करंट लगने से 52, ट्रेन के टकराने से 32, दुर्घटना में 71, रोड एक्सीडेंट में दो, जहर से एक और नौ हाथियों की शिकार से मौत हुई है.
हाथियों की इन मौतों के अलावा 79 की मौत का कारण अज्ञात रहा है. आपसी संघर्ष में कई हाथियों की मौत हुई है. इस अवधि में 102 हाथियों ने आपसी संघर्ष में जान गंवाई. इसके अलावा 277 की मौत प्राकृतिक वजहों से हुई है. प्रदेश में हाथियों की अच्छी खासी संख्या है. यहां पर हाथियों की संख्या बढ़ी भी है.
पिछले 25 सालों में कितनी हुई हाथियों की संख्या
साल 2001 में हाथियों की संख्या 1560 थी जो कि 2020 में 2026 तक पहुंच गई. इसके साथ ही मानव वन्यजीव संघर्ष को लेकर भी चुनौतियां बढ़ रही हैं. तराई, केंद्रीय हरिद्वार, ट्राई, पूर्वी रामनगर वन विभाग से सटे आबादी वाले इलाकों में हाथी पहुंचकर किसानों के खेतों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसको लेकर किसान कई बार शिकायतें भी कर चुके हैं.
इस मामले में वन संरक्षक शिवालिक राजीव धीमान कहते हैं कि मानव बनने के संघर्ष को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं. ग्रामीणों के साथ संवाद करने के साथ ही जागरूक किया जा रहा है. ट्रेन से हाथियों के टकराने की घटनाओं को रोकने के लिए वनकर्मियों को रेलवे ट्रैक पर पेट्रोलिंग करने के निर्देश दिए गए हैं.
हरिद्वार वानप्रभा के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध कहते हैं कि हाथियों को आबादी वाले क्षेत्र में पहुंचने से रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके अलावा, हाथियों की सुरक्षा के दृष्टिगत अभियान चलाकर 40 जगह से खेतों में लगी दरबार को हटाया गया है, जिसमें करंट लगाए जाने की आशंका थी. कारण से हाथी की मौत के मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है.
Source: IOCL
























