उत्तर प्रदेश: जोधपुर झाल में 62 प्रजातियों के 1,335 जलीय पक्षियों की पहचान की गई, DFO ने दी जानकारी
UP News: मथुरा-आगरा सीमा पर स्थित जोधपुर झाल आर्द्रभूमि में जलीय पक्षियों की गणना के दौरान 9 लुप्तप्राय प्रजाति समेत 62 प्रजातियों के 1,335 पक्षियों का पता लगाया गया है. जिला वन अधिकारी ने दी जानकारी.

Mathura News: मथुरा-आगरा सीमा पर स्थित जोधपुर झाल आर्द्रभूमि में जलीय पक्षियों की गणना के दौरान नौ लुप्तप्राय प्रजाति समेत 62 प्रजातियों के 1,335 पक्षियों का पता लगाया गया है. अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है. जिला वन अधिकारी (डीएफओ) रजनीकांत मित्तल ने बताया, ‘‘यह गणना वेटलैंड्स इंटरनेशनल द्वारा उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, वन विभाग और जैव विविधता अनुसंधान एवं विकास सोसाइटी (बीआरडीएस) के सहयोग से जलपक्षी जनगणना-2025 के तहत की गई.’’
उन्होंने बताया कि यह गणना वेटलैंड्स इंटरनेशनल के उत्तर प्रदेश समन्वयक नीरज श्रीवास्तव की देखरेख में की गई और इसका नेतृत्व बीआरडीएस पक्षी विशेषज्ञ के पी सिंह ने किया तथा 13 सदस्यों की टीम ने इसमें योगदान दिया. मित्तल ने बताया, ‘‘जलीय पक्षियों की गणना में 62 प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें 29 प्रवासी व 33 स्थानीय प्रजातियां हैं. गणना में ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर’ (आईयूसीएन) की लुप्तप्राय सूची में शामिल नौ प्रजातियों की भी पहचान की गई. जिनमें सारस, काली गर्दन वाला सारस, जांघिल या ढोक, ओरिएंटल डार्टर, ‘वुली-नेक्ड स्टॉर्क’ (ऐसा सारस जिसकी गर्दन पर बहुत ज्यादा बाल होते हैं), काली पूंछ वाली चंचुकी या ब्लैक-टेल्ड गोडविट, बड़ा चित्तीदार गिद्ध या ग्रेटर स्पॉटेड ईगल और ब्लैक हेडेड आइबिस शामिल हैं.’’
आर्द्रभूमि क्षेत्र के विस्तार का श्रेय उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद- मित्तल
उन्होंने कहा, ‘‘जोधपुर झाल पर सर्वाधिक संख्या में 370 ‘बार हेडेड गूज’, 224 उत्तरी सींकपर व 220 मुर्गाबी मिले. इसके अलावा, गडवॉल, यूरेशियाई पतेरा (एक प्रकार की बत्तख), खोखार, पाइड एवोसेट, लिटिल स्टिंट, टैमिनिक स्टिंट, टिटहरी, खंजन, गजपांव, बैंगनी स्वैम्पेन, कॉमन स्निप आदि पक्षियों की पहचान की गईं.’’ सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने नए जलीय आवासों का निर्माण करके आर्द्रभूमि क्षेत्र का विस्तार किया है.
गणना के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया, ‘‘पक्षियों की गणना दो समूहों द्वारा की गई, जिनमें से प्रत्येक में आठ विशेषज्ञ सदस्य थे. तीन घंटे से अधिक समय तक उन्होंने लगभग 80 हेक्टेयर आर्द्रभूमि को कवर किया.’’ मित्तल ने पक्षियों के आगमन में वृद्धि का श्रेय उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद और वन विभाग की सतत निगरानी और संरक्षण प्रयासों को दिया.
यह भी पढ़ें- Maha Kumbh 2025: 'सबसे सुंदर साध्वी' कहे जाने पर हर्षा ने बताया- कैसे ग्लैमर को छोड़ हुई साधना में लीन?
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























