आजादी के 75 साल बाद यूपी के इस गांव में पहुंची बिजली, लोग बोले- अब बदली जिंदगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांवों के विकास के लिए विशेष योजना की शुरुआत की थी. पहले चरण में गांव में सोलर लाइटें लगाई गईं, जिससे रात में थोड़ी रोशनी मिलने लगी.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बार फिर साबित किया है कि राज्य के सबसे दूरदराज और वंचित इलाकों तक विकास पहुंचाना उसकी प्राथमिकता है. इसका ताजा उदाहरण गोंडा जिले के छपिया ब्लॉक स्थित मनीपुर ग्रांट वनटांगिया गांव है, जहां आजादी के 75 साल बाद पहली बार बिजली पहुंची है.
करीब 80 की आबादी वाला यह गांव अब तक पूरी तरह अंधेरे में था. न बिजली, न पक्की सड़क, न सरकारी योजनाओं का लाभ. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल और सरकार की योजनाओं के चलते अब यहां बिजली की रोशनी पहुंच गई है.
2018 से शुरू हुई थी रोशनी की शुरुआत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 में वनटांगिया गांवों के विकास के लिए विशेष योजना की शुरुआत की थी. पहले चरण में गांव में सोलर लाइटें लगाई गईं, जिससे रात में थोड़ी रोशनी मिलने लगी. अब विद्युत विभाग ने गांव में बिजली कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
शनिवार को लगने जा रहा शिविर
सरकार शनिवार को गांव में एक विशेष शिविर आयोजित कर रही है, जहां ग्रामीणों को औपचारिक रूप से बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे. इससे गांव विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेगा.
गांव के लोग बोले- अब बदली जिंदगी
गांव के बुजुर्ग संतराम कहते हैं, “हमने कभी नहीं सोचा था कि बिजली आएगी. अब अंधेरा नहीं, रोशनी है.” संजय, जिन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना में पक्का मकान मिला, कहते हैं, “अब बच्चों की पढ़ाई हो पाएगी, छत से टपकती बारिश की चिंता खत्म हो गई.”
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वनटांगिया गांव क्या है?
वनटांगिया समुदाय वे लोग हैं जो अंग्रेजों के जमाने में जंगलों में पेड़ लगाने के लिए बसाए गए थे. ये गांव लंबे समय तक राजस्व गांव का दर्जा नहीं पा सके, इस वजह से सरकारी योजनाओं से भी वंचित रहे. योगी सरकार ने इन्हें मान्यता दी और विकास की ओर पहला कदम बढ़ाया.
सरकार का विज़न: कोई भी गांव न रहे पीछे
बिजली आने से ग्रामीणों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आने वाला है. अब मोबाइल चार्जिंग से लेकर बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवाओं तक सब कुछ आसान होगा. योगी सरकार का यह कदम दिखाता है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो सबसे पिछड़ा गांव भी आगे बढ़ सकता है.
हालांकि, विपक्ष ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल भी उठाए हैं, लेकिन ज़मीनी बदलाव के सामने यह आवाज़ें कमजोर पड़ती दिख रही हैं. यह विकास सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों की उम्मीद का प्रतीक है जो अब तक अंधेरे में जीते रहे.
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Source: IOCL
























