परिनिर्वाण दिवस पर अंबेडकर को श्रद्धांजलि, राजनीतिक दलों ने की दलित वोट बैंक साधने की कोशिश
UP News: बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर बीजेपी, सपा, बसपा समेत यूपी के तमाम राजनीतिक दलों ने श्रद्धांजलि देने के बहाने दलित वोट बैंक साधने की कोशिश की.

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर यूपी में राजनीतिक दलों की सक्रियता साफ दिखी. लखनऊ से लेकर नोएडा तक हर दल ने अंबेडकर को नमन किया और इसके साथ ही अपनी-अपनी राजनीतिक लाइन भी साफ की. मंच कोई भी रहा हो, संदेश एक ही- दलित समाज को अपने साथ जोड़ने का था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में अंबेडकर के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पहुंचे. योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि प्रदेश में मौजूद अंबेडकर की सभी मूर्तियों के आसपास बाउंड्री वॉल बनाई जाएगी. साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को न्यूनतम मानदेय जल्द मिलेगा.
मंत्री असीम अरुण सपा पर बोला हमला
यूपी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने कहा कि अंबेडकर जी हमारे आराध्य हैं. सरकार मूर्तियों और पार्कों का जीर्णोद्धार कर रही है. आने वाले समय में बच्चों के लिए लाइब्रेरी भी होनी चाहिए. वहीं असीम अरुण ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि सपा सरकार में रहते हुए दलितों के लिए बनाई गई नीतियां बंद कर दी गईं थी.
बसपा ने बीजेपी और पर साधा निशाना
वहीं मायावती के निर्देश पर BSP ने लखनऊ और नोएडा में अलग-अलग श्रद्धांजलि सभाएं कीं. बसपा के यूपी के अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा, सपा ने बहन जी द्वारा बनाए गए भीमनगर, शाहूजी नगर और कांशीरामनगर जैसे जिलों के नाम बदले. क्या यह सम्मान था? उन्होंने कहा, PDA सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है.
बसपा ने भारतीय जनता पार्टी पर भी निशाना साधा है. विश्वनाथ पाल ने कहा नाम बदलने की राजनीति में जो काम सपा ने शुरू किया था, भाजपा ने उसे कभी ठीक नहीं किया. वहीं फैजाबाद का नाम अयोध्या कर दिया, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया लेकिन मायावती के समय का कोई नाम नहीं रखा.
सपा की तरफ से जगह-जगह किये गए कार्यक्रम
सपा भी आज कहीं पीछे नहीं रही. दलित समाज से जुड़ाव दिखाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रम हुए. राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अम्बेडकर वाहिनी समाजवादी पार्टी सत्य पाल ने कहा, लखनऊ में हमारी श्रद्धांजलि सभा की सारी परमिशन पूरी थी, लेकिन भाजपा सरकार ने सिर्फ इसलिए रद्द की, क्योंकि उन्हें पता है कि सपा दलितों के लिए लगातार काम कर रही है.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा कहते हैं "दलित वोट बैंक अब किसी एक दल का नहीं रहा. 2024 के नतीजों के बाद सभी पार्टियां इसकी अहमियत समझ चुकी हैं. परिनिर्वाण दिवस ने सिर्फ श्रद्धांजलि का नहीं, बल्कि 2027 की सियासत की दिशा का भी संकेत दिया है. जहां दलित सम्मान, विकास और पहचान तीनों ही मुद्दे हर दल की प्राथमिकता बन चुके हैं.
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Source: IOCL





















