संभल जामा मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर वकील विष्णु शंकर जैन की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
Sambhal Jama Masjid News: वकील विष्णु शंकर जैन ने संभल जामा मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि यह महत्वपूर्ण निर्णय है.

Sambhal News: संभल जामा मस्जिद के सर्वे मामले में मस्जिद पक्ष की ओर से दाखिल रिव्यू पिटिशन को खारिज करने पर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने प्रतिक्रिया दी है. हाईकोर्ट के फैसले को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि लोगों ने देश में भ्रांति फैलाई थी.
वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा , यह इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है और जिन लोगों ने देश में यह भ्रांति फैलाई थी कि 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन चंदौसी द्वारा नियुक्त सर्वेक्षण आयुक्त गलत नियुक्ति थी और उन्हें नियुक्ति करने से पहले मस्जिद कमेटी को सुनना चाहिए था. आज कानून के उस प्रस्ताव को न्यायालय ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है.
'कानून का सीधा सा प्रस्ताव यह है कि...'
उन्होंने कहा कि कानून का सीधा सा प्रस्ताव यह है कि न्यायालय आदेश 26, नियम 9 और 10 की शक्ति का प्रयोग करते हुए सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति कर सकता है. उस समय किसी को सुनने की आवश्यकता नहीं है. कानून का आदेश केवल इतना है कि जब सर्वेक्षण आयुक्त सर्वेक्षण के लिए मौके पर जाए तो वह दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वेक्षण करेगा. जिसका पालन यहां दोनों दिन यानी 19 और 24 नवंबर को किया गया. तो बड़े-बड़े बैरिस्टर और सांसदों ने न्यायालय की गरिमा और पक्षों की गरिमा पर इस पूरी प्रक्रिया की गरिमा पर टिप्पणी की थी, आज एक सुविचारित निर्णय ने उस पर पूर्ण विराम लगा दिया है.
संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में मस्जिद पक्ष को झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की सिविल रिवीजन पिटीशन
वकील ने कहा कि हम सर्वे रिपोर्ट पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आएंगे, जिसे सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया गया है. वहीं, हाईकोर्ट ने ट्रायल पर लगी रोक हटा दी है. इसका मतलब है कि ट्रायल आगे बढ़ेगा. इसमें उपासना अधिनियम लागू नहीं होता है क्योंकि दोनों पक्षों का यह स्वीकार किया हुआ मामला है कि यह 1958 का एएसआई संरक्षित स्मारक है और एएसआई अधिनियम 1958 द्वारा शासित है... इसलिए, न तो उपासना स्थल अधिनियम और न ही 12 दिसंबर का सुप्रीम कोर्ट का आदेश यहां लागू होता है.
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