इमरान मसूद को लेकर सपा नेता उदयवीर सिंह का बड़ा बयान, 'वे मूल रूप से कांग्रेसी नहीं, बल्कि...'
UP News: सपा नेता उदयवीर सिंह ने कांग्रेस नेता इमरान मसूद पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस और सपा की लीडरशिप क्या कहती है? सिर्फ इस पर ही ध्यान देना चाहिए. नेता तो बोलते रहते हैं.

UP Politics: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है. सपा नेता उदयवीर सिंह ने कहा कि सपा और कांग्रेस के नेशनल लीडर ने बार-बार गठबंधन के समक्ष अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की. इमरान मसूद पर उन्होंने कहा कि लीडरशिप गठबंधन करती है, बाकी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता अपने हिसाब से बोलते रहते हैं. पार्टी के नेता कई बार उत्साह और चर्चा में बने रहने के लिए बोलते हैं, उन्हें सीरियस नहीं लेना चाहिए.
सपा नेता उदयवीर सिंह ने कहा कि कांग्रेस और सपा की लीडरशिप क्या कहती है? सिर्फ इस पर ही ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस की ओर से बयान आएगा और जो अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड रहा, मुझे लगता है इसी भाव से चीजें चलेंगी. लीडरशिप बैठेगी और सीटों पर बात हो जाएगी.
इमरान मसूद पर भड़के सपा नेता उदयवीर सिंह
इमरान मसूद पर उन्होंने कहा कि वो क्या कहते हैं? वो उनसे पूछिए. उनसे पूछिए कि वे राहुल गांधी से बात करके क्यों नहीं कहते हैं. इमरान मसूद मूल रूप से कांग्रेसी नहीं, बल्कि सपाई हैं. इमरान मसूद की बात को उतना महत्व नहीं देना चाहिए, महत्व लीडरशिप की बात को देना चाहिए.
उदयवीर सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी का एक साल का कार्यकाल बहुत अच्छा रहा. विपक्ष ने बहुत मजबूती और प्रभावी ढंग से मुद्दे उठाए. सही मायने में सरकार का कार्यकाल खराब रहा. सरकार संसद में चर्चा से भागती रही, विपक्षी नेताओं के माइक बंद करवाती रही. उपसभापति की भूमिका लोकतंत्र को निम्न स्तर पर ले जाने वाली रही.
'कुर्सी के लिए धोखा नहीं करेंगे'
अगर अखिलेश यादव नेता विपक्ष होते तो क्या होता? इसके जवाब में उदयवीर सिंह ने कहा कि अखिलेश हमारे सबसे बड़े नेता हैं. हम चाहेंगे कि उन्हें सबसे बड़ी कुर्सी मिले लेकिन, सदन के अंदर नंबर गेम है. जो बड़ी पार्टी उभर कर आएगी, जिसके नंबर ज्यादा होंगे, उसके नेता विपक्षी दल होंगे. जब 2019 का लोकसभा चुनाव आया, उसमें भी बात हुई थी कि लीडरशिप कौन लेगा?
उन्होंने कहा कि दिल्ली में लीडरशिप के लिए मायावती को आगे लेकर चल रहे थे. इस बार भी जब हुआ तो अखिलेश यादव ने अपनी महत्वाकांक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. कुर्सी के लिए हम धोखेबाजी नहीं करेंगे. नीतीश कुमार अलायंस से हट गए, लेकिन हम पूरी ताकत के साथ गठबंधन में रहे.
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