![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
Swami Prasad Maurya Resigned: सपा छोड़ते ही स्वामी प्रसाद मौर्य की बागवत तेज, अब MLC पद से दिया इस्तीफा, जानिए क्या कहा
Swami Prasad Maruya ने सपा की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया. बीते दिनों अखिलेश यादव को एक पत्र लिखते हुए स्वामी ने गंभीर आरोप लगाए थे.
![Swami Prasad Maurya Resigned: सपा छोड़ते ही स्वामी प्रसाद मौर्य की बागवत तेज, अब MLC पद से दिया इस्तीफा, जानिए क्या कहा samajwadi Party leader Swami Prasad Maurya rebellious tone, now resigns from the post of MLC Swami Prasad Maurya Resigned: सपा छोड़ते ही स्वामी प्रसाद मौर्य की बागवत तेज, अब MLC पद से दिया इस्तीफा, जानिए क्या कहा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/19/791e41712df0bb930cdc7d530f4b56091708330851089899_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है. सभापति को लिखी चिट्ठी में एमएलसी सीट से इस्तीफा देते हुए स्वामी ने लिखा- मैं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में विधानसभा, उ०प्र० निर्वाचन क्षेत्र से सदस्य, विधान परिषद्, उ०प्र० निर्वाचित हुआ हूं. चूंकि मैंने समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है, अस्तु नैतिकता के आधार पर विधान परिषद्, उ०प्र० की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे रहा हूं. कृपया स्वीकार करने की कृपा करें.
इससे पहले स्वामी ने सपा की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था. बीते दिनों अखिलेश यादव को एक पत्र लिखते हुए स्वामी ने गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने सबसे पहले सपा के महासचिव पद से इस्तीफा दिया था.
स्वामी प्रसाद ने लिखा था कि मैं नहीं समझ पाया कि मैं एक राष्ट्रीय महासचिव हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं, जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है.
उन्होंने कहा था कि दूसरी हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ बढ़ा है. बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो मैं समझता हूं, ऐसे भेदभावपूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. इसलिए, मैं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से त्यागपत्र दे रहा हूं, कृपया इसे स्वीकार करें. पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए तत्पर रहूंगा.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि जबसे मैं समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ. तब से लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था- पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है. हमारे महापुरुषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी. भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. अंबेडकर ने "बहुजन हिताय बहुजन सुखाय" की बात की, तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा कि "सोशलिस्टों ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै सौ में साठ." इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक कांशीराम साहब का नारा था- "85 बनाम 15 का".
मौर्य ने आगे कहा था कि 2022 विधानसभा चुनाव में अचानक प्रत्याशियों के बदलने के बावजूद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे. उसी का परिणाम था कि सपा के पास जहां 2017 में सिर्फ 45 विधायक थे, ये संख्या बढ़कर 110 हो गई. बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया, इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)