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UP Politics: ओम प्रकाश राजभर ने सुझाया यूपी में जीत का फॉर्मूला, विपक्षी दलों की एकता पर कही ये बात
UP Politics: ओम प्रकाश राजभर ने दावा किया कि जब तक विपक्षी दल बसपा सुप्रीमो मायावती को साथ नहीं लाते हैं तब तक यूपी में विपक्षी एकता का कोई मतलब नहीं है.
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Om Prakash Rajbhar News: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्षी एकजुटता को लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बड़ा बयान दिया है. राजभर ने साफ कहा कि यूपी में अगर मायावती, जयंत चौधरी और सुभासपा को नहीं जोड़ा जाता है तब तक इसका कोई मतलब नहीं है. राजभर ने कहा कि विपक्ष को बसपा सुप्रीमो मायावती को प्रधानमंत्री पद का चेहरा मानना चाहिए, उनके साथ आने का मतलब है प्रदेश की 80 फीसद लोकसभा सीटें.
ओम प्रकाश राजभर ने दावा किया कि बसपा सुप्रीमो मायावती एक कुशल शासक रही हैं. उनकी पार्टी का 13 प्रांतों में जनाधार है और वो देश की राजनीति में एक बड़ा चेहरा हैं. राजभर ने कहा कि विपक्ष को मायावती को प्रधानमंत्री का चेहरा मानकर उन्हें मना लेना चाहिए. जब तक उनको साथ नहीं लेंगे तब तक यूपी में चाहे ममता बनर्जी आएं या केसीआर, लालू यादव आएं या चाहे कोई भी आ जाए, उसका यहां कोई मतलब नहीं है. राजभर ने कहा, अगर यूपी में किसी का मतलब है तो वो पश्चिम में जयंत चौधरी, पूर्व में ओम प्रकाश राजभर और पूरे प्रदेश में 80% लोकसभा सीट का मतलब है तो बहुजन समाज पार्टी से है. इन तीनों के बगैर विपक्षी एकता बेकार है.
राजभर ने सुझाया विपक्ष को जीत का फॉर्मूला
ओम प्रकाश राजभर का ये बयान ऐसे समय में आया है जब उनके एनडीए में जाने के लेकर भी चर्चाएं तेज हैं. पिछले दिनों राजभर ने दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से भी मुलाकात की थी, लेकिन अब राजभर एक बार फिर से विपक्षी दलों को यूपी में जीत का फॉर्मूला सुझा रहे हैं और मायावती को साथ लाने की सलाह दे रहे हैं. जिसके बाद उनके अगले कदम को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर राजभर किस तरफ जाने के मूड में है.
17-18 जुलाई को होगी अगली बैठक
दरअसल, पिछले दिनों 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी, जिसमें 15 विरोधी दलों ने हिस्सा लिया था. इस बैठक में सभी दलों ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने पर सहमति जताई है. इस बैठक में न तो ओम प्रकाश राजभर को बुलाया गया था और न ही बसपा सुप्रीमो मायावती को न्योता दिया गया था. वहीं राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी पहले से निर्धारित निजी कार्यक्रम का हवाला देते हुए बैठक में शामिल नहीं हुए थे. विपक्षी दलों की दूसरी बैठक अब बेंगलुरू में 17-18 जुलाई को होगी.
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