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Mainpuri Bypoll: डिंपल यादव के लिए आसान नहीं है मैनपुरी का 'गढ़' जीतना, जानिए क्या कहते हैं स्थानीय लोग

Mainpuri By-Election 2022: स्थानीय लोगों के मुताबिक डिंपल यादव के लिए मैनपुरी उपचुनाव की राह आसान नहीं है. बीजेपी सीट छीनने की पूरी कोशिश कर रही है. बड़ी संख्या में बड़े नेता शहर में डेरा डाले हैं.

Mainpuri By-Election 2022: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव में उनकी बहू डिंपल यादव पार्टी की उम्मीदवार हैं, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की तरह डिंपल के लिए जीत की राह उतनी आसान नहीं है. कई लोगों का मानना है कि सपा संस्थापक के निधन के बाद डिंपल यादव जनता की सहानुभूति के चलते उनकी परंपरा को बरकरार रखेंगी.

डिंपल के लिए आसान नहीं मैनपुरी

मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर को निधन हो गया और उनके निधन के बाद हो रहे मैनपुरी उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 10 नवंबर को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया. उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान और आठ दिसंबर को मतगणना होगी. व्यवसायी धीरेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया, ‘‘डिंपल यादव के लिए निश्चित रूप से उपचुनाव आसान नहीं होगा, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी सपा से सीट छीनने की पूरी कोशिश कर रही है. बड़ी संख्या में बीजेपी नेता पहले से ही शहर में डेरा डाले हुए हैं.’’

यादव परिवार के लिए अस्मिता की लड़ाई

धीरेन्द्र गुप्ता ने इसके साथ ही ये भी कहा, ‘‘बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी क्योंकि उसके उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य औपचारिकता के तौर पर मतदाताओं से मिल रहे हैं और उनका अभिवादन कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रचार नहीं करेंगे, शाक्य के लिए जीतना मुश्किल होगा. गुप्ता ने कहा, ‘‘नेता जी और उनके बेटे अखिलेश यादव के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती क्योंकि मुलायम सिंह यादव अपने प्रत्येक मतदाता को जानते थे हालांकि, अखिलेश यादव निर्वाचन क्षेत्र के कमोबेश हर घर में जा रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे उपचुनाव में विजयी होकर उभरें.’’ गुप्ता ने कहा कि उपचुनाव यादव परिवार के लिए ‘अस्मिता’ की लड़ाई है.

बीजेपी के पास सपा के किले को तोड़ने का मौका

व्यवसायी ने आगे कहा कि यदि स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता मतदाताओं से जुड़ाव बनाने में विफल रहते हैं तो लखनऊ से मंत्रियों सहित वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए लाने से बहुत कम प्रभाव पड़ेगा. होटल व्यवसायी हेमंत पचौरी ने कहा कि यह उपचुनाव ‘नेता जी’ की अनुपस्थिति के कारण भाजपा के लिए मैनपुरी में सपा के किले को तोड़ने का सबसे अच्छा मौका है. उन्होंने कहा कि ‘‘अगर सपा इस बार सीट हारती है तो यह उनके राजनीतिक ताबूत में आखिरी कील साबित होगी. सत्ता में रहने के दौरान सपा ने शहर में गुंडागर्दी की थी और लोग खुद को परेशान महसूस कर रहे थे. अब नजारा बदल गया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस उपचुनाव में काफी कड़ा मुकाबला है. इस समय, यह कहना मुश्किल है कि कौन जीतेगा या किसके पास बढ़त होगी. इस बार खासकर नेता जी की मौजूदगी नहीं होने से चीजें अलग हैं.’’

पचौरी ने कहा, ‘‘2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं से अपने लिए वोट देने का आग्रह करते हुए एक भावनात्मक अपील की थी और उन्होंने लगभग 94,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. तब बसपा ने भी उनका समर्थन किया था.’’ पचौरी ने बताया कि 2019 से पहले के चुनावों में नेता जी की जीत का अंतर लाखों में था.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

एक और स्थानीय व्यापारी के. के. गुप्ता ने कहा, ‘‘डिंपल यादव के लिए कोई सहानुभूति नहीं है क्योंकि जब सपा सत्ता में थी तो लोग उसके कुशासन से तंग आ चुके थे.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘राज्य में भाजपा सरकार के सत्ता में आने और अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है. तब से अपराध के मामलों में कमी आई है.’’ स्‍थानीय निवासी भूपेंद्र सिंह ने भी सपा के लिए सहानुभूति की लहर से इनकार किया और कहा कि भाजपा उपचुनाव में ‘‘इतिहास रचेगी’’ और यह सीट जीतेगी. उन्होंने दावा किया, ‘‘अखिलेश यादव के लिए सहानुभूति उस दिन गायब हो गई, जब उन्होंने परिवार में झगड़े के बाद अपने पिता से पार्टी की बागडोर संभाली. उनके लिए, डिंपल या सपा के लिए बिल्कुल भी सहानुभूति नहीं है.’’

हालांकि, एक स्वयंभू ‘समाजवादी तपस्वी’ श्याम बहादुर यादव ने इन टिप्पणियों को खारिज कर दिया और कहा कि मैनपुरी के लोग सपा और विशेष रूप से ‘‘सैफई परिवार’’ को पूरे दिल से समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह मैनपुरी के लोग हैं जो चुनाव (भाजपा के खिलाफ) लड़ रहे हैं. चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ‘नेता जी’ के निधन के बाद हो रहा है और मैनपुरी के लोग डिंपल को ही लोकसभा के लिए चुनेंगे.’’ 

यह पूछे जाने पर कि क्या सपा का घर-घर प्रचार भाजपा के हाई-टेक प्रचार से कोई मुकाबला कर पाएगा, 50 वर्षीय यादव ने कहा कि भाजपा शोर शराबे वाले प्रचार में शामिल है और यह उनका एकमात्र काम है. वे झूठे हैं और डीजे बजाते हैं, जबकि हम खामोशी से एक घर से दूसरे घर जाते हैं. किशनी विधानसभा क्षेत्र के निवासी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने क्षेत्र के लोगों के लिए सड़क, स्कूल और अस्पताल बनवाने और पानी एवं बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने जैसे कई काम किए हैं. उन्होंने सवाल किया, ‘‘भाजपा ने यहां के लोगों के लिए क्या किया है?’’

भाजपा द्वारा सपा पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाने पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी में कोई परिवारवाद नहीं है. करहल विधानसभा क्षेत्र से बीएससी प्रथम वर्ष के छात्र ऋषि यादव (17) जो भारतीय वायु सेना में शामिल होने के इच्छुक हैं, ने कहा, ‘‘मैं 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदान करूंगा, लेकिन मैं इस चुनाव और चुनाव अभियान को करीब से देख रहा हूं। सपा उपचुनाव जीतने जा रही है.’’

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