Narendra Giri Post-Mortem Reports: महंत नरेंद्र गिरि की शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, फांसी से मौत की पुष्टि, विसरा को सुरक्षित रखा गया
Narendra Giri Postmortem: महंत नरेंद्र गिरि की शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फांसी लगने से मौत की वजह सामने आई है. नरेंद्र गिरि की मौत के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं.
Mahant Narendra Giri Postmortem Report: महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) के पोस्टमार्टम (Postmortem) रिपोर्ट को लेकर बड़ी खबर आई है. शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फांसी लगने से मौत की वजह सामने आई है. जांच के लिए विसरा को सुरक्षित रख लिया गया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के शव का बुधवार को पोस्टमार्टम हुआ. करीब ढाई घंटे तक चले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पुलिस (Police) के उच्चाधिकारियों को सीलबंद लिफाफे में सौंप दी गई है.
पोस्टमार्टम के बाद पार्थिव शरीर को बाघंबरी गद्दी मठ ले जाया गया है जहां शव को गंगा स्नान कराने की तैयारी की जा रही है. नरेंद्र गिरि का पोस्टमार्टम पांच डॉक्टरों के पैनल ने किया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस के के उच्च अधिकारियों को सौंप दी गई है. पोस्टमार्टम वाली जगह सुबह से ही छावनी में तब्दील रही और किसी भी मीडियाकर्मी को भीतर जाने की अनुमति नहीं दी गई.
नरेंद्र गिरि की मौत के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं
बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की गुत्थी अभी भी उलझी हुई है. नरेंद्र गिरि की मौत के बाद नए-नए खुलासे तो हो रहे हैं, लेकिन मौत अभी भी रहस्य बनी हुई है. पुलिस की जांच में 7 ऐसे किरदार सामने आए हैं जिनकी कड़ियां नरेंद्र गिरि की मौत से जुड़ी हैं. इन्हीं कड़ियों को जोड़कर पुलिस महंत नरेंद्र गिरि की मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी है. ये वो चेहरे हैं, जिनमें से कुछ के नाम नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में हैं, लेकिन बाकी चेहरे भी सुर्खियों में हैं.
करीब 2 दशक पहले प्रयागराज के लेटे हनुमान मंदिर और बाघम्भरी मठ के पूर्व संचालक के स्वर्गवास के बाद मठ की जिम्मेदारी नरेंद्र गिरी को मिली थी. महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करते हुए हिंदू धर्म रीति-रिवाजों परंपराओं को नए आयाम दिए. उन्होंने संस्कृति स्कूलों में वैदिक शिक्षा और गौशालाओं का निर्माण शुरू कराया. सनातन धर्म की रक्षा के लिए महंत नरेंद्र गिरि हमेशा सजग रहे. संत समाज के वो ऐसे महत्वपूर्ण प्रमुख व्यक्ति थे जो सभी को जोड़ने में लगे रहे. यही वजह है सभी अखाड़ों ने मार्च 2015 में उन्हें अपना अगुआ मानते हुए सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना था.
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