यूपी में धर्मांतरण अध्यादेश बना कानून, गवर्नर की मंजूरी के बाद जारी हुआ गजट नोटिफिकेशन
लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए यूपी में लाया गया धर्मांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है. सरकार ने इस कानून का गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया है. अध्यादेश के कानून बनने और इसके अमल में आने की जानकारी यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी.
प्रयागराज: लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए यूपी में लाया गया धर्मांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है. विधानसभा और विधान परिषद से बिल पास होने के बाद न सिर्फ गवर्नर ने इसे मंजूरी दे दी है, बल्कि सरकार ने इस कानून का गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया है. नोटिफिकेशन होने के साथ ही यह कानून यूपी में लागू हो गया है. हालांकि, इसकी वैधता पिछले साल 27 नवम्बर से ही मानी जाएगी. उसी दिन अध्यादेश लागू किया गया था. अध्यादेश के कानून बनने और इसके अमल में आने की जानकारी यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी.
चुनौती देने वाली अर्जियों पर होगी सुनवाई सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि विधानमंडल के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद चार मार्च को गवर्नर ने इसे मंजूरी दे दी थी. इसके बाद पांच मार्च को इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया. सरकार ने नोटिफिकेशन की कॉपी भी कोर्ट में पेश की और दावा किया कि अध्यादेश में कई तरह के बदलाव करने के बाद ही अधिनियम यानी नया कानून तैयार किया गया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई. अध्यादेश को चुनौती देने वाली अर्जियों पर हाईकोर्ट अब 6 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद बना कानून गौरतलब है कि, यूपी की योगी सरकार पिछले साल 27 नवम्बर को मनमाने तरीके से हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए जो अध्यादेश लेकर आई थी, उसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई अर्जियां दाखिल की गई थीं. इन अर्जियों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यूपी सरकार से जवाब तलब कर लिया था. सरकार ने जनवरी के पहले हफ्ते में ही अपना जवाब भी दाखिल कर दिया था. इस बीच विधानसभा का सत्र शुरू होने पर सरकार सदन में बिल ले आई. दोनों सदनों से बिल पास होने और गवर्नर की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून की शक्ल ले चुका है. याचिकाकर्ताओं ने बुधवार को अदालत में एमेंडमेंट अप्लीकेशन दाखिल कर अधिनियम यानी नए कानून को चुनौती देने की बात कहीं, लेकिन कोर्ट ने किसी संशोधित अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया. अदालत इन अर्जियों पर अब 6 अप्रैल को सुनवाई करेगी.
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