एक्सप्लोरर

बिहार चुनाव एग्जिट पोल 2025

(Source:  ABPLIVE पत्रकारों का Exit Poll)

Kedarnath News: केदारनाथ में पर्यावरण को लेकर नहीं हो रहा कोई काम, विशेषज्ञों ने भविष्य के लिए जताई चिंता

UK News: केदारनाथ आपदा को नौ साल हो चुका है. तब से पुनर्निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं. यहां के पर्यावरण को बचाने की दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है, पहाड़ियां धीरे-धीरे खिसकनी शुरू हो गई है.

Kedarnath News: केदारनाथ धाम में आई आपदा के बाद से यहां के तापमान में भारी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. पहले जहां धाम में बर्फबारी और बारिश समय पर होने से तापमान सही रहता था. ग्लेशियर टूटने की घटनाएं सामने नहीं आती थीं. वहीं अब कुछ सालों से धाम में ग्लेशियर चटकने की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं. इसके साथ ही यहां के बुग्यालों को नुकसान पहुंचने से वनस्पति और जीव जंतु भी विलुप्ति के कगार पर हैं. आपदा के बाद से केदारनाथ धाम में पर्यावरण को लेकर कोई कार्य नहीं किये जाने से पर्यावरण विशेषज्ञ भी भविष्य के लिए चिंतित नजर आ रहे हैं.

केदारनाथ आपदा को नौ साल का समय बीत चुका है. तब से लेकर आज तक धाम में पुनर्निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं. धाम को सुंदर और दिव्य बनाने की दिशा में निरंतर काम किया जा रहा है, लेकिन इन पुनर्निर्माण कार्यों और बढ़ती मानव गतिविधियों के साथ ही हेली सेवाओं ने धाम के स्वास्थ्य को बिगाड़कर रख दिया है. यहां के पर्यावरण को बचाने की दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है, जिससे आज केदारनाथ की पहाड़ियां धीरे-धीरे खिसकनी शुरू हो गई है.

प्लास्टिक कचरे से हो रहा है भारी नुकसान
केदारनाथ की भूमि दल-दल की भूमि है. इसलिए इस स्थान को केदार के नाम से जाना जाता है. यहां पर बुग्यालों के साथ ही वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का बचा रहना काफी महत्वपूर्ण है. ये चीजे अगर समाप्त हो जायेंगी तो धाम की स्थिति भी धीरे-धीरे खराब हो जायेगी और प्रकृति के साथ ही मनुष्य को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. केदारनाथ धाम में मांस घास खत्म होती जा रही है, जिस कारण धाम की पहाड़ियां धीरे-धीरे खिसकनी शुरू हो गई हैं. बुग्यालों में की जा रही खुदाई, धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य और यहां फेंके जा रहे प्लास्टिक कचरे को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है. 

धाम में आज वनस्पतियों की प्रजाति विलुप्ति की कगार पर हैं, जबकि बुग्यालों में पाया जाने वाला बिना पूंछ वाला चूहा, जिसे हिमालयी पिका कहा जाता है, यह भी कम ही देखने को मिल रहा है. इसका कारण यह है कि हिमालय के स्वास्थ्य पर मानव गतिवितियों का गहरा असर पड़ रहा है, जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. इसको लेकर पर्यावरण प्रेमी, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं.

हिमालय को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किये गये
पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री ने कहा कि आपदा के नौ सालों में केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य तेजी से किये गये, जबकि मानव गतिविधियां ने रफ्तार पकड़ी. इसके साथ ही हेली सेवाओं में निरंतर वृद्धि हुई, लेकिन हिमालय को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किये गये. केन्द्र व राज्य सरकार के साथ ही नीति-नियंताओं ने इसके लिए सोचने की जरूरत तक नहीं समझी. आज केदारनाथ धाम के तापमान में काफी परिवर्तन आ गया है. हिमालय का स्वास्थ्य गड़बड़ा रहा है.

उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में पाये जानी वाली घास विशेष प्रकार की है. वनस्पति विज्ञान में इसे माॅस घास कहा जाता है. यह जमीन को बांधने का काम करती है. साथ ही यहां के ईको सिस्टम को भी सही रखती है. बताया कि यह माॅस घास जमीन में कटाव होने से रोकती है और हिमालय के तापमान को व्यवस्थित रखने में मददगार होती है. केदारनाथ धाम चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा है. यहां धीरे-धीरे भू धसाव हो रहा है. यहां मानव का दबाव ज्यादा बढ़ गया है. भैरवनाथ मंदिर, वासुकीताल और गरूड़चट्टी जाने के रास्ते से इस घास को रौंदा जाता है. 

देवराघवेन्द्र बद्री ने कहा कि बुग्यालों में खुदाई करके टेंट लगाए गए हैं. जिन स्थानों पर टेंट लगाए गए हैं, वहां के बुग्यालों को पुनर्जीवित करने के लिए कोई कार्य नहीं किया जाता है, जिससे पानी का रिसाव होता जाता है और भूस्खलन की घटनाएं सामने आती हैं. उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में मांस घास को उगने में समय लगता है. यहां का तापमान बदलता रहता है. ऐसे में इस घास को उगने में काफी समय लग जाता है. जिन जगहों पर निर्माण कार्य हुए हैं, वहां भी मांस घास खत्म हो गई है. इसकी भरपाई के लिए कोई भी कार्य नहीं किया गया है.

विलुप्ति की कगार पर है हिमालयी पिका
केदारनाथ. हिमालय के पारिस्थितिक तंत्र को बनाये रखने के लिए हिमालयी पिका का विशेष योगदान होता है. यह जानवर चूहा और खरगोश के बीच की कड़ी होता है, जो बुग्यालों में देखा जाता है, लेकिन अब इसकी प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है. हिमालय में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं. ये जड़ी-बूटियां हिमालयी पिका का भोजन होती हैं. इन जड़ी-बूटियों को खाने के बाद इसके द्वारा निकाले जाने वाले मल-मूत्र से बुग्यालों को बनाये रखने में सहायक सिद्ध होता है. केदारनाथ यात्रा मार्ग पर चिप्स के पैकेट, बिसलेरी की बोतलों को फेंके जाने से इसके जीवन में भी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. इसके मुंह का स्वाद ही बिगड़ गया है और इसका अस्तित्व खतरे में है. केदारनाथ यात्रा पड़ावों में सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण हिमालयी पिका का जीवन संकट में है.

हेली सेवाओं की गर्जनाओं से हो रहा एवलांच
केदारनाथ. केदारनाथ धाम की पहाड़ियों में लगातार एवलांच की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसके लिए पर्यावरणविद धाम में हो रहे तापमान बदलाव के कारण मानते हैं. पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली की माने तो केदारनाथ धाम के तापमान में ग्लोबल वार्मिंग के कारण वृद्धि देखने को मिल रही है. ग्लेशियर खिसक रहे हैं. केदारनाथ धाम में अनियंत्रित लोगों के जाने से वातावरण को नुकसान पहुंच रहा है. हिमालय क्षेत्र में हेलीकॉप्टर सेवाएं टैक्सी की तरह कार्य कर रही हैं, जबकि इनकी उड़ानों को विशेष इमरजेंसी की सेवाओं में उपयोग किया जाना चाहिए. 

हिमालय में बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं. केदारनाथ का मतलब दल-दल की भूमि है. यहां भारी-भरकम मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है. पहले केदारनाथ धाम का तापमान सही रहता था, जिस कारण ग्लेशियर टूटने की घटनाएं सामने नहीं आती थी, मगर अब तापमान में वृद्धि के चलते ग्लेशियर चटकने की घटनाएं सामने आ रही हैं. कहा कि केदारनाथ धाम की यात्रा को नियंत्रित किया जाना चाहिए. हिमालय क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है.

दो तरह का प्रदूषण फैला रही हेली सेवाएं
हेलीकॉप्टर सेवाएं केदारनाथ यात्रा के लिए यह महत्वपूर्ण मानी जाती है, वहीं इनकी सेवाओं से दो तरह का प्रदूषण भी फैल रहा है. जो पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री की माने तो हेली सेवाओं से दो तरह का प्रदूषण फैल रहा है. पहला ध्वनि प्रदूषण है. हेलीकॉप्टर सेवाएं जितनी तेजी से चलेंगी, उतनी तेजी से ग्लेशियरों पर भी प्रभाव पड़ेगा. दूसरा इसके ऑयल से निकलने वाला कार्बन भी नुकसानदायक है. केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवाएं टैक्सी की तरह संचालित हो रही हैं. हेली सेवाओं के संचालन से केदारनाथ धाम को भारी नुकसान पहुंच रहा है.

केदारनाथ क्षेत्र में भोजपत्र के पेड़ों को लगाने की जरूरत
केदारनाथ क्षेत्र में भोजपत्र के पेड़ों को लगाने की आवश्यकता है. इससे जहां पर्यावरण संतुलन बना रहेगा, वहीं लैंडस्लाइड को होने से बचाता है. केदारनाथ क्षेत्र में भोजपत्र के पेड़ सूख गये हैं, जबकि थूनेर के पौधे भी खत्म होते जा रहे हैं. केदारनाथ में अनियंत्रित यात्री और निर्माण कार्य के कारण यह सब हो रहा है. इसके लिए केन्द्र व राज्य सरकार के साथ ही जिला प्रशासन को कार्य करने की जरूरत है. केदारनाथ इलाके में भोजपत्र व थूनेर के वृक्षों को लगाया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: Uk News: रुद्रपुर में लव जिहाद का मामला, नाम बदलकर किया प्यार, फिर शादी के लिए बनाया दबाव, FIR दर्ज

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Axis My India: आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी, कैसे बन सकती है महागठबंधन की सरकार? समझें गणित
Axis My India: आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी, कैसे बन सकती है महागठबंधन की सरकार? समझें गणित
अलीनगर सीट: मैथिली ठाकुर जीतेंगी या हार जाएंगी चुनाव? चौंका रहा पत्रकारों का एग्जिट पोल
अलीनगर सीट: मैथिली ठाकुर जीतेंगी या हार जाएंगी चुनाव? चौंका रहा पत्रकारों का एग्जिट पोल
Delhi Blast: जम्मू कश्मीर पुलिस का बड़ा एक्शन, मुजम्मिल की बहन भी हुई गिरफ्तार, सामने आया बांग्लादेश कनेक्शन!
Delhi Blast: जम्मू कश्मीर पुलिस का बड़ा एक्शन, मुजम्मिल की बहन भी हुई गिरफ्तार, सामने आया बांग्लादेश कनेक्शन!
IPL के वो 5 खिलाड़ी, जिन्हे फ्रेंचाइजी ने कभी नहीं किया रिलीज; लिस्ट में वेस्टइंडीज का खिलाड़ी भी शामिल
IPL के वो 5 खिलाड़ी, जिन्हे फ्रेंचाइजी ने कभी नहीं किया रिलीज; लिस्ट में वेस्टइंडीज का खिलाड़ी भी शामिल
Advertisement

वीडियोज

Delhi Red Fort Blast: LNJP अस्पताल पहुंचे PM Modi, दिल्ली ब्लास्ट के घायलों से की मुलाकात
Delhi  Blast: दिल्ली धमाके के बाद बड़ा एक्शन, जम्मू-कश्मीर में 200 जगहों पर छापेमारी
Delhi Red Fort Blast: दिल्ली धमाके में शामिल डॉक्टरों की टेरर फाइल में कितने पन्ने बाकी? | Breaking
बॉडी की आंखों में आसू... सनी देओल की खामोशी
Delhi Blast: दिल्ली धमाके में जांच एजेंसियों का एक्शन जारी,कश्मीर में एक और डॉक्टर हिरासत में-सूत्र
Advertisement

फोटो गैलरी

Advertisement
Petrol Price Today
₹ 94.77 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.67 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Axis My India: आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी, कैसे बन सकती है महागठबंधन की सरकार? समझें गणित
Axis My India: आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी, कैसे बन सकती है महागठबंधन की सरकार? समझें गणित
अलीनगर सीट: मैथिली ठाकुर जीतेंगी या हार जाएंगी चुनाव? चौंका रहा पत्रकारों का एग्जिट पोल
अलीनगर सीट: मैथिली ठाकुर जीतेंगी या हार जाएंगी चुनाव? चौंका रहा पत्रकारों का एग्जिट पोल
Delhi Blast: जम्मू कश्मीर पुलिस का बड़ा एक्शन, मुजम्मिल की बहन भी हुई गिरफ्तार, सामने आया बांग्लादेश कनेक्शन!
Delhi Blast: जम्मू कश्मीर पुलिस का बड़ा एक्शन, मुजम्मिल की बहन भी हुई गिरफ्तार, सामने आया बांग्लादेश कनेक्शन!
IPL के वो 5 खिलाड़ी, जिन्हे फ्रेंचाइजी ने कभी नहीं किया रिलीज; लिस्ट में वेस्टइंडीज का खिलाड़ी भी शामिल
IPL के वो 5 खिलाड़ी, जिन्हे फ्रेंचाइजी ने कभी नहीं किया रिलीज; लिस्ट में वेस्टइंडीज का खिलाड़ी भी शामिल
'मैं कांप रही थीं...', शोएब मलिक से तलाक के बाद सानिया मिर्जा का हो गया था ऐसा हाल, आते थे पैनिक अटैक
'मैं कांप रही थीं', शोएब मलिक से तलाक के बाद सानिया मिर्जा को आते थे पैनिक अटैक
Special Feature: ऐश्वर्या राय सरकार, स्टाइल और संस्कृति का संगम
ऐश्वर्या राय सरकार: स्टाइल और संस्कृति का संगम
चार्जर बार-बार खराब हो रहा है? जान लें कहां हो रही है गलती
चार्जर बार-बार खराब हो रहा है? जान लें कहां हो रही है गलती
भारतीय रेल ने शेयर किया ऑप्टिकल इल्यूजन! पढ़ते ही लोग बोलने लगे वंदे मातरम, क्या आपको दिखा?
भारतीय रेल ने शेयर किया ऑप्टिकल इल्यूजन! पढ़ते ही लोग बोलने लगे वंदे मातरम, क्या आपको दिखा?
Embed widget